कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन, बीते हुए दिन वो मेरे प्यारे पल छिन

श्रंखला - हमने जानी है जमाने में रमती खुशबू - की पिछली चिट्ठी (Our sweetest songs are those that tell of saddest thought) पर, ममता जी ने किशोर कुमार के एक गाने कि पंक्ति से टिप्पणी की। मैंने जब यह श्रंखला लिखनी शुरू की थी तब इस कड़ी के लिये, वही शीर्षक सोचा था। लगता है कि उन्हें इस कड़ी का आभास हो गया था। वे इलाहाबाद शहर की हैं और लोग तो यही कहते हैं कि इस शहर की मिट्ठी कुछ अलग है

चलिये अब बात करें उस चिट्ठी की जिसके कारण मैंने यह श्रंखला शुरू की।

कुछ दिन पहले रचना जी ने एक चिट्ठी रिश्ते पढ़ी। इस चिट्ठी में कुछ दर्द था, कुछ तड़पन तो कुछ बीते हुऐ जमाने की बात। इसी से मुझे शैली की कविता To A Skylark की पंक्ति Our sweetest songs are those that tell of saddest thought की याद आयी। मेरा मन था कि उस चिट्ठी पर इसी पंक्ति से टिप्पणी करूं पर यह चाह कर भी, न कर सका।

मुझे रचना जी की रिश्ते वाली चिट्ठी कुछ उदास, कुछ मायूस, कुछ निराश, कुछ नकारात्मक सी लगी। यह केवल मेरा ही सोचना नहीं था पर वहां बहुत लोगो ने टिप्पणी की है, शायद वे सब यही सोचते थे। शैली की कविता की वह पंक्ति जो मैं टिप्पणी करना चाहता था वह भी यही कुछ बयां करती है। इस पंक्ति में कुछ इसमें भी निराशावाद है बस इसीलिये इस पंक्ति से टिप्पणी नहीं की। मैं कुछ आशावादिता, कुछ सुनहरे समय की बात करना चाहता था, इसलिये टिप्पणी की कि,

'मैं तो यही समझता हूं कि प्रेम, (अपने हर रंग में) बन्धन रहित है।'
अनूप जी और घुघूती जी भी इस टिप्पणी से सहमत थे, शायद वे भी कुछ सकारत्मक कहना चाहते थे। रचना जी ने राजेश जी की टिप्पणी का जवाब देते समय तो कहा कि वे मेरी और घुघूती जी की बात समझ रहीं हैं पर मेरी टिप्पणी का जवाब अपने ही दार्शनिक अंदाज में दिया :-(

खैर रचना जी का, मेरी टिप्पणी पर दिये जवाब का जो भी अर्थ हो पर मेरी टिप्पणी की पंक्ति, न केवल मेरे मन के करीब है पर मेरे जीवन का अभिन्न अंग, मेरी जीवन शैली का एक भाग भी है। मेरे साथ
इसका इत्तफ़ाक कई बार हुआ है। यह न केवल मेरे जीवन की बहुत सारी घटनाओं से जुड़ी है पर उन कई किस्से, कहानियों, पिक्चरों, और गानों से जुड़ी है जो कि मेरे लिये सुखद हैं और मुझे अच्छे लगते हैं। यह टिप्पणी करते समय मैंने उन सब को पुनः याद किया और आने वाली कुछ चिट्ठियों में, इन्हीं के बारे में चर्चा करूंगा।

अगली बार हम प्यार के बारे में बात करेंगे। क्या प्यार एक खामोशी है, या खामोशी के रुके हुऐ अफसाने, या केवल एक एहसास, या फिर कुछ और। हम बार बात करेंगे, एक खास प्रेम कहानी के बारे में, जो शायद सबसे ज्यादा चर्चित प्रेम कहानी है और जानेगे प्यार के अर्थ को। जानेगे उस कहानी को, उसकी उस पंक्ति को, जो इस सन्दर्भ में सबसे ज्यादा उद्धरित पंक्ति है।

मैंने इस चिट्ठी के लिये यह शीर्षक ही क्यों चुना? यह तो आपको रचना जी की 'रिश्ते' वाली चिट्टी पढ़ कर ही समझ आयेगा। मुझे उनकी यह चिट्ठी, बीते दिन की याद करती सी लगती है।


भूमिका।। Our sweetest songs are those that tell of saddest thought।। कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन, बीते हुए दिन वो मेरे प्यारे पल छिन।। Love means not ever having to say you're sorry ।। अम्मां - बचपन की यादों में।। रोमन हॉलीडे - पत्रकारिता।। यहां सेक्स पर बात करना वर्जित है।। जो करना है वह अपने बल बूते पर करो।। करो वही, जिस पर विश्वास हो।। अम्मां - अन्तिम समय पर।। अनएन्डिंग लव।। प्रेम तो है बस विश्वास, इसे बांध कर रिशतों की दुहाई न दो।। निष्कर्षः प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो।। जीना इसी का नाम है।।

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