इस मुकदमे में, एस.सी.ओ. का कहना था कि नॉवल ने य़ूनिक्स के बौद्धिक संपदा अधिकार इसे बेच दिये हैं पर नॉवल के अनुसार उसने एस.सी.ओ. को यूनिक्स के बौद्धिक सम्पदा अधिकार नहीं बेचे हैं। उसने एस.सी.ओ. को केवल यूनिक्स का विकास करने तथा दूसरे को लाइसेंस देने का अधिकार दिया था। इस पर एस. सी. ओ. ने नॉवल पर मुकदमा दायर किया कि, और
- नॉवल गलत कह रहा है कि एस.सी.ओ. यूनिक्स के बौद्धिक सम्पदा अधिकार का मालिक नहीं है;
- नॉवल का यह कहना कि नॉवल यूनिक्स के बौद्धिक सम्पदा अधिकारों का मालिक है एस.सी.ओ. के व्यापार में रूकावट डाल रहा है उसे रोका जाय;
- इस बात कि घोषणा की जाय कि एस.सी.ओ. यूनिक्स के बौद्धिक सम्पदा अधिकार का मालिक है न कि नॉवल;
- उसे नॉवल से हर्जाना दिलवाया जाय।
इस मुकदमें के मुख्य विवाद को कल १० अगस्त २००७ में, जज़ किंबल ने नॉवल के पक्ष में तय कर दिये गये हैं। जज़ किंबल के अनुसार, यूनिक्स के बौद्धिक सम्पदा अधिकार नॉवल के पास हैं और उसे इस बात का अधिकार है कि वह एससीओ को आई.बी.एम. के विरुद्ध अपने दावे के इस भाग को वापस लेने या छोड़ने के लिये कह सकता है। हांलाकि यदि नॉवल ने कोई संविदा तोड़ी है तो उस संबन्ध का मुकदमा चलता रहेगा।
यह फैसला एस.सी.ओ. के द्वारा आई.बी.एम. के खिलाफ चल रहे मुकदमें पर भी असर डालेगा और लगता है कि वह नहीं चल पायेगा।
जज़ किंबल का फैसला आप यहां पढ़ सकते हैं। यह कुछ मुश्किल है। इसे समझने के लिये आपको तकनीक और कानून दोनो का कुछ ज्ञान होना चाहिये। इस बारे में न्यूयॉर्क टाईम्स का लेख भी देखें। इसे समझना आसान है। आप यहां, एक दूसरे लेख को, पढ़ सकते हैं।
यदि कल हम सुन्दरता की देवी के पास पहुंचे थे तो क्या एस.सी.ओ. पानी में डूब गया है। यह मैं क्यों कह रहा हूं।
अपने सौर मंडल में दो ग्रह अनूठे हैं - शुक्र और वरूण। शुक्र पर तो सूरज तो पश्चिम से निकलता है। वरुण, समुद्र के देवता हैं। वरुण ग्रह की धुरी लगभग ९८% झुकी है। इस कारण लेटा-लेटा सा सूरज के चक्कर लगाता है।
वरूण ग्रह का वॉयजर-२ से लिया गया चित्र
इस फैसले के बाद तो एस.सी.ओ. तो धाराशायी हो गया - लेट ही गया है। यह बात तो उनके शेयरों के दाम से भी लगती है। जब एस.सी.ओ. ने आई.बी.एम. के खिलाफ मुकदमा किया तो उसके शेयर की कीमत १९.४१ डॉलर हो गयी थी लेकिन कल, फैसले के बाद, यह गिर कर केवल १.५५ डॉलर रह गयी है। इन्हे ज्लद ही कुछ करना होगा। यह तो पहले कोर्ट का फैसला है देखते हैं कि एस.सी.ओ. अपील करता है कि नहीं। यदि करता है तो उसमें क्या होता है।मेरे मित्र जो अंग्रेजी में चिट्ठे लिखते हैं उनकी हमेशा यही सलाह रहती थी कि मैं अंग्रेजी में लिखूं। एक समय ऐसा भी आया कि जब मैंने तय कर लिया था कि मैं हिन्दी में लिखना छोड़ दूंगा। मुझे प्रसन्नता है कि मैंने ऐसा नहीं किया।
यह सारे चित्र विकीपीडिया से लिये गये हैं और ग्नू मुक्त प्रलेखन अनुमति पत्र की शर्तों के अन्दर प्रकाशित किये गये हैं।
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