गुलमर्ग में तारगाड़ी

गुलमर्ग में अगले दिन हम लोग सुबह 'गंडोला' तारगाड़ी पर गऐ। १० बजे टिकट मिलना था, लाइन पर लगे रहे, लगभग ११ बजे टिकट मिला। गंडोला दो चरण में है पहला चरण खिलनमर्ग के पास तक १०,५०० फीट तक जाता है और दूसरा चरण उपर १३,००० फीट तक जाता है।

दूसरे चरण पर जाने के लिये हम लोग ने लाइन लगायी। यहां पर मेरी मुलाकात अहमदाबाद में काम कर रहे डाक्टरों से हुई। वे मुझसे गुजराती में बात करने लगे। मैं ने बताया कि मैं गुजरात से नहीं हूं न ही गुजराती समझ पाता हूं। इसके बाद वे हिन्दी में बात करने लगे।

इन लोगों के मुताबिक गुजरात के हालात बहुत अच्छे हैं। मैने पूछा कि क्या मुसलमान भी ऎसा सोचते हैं। उन्होंने कहा,
'हम चार परिवार एक साथ आये हैं एक मुसलमान परिवार है। आप उनहीं से पूछ लीजये।'
मैंने मुसलमान डाक्टर से बात की तो उसका भी वही जवाब था। इनका कहना था,
'अगले पाँच साल में गुजरात बाकी राज्यों को बहुत पीछे छोड़ देगा। हमारे अस्पताल में कोई बिजली का जेनरेटर नहीं है। क्योंकि पिछले दो साल में दो मिनट के लिए भी बिजली नहीं गयी और पानी २४ घंटे आता है। हालांकि बिजली के लिए ८/-रू० प्रति यूनिट देना पड़ता है।'
मैंने कहा कि मीडिया तो कुछ अलग सी रिपोर्ट करता है। उनके मुताबिक यह तो मीडिया ही बता सकती है।

मेरे पूंछने पर फर्जी मुठभेड़ (Encounter) के बारे में उनका क्या कहना है। उनका जवाब था,
'वह शक्स पुलिस को मारने के जुर्म में हत्यारा था इसलिए मुठभेड़ में मार दिया गया। ऎसा हर जगह होता है। पुलिस ने यदि बचाव के लिये मुख्य मंत्री का नाम डाल दिया तो कोई बात नहीं। हमारे गुजरात में रात को लड़किया सुरक्षित (Safely) घूम सकती हैं।'
मैं बहुत साल पहले, अपने बच्चों को स्पोकन इंगलिश की परीक्षा दिलवाने, अहमदाबाद ले गया था। मुझे गुजरात का कोई व्यक्तिगत अनुभव नहीं है।

मुझे यह डाक्टर पसंद आये। वे अपने प्रदेश के बारे अच्छे विचार रखते थे। भारत के कई प्रदेशों के लोग, अपने प्रदेश के बारे में अच्छी राय नहीं रखते हैं।

मैं उन लोगों से और बात करना चाहता था और उनके चित्र भी लेना चाहते था पर वहां ओले गिरने लगे। हमें श्रीनगर भी जाना था। हमें लगा कि हम दूसरे चरण में नहीं जा पायेंगे और वापस आ गए।

हम लोगों से गलती हो गयी थी। सुबह खिलनमर्ग तथा आसपास हमें घोड़े पर चले जाना चाहिये था दस बजे तक सारा काम कर गंडोला के पहले स्टेज पर घोड़े से पहुंचकर, दूसरे स्टेज का टिकट लेना चाहिये था। मिलता तो ठीक था नहीं तो गंडोला से वापस चले आना था। गंडोला में एक तरफ का भी टिकट मिलता है। चलिये अगली बार इसी तरह से ही करेंगे।

आप दूसरे स्टेज के टिकट के लिये खड़े रहिये - मैं तो चलता हूं श्रीनगर जहां मिलते हैं फिनलैंड से आयी डाक्टर हेलगा कैटरीना से और बात करते हैं लीनुक्स की। जी हां मैंने लीनुक्स ही लिखा है लिनेक्स नहीं। अब यह टिप्पणी मत कर दीजियेगा कि मुझे इसके अलावा कुछ समझ में नहीं आता है :-)


कश्मीर यात्रा
जन्नत कहीं है तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है।। बम्बई का फैशन और कश्मीर का मौसम – दोनो का कोई ठिकाना नहीं है।। मिथुन चक्रवर्ती ने अपने चौकीदार को क्यों निकाल दिया।। आप स्विटज़रलैण्ड में हैं।। हम तुम एक कमरे में बन्द हों।। Everything you desire – Five Point Someone।। गुलमर्ग में तारगाड़ी।।

यौन अपराध: आज की दुर्गा

(इस बार चर्चा का विषय है यौन अपराध। इसे आप सुन भी सकते हैं। सुनने के चिन्ह ► तथा बन्द करने के लिये चिन्ह ।। पर चटका लगायें।)

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यौन अपराध के मुकदमों में सबसे ज्यादा चर्चित मुकदमा
Tuka Ram Vs. State of Maharashtra है। यह मथुरा बलात्कार केस के नाम से भी जाना जाता है। इसके अन्दर मथुरा नाम की लड़की अपने प्रेमी के साथ भाग गयी थी। उसके भाई ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी। इस पर वह पकड़ी गयी और पुलिस स्टेशन लायी गयी। वहां उसका बयान भी दर्ज किया गया। कहा जाता है कि पुलिस स्टेशन के अन्दर, उसके साथ हेड कांस्टेबिल और अन्य कांस्टेबिलों ने उसके साथ बलात्कार किया। मैं यह इसलिये कह रहा हूं क्योंकि यह आरोपी, उच्चतम न्यायालय के द्वारा वे छोड़ दिये गये हैं। इस केस की महत्वपूर्ण बात यह थी कि इसमें इस बात से कोई इंकार नहीं था कि पुलिस स्टेशन के अन्दर हेड कांस्टेबिल और बाकी कांस्टेबिलों ने लड़की के साथ संभोग किया पर सवाल यह था कि क्या इस संभोग में लड़की की रजामंदी थी अथवा नहीं।

इस मुकदमे में परीक्षण न्यायालय ने आरोपियों को छोड़ दिया था पर बम्बई उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की अपील स्वीकार कर ली थी। उच्चतम न्यायालय ने आरोपियों की अपील स्वीकार कर, उन्हें छोड़ दिया। उच्चतम न्यायालय के अनुसार,
'The consent in question was not a consent which could be brushed aside as passive submission'.
...
'It [ The High Court ] did not give a finding that such fear [for sexual intercourse] was shown to be that of death or hurt.'
प्रश्नगत सहमति ऎसी सहमति नहीं थी जिसे यह कहकर अस्वीकृत किया जा सके कि वह निश्चेष्ट आत्म-समर्पण है।
...
उच्च न्यायालय ने इस तरह का कोई भी निष्कर्ष नहीं दिया गया कि संभोग करने के लिये मृत्यु या चोट पहुंचाने की धमकी दी गयी थी।'
अधिकतर न्यायविद इस निर्णय को गलत निर्णय मानते हैं। मेरे विचार से यह उच्चतम न्यायालय के अच्छे निर्णयों में से नहीं है।

इस निर्णय के आने के पहले ही, विधि आयोग ने १९७१ में ही अपनी ४२वीं रिपोर्ट पर बलात्कार के कानून को बदलने के लिए कहा था पर सरकार ने कुछ नहीं किया था। इस निर्णय के बाद उठे तूफान पर, सरकार ने पुन: विधि आयोग से रिपोर्ट देने की प्रार्थना की।

विधि आयोग ने १९८० में अपनी ८४वीं रिपोर्ट दी। इस रिपोर्ट की कुछ संस्तुतियों की स्वीकृति के बाद,
Criminal Law Amendment Act 1983 ( Act no. 43 of 1983) के द्वारा फौजदारी कानून में इस विषय पर आमूल-चूल परिवर्तन किया गया।

इस संशोधन अधिनियम से,
  • भारतीय दण्ड संहिता की धारा ३७५ व ३७६ के स्थान पर नई धारायें स्थापित की गयी और धारायें ३७६-क से ३७६-घ जोड़ी गयी।
  • साक्ष्य अधिनियम में भी नयी धारा ११४-क जोड़ी गयी। इस संशोधन के द्वारा, कुछ परिस्थितियों में (जैसे कि मथुरा बलात्कार मुकदमे में थीं) आरोपी को सिद्घ करना है कि बलात्कार नहीं हुआ है।
  • दंड प्रक्रिया संहिता की धारा ३२३ भी बदली गयी। अब न्यायालय बलात्कार के मुकदमे का विचारण बन्द कमरे में कर सकता है; या मीडिया में उसके प्रचार को मना कर सकता है।

आज की दुर्गा
महिला दिवस|| लैंगिक न्याय - Gender Justice|| संविधान, कानूनी प्राविधान और अंतरराष्ट्रीय दस्तावेज।। 'व्यक्ति' शब्द पर ६० साल का विवाद – भूमिका।। इंगलैंड में व्यक्ति शब्द पर इंगलैंड में कुछ निर्णय।। अमेरिका तथा अन्य देशों के निर्णय – विवाद का अन्त।। व्यक्ति शब्द पर भारतीय निर्णय और क्रॉर्नीलिआ सोरबजी।। स्वीय विधि (Personal Law)।। महिलाओं को भरण-पोषण भत्ता।। Alimony और Patrimony।। अपने देश में Patrimony - घरेलू हिंसा अधिनियम।। विवाह सम्बन्धी अपराधों के विषय में।। यौन अपराध

प्रेम तो है बस विश्वास, इसे बांध कर रिशतों की दुहाई न दो

यह कोई बीस साल पहले की बात है, शुभा पहली बार लम्बे समय के लिये विदेश जा रही थी। मुन्ने को कुछ गर्व था तो कुछ दुख कि मां इतने लम्बे समय के लिये छोड़ कर जा रही है। एक दिन उसने मुझसे पूछा, क्या मां हमें प्यार नहीं करती। मैंने कहा नहीं वह हम सबसे बहुत प्यार करती है पर तुम ऐसा क्यों सोचते हो। उन्होने पूछा,
'यदि वह हमसे प्यार करती है तो इतने दिन तक हमें क्यों छोड़ कर जा रही है। हमें कुछ मुश्किल होगी तो कौन बतायेगा।'
मैं कैसे उन्हें बताऊं ।

हमने बैठ कर कई मुद्दों पर बात की। मैंने कहा, मैं तो रहूंगा, तुम्हें कोई मुश्किल नहीं होगी। उसने पूछा,

'क्या तुम्हारे पास समय है'
मैंने कहा कि जब मां थी तो वह समय निकालती थी, जब तक वह नहीं है, तब मैं निकालूंगा। उनको यह बताने का प्रयत्न किया,
'प्यार तो विश्वास है, यह लोगों को बांधता नहीं पर उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है जो उनके जीवन में महत्वपूर्ण है। रिश्तों का बांध कर रखना ठीक नहीं।'

मैं नहीं जानता कि वह कितना समझ पाया लेकिन यह सच है कि उसने अपनी मां का विदेश जाना, स्वीकार कर लिया। उसके पीछे, वह बहुत खुश रहा। मैं नहीं जानता कि वह इसलिये की उन्हें मेरी बात समझ में आयी या इस लिये कि शुभा तो आर्मी की जनरल साहिबा हैं और मैं - शायद भावना में हर पल को जीने वाला। उसे कभी इतनी छूट नहीं मिली - इस समय भी नहीं जब वह अपना बसेरा, बहुत दूर, अपने घोसले में बसाने चला गया।

पिछले साल हम सब, मुन्ना, परी काफी समय बाद एक साथ थे। मैंने पूछा क्या तुम मुझे प्यार करते हो। उसका जवाब था,

'पापाऽऽ!! यह कैसा सवाल है।'
मैंने बहुत सीरियस हो कर पूछा तुम बहुत दूर, सात समुंदर पार चले गये हो बस इसलिये जानना चाहा। वे मेरी सीरियस मुद्रा समझ गये। उनका मुस्कराते हुऐ, जवाब था
'पापा, मुझे तुम्हारी बीस साल पहले की बात आज भी याद है।'
वे मुझसे कहते हैं कि मैं भी वहीं उनके पास आ जाऊं पर मैं जानता हूं कि मेरा जीना यहां ही है और मेरी मौत भी यहीं होगी।

प्यार तो है बस विश्वास, इसे बांध कर रिशतों की दुहाई न दो। यदि बांध कर रखा तो वही होगा, जैसा यहां हिन्दुस्तानी डाक्टर के साथ हुआ।

अगली बार हम बात करेंगे इस श्रंखला के निष्कर्ष की। क्या यह वह शायरी है जो मैंने अपने चिट्ठे में दहिने तरफ अपलोड कर रखी है या फिर कुछ और। जीवन में इतने दुख नहीं हैं इस श्रंखला का निष्कर्ष तो कुछ और ही है। अगली हम बात करेंगे उस गाने की जो मेरे विचार से इस श्रंखला का निचोड़ है, उस फिल्म की जिससे वह लिया गया है।

अच्छा आपके हिसाब से कौन सा गाना होना चाहिये? कौन सा गाना प्यार का सबसे अच्छा अर्थ बताता है? क्या कहा बौबी फिल्म का यह गाना - मजाक करते हैं :-)

भूमिका।। Our sweetest songs are those that tell of saddest thought।। कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन, बीते हुए दिन वो मेरे प्यारे पल छिन।। Love means not ever having to say you're sorry ।। अम्मां - बचपन की यादों में।। रोमन हॉलीडे - पत्रकारिता।। यहां सेक्स पर बात करना वर्जित है।। जो करना है वह अपने बल बूते पर करो।। करो वही, जिस पर विश्वास हो।। अम्मां - अन्तिम समय पर।। अनएन्डिंग लव।। प्रेम तो है बस विश्वास, इसे बांध कर रिशतों की दुहाई न दो।। निष्कर्षः प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो।। जीना इसी का नाम है।।

Everything you desire – Five Point Someone

इस चिट्ठी में अंग्रेजी में लिखीं दो पुस्तकें, 'एवरी थिंग यू डिज़ाएर: अ जर्नी थ्रू आईआईएम' एवं 'फाइव पॉईंट समवन: व्हाट नॉट टु डू ऍट आईआईटी' की चर्चा है।

 गुलमर्ग में हम लोग बारिश के कारण कमरे में बन्द हो गये। कमरे बाहर की दीवाल पूरे शीशे की थी जिससे आप बाहर का आनन्द ले सकते थे। मैंने पूरा पर्दा खोल दिया और बाहर के सुन्दर दृश्य का आनन्द लेते हुऐ हर्षदीप जॉली की Every thing you desire: A journey through IIM पढ़नी शुरू कर दी। यह पुस्तक आई. आई. एम. के जीवन के बारे में है। पुस्तक अच्छी है और एक बार में ही पढ़ गया।


उसके साथ मुझे चेतन भगत की Five point some one: what not to do at IIT की या आयी। यह पुस्तक आई. आई. टी. के जीवन के बारे में है।

आई. आई. एम. और आई. आई. टी. में पढ़ने वाले विद्यार्थियों ने अपने देश में ही नहीं पर दुनिया में नाम ऊंचा किया है । हर भारतीय नवयुवक वहां जाने का सपना देखता है । यह दोनो पुस्तकें वहां के विद्यार्थियों ने लिखीं हैं और पढ़ने योग्य हैं। इन दोनों में कई समानतायें हैं।

  • यह दोनों सस्ती हैं। जब Five point some one निकली थी तो लखनऊ में, एक पुस्तक-दुकान के मालिक ने कहा,
    'इस किताब का दाम कम है इससे सारा बाजार खराब हो जायेगा।'
    मैंने उससे कहा कि वह गलत सोचता है यह किताब बहुत अच्छी लिखी है। यह भारत में अंग्रेजी पुस्तकों को नई दिशा देगी। यह बात आज सच है। जितनी कापियां इस पुस्तक की बिकी हैं उतनी कापियां किसी भी भारतीय के द्वारा अंग्रेजी में लिखी पुस्तक की नहीं बिकी हैं। यह तब है जब मीडिया ने पहले, Five point some one के बारे में, कम लिखा। जब वह सारे रिकार्ड तोड़ने लगी तब ही वह मीडिया को नजर आयी।
  • इन दोनों पुस्तकों की अंग्रेजी बहुत सरल है। आप पूरी पुस्तक पढ़ जायेंगे पर आपको शब्दकोश खोलने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आप इनमें प्रयोग किये गये सारे शब्दों को समझ सकेंगे। मेरे विचार से यह बात किसी भी पुस्तक के लिए महत्वपूर्ण है।
  • दोनों पुस्तकें तेजी से चलती है और इनमें अपना प्रवाह है। आपको इसे छोड़ने का मन नहीं करेगा।

इन दोनों की कुछ बातें मुझे अच्छी नहीं लगी। चेतन भगत कहते हैं कि,

'When one writes a book that one realises the true power of MS Word----------without this software, this book, would not be written.'
हर्षदीप जॉली लिखते हैं कि, '
An MBA students best friends- MS Word, MS Excel and MS Power point was being fully, utilised by me these days.'
मुझे अच्छा लगता कि यदि यह कहते कि ओपेन आफिस डाट आर्ग का उन्होंने प्रयोग किया :-)

लगता है कि आई.आई.टी. और आई.आई.एम. अभी तक ओपेन सोर्स की शक्ति को नहीं पहचान पाये। जितनी जल्दी यह पहचानेंगे हम उतनी तेजी से तरक्की करेगें।

मुझे दूसरी बात जो पसन्द नहीं आयी वह यह कि जब देखो तब यह लोग वोदका और रम पीने बैठ जाते हैं। यह बात सबके लिये सच
नहीं है।

मेरे बच्चे आई.आई.टी. कानपुर के पढ़े हैं। उनके कई मित्र अक्सर घर पर ठहरा करते थे। मुझे उन सब पर ऎसी कोई बात नहीं लगी। यदि यह सच भी हो तो उसके बारे में इतना ज्यादा लिखना ठीक नहीं। मुझे तो यह कुछ नकचढ़ापन सा लगता है।

Every thing you desire में कुछ और कमी लगी।

  • इसमें बहुत सारे लोगों के बारे में चर्चा है। यदि कम लोगों के बारे में होता तो अच्छा था। इससे कुछ उलझाव होता है।
  • लोगों की बातें बहुत विस्तार से है। इस तरह की सूचना में कम लोगों की दिलचस्पी रहती है। यदि इन बातों की जगह कुछ ऎसी बात ज्यादा रहती जिससे उनके चरित्र के बारे में और पता चलता तो ज्यादा अच्छा था। इस स्थिति में इसको पढ़ने वाले, इस पुस्तक के पात्रों से, अपने या अपने समय के पात्रों को जोड़ सकते थे।
Five Point some one में यह कमी नहीं है। फिर भी Every thing you desire पढ़ने योग्य है और यदि आप व्यापार से जुड़े हैं या आई.आई.एम. जाने का सपना देखते है तो जरूर पढ़िये।

अगले दिन गंडोला में क्या हुआ, लोग मुझे गुजराती समझ कर क्या करने लगे - यह सब अगली बार।

कश्मीर यात्रा
जन्नत कहीं है तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है।। बम्बई का फैशन और कश्मीर का मौसम – दोनो का कोई ठिकाना नहीं है।। मिथुन चक्रवर्ती ने अपने चौकीदार को क्यों निकाल दिया।। आप स्विटज़रलैण्ड में हैं।। हम तुम एक कमरे में बन्द हों।। Everything you desire – Five Point Someone।।



सांकेतिक शब्द
Every thing you desire: A journey through IIM, Five point some one: what not to do at IIT,
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हिन्दी पॉडकास्टिंग का एक साल

८ जुलाई २००६ - हिन्दी में मेरा पहला पॉडकास्ट और तब से एक साल में ३२ पॉडकास्ट। इन्हें १३९३ बार सुना गया। अथार्त हर महीने दो से ज्यादा पॉडकास्ट - प्रतिदिन लगभग तीन बार सुना गया।

बहुत बड़ी तो उपलब्धि तो नहीं पर - यह देखते हुऐ कि यह पॉडकास्ट मुख्यतः पेटेंट और आज की दुर्गा की चिट्ठियों के हैं - कम भी नहीं कहे जा सकते। यह विषय न केवल गंभीर हैं, पर मुश्किल भी।

जैसे अरुणा जी का कहना है कि, पॉडकास्ट के जरिये हम उन लोगों तक पहुंच सकेते हैं जो देवनागरी पढ़ नहीं सकते पर समझ सकते हैं - पॉडकास्ट आने वाले समय में और महत्वपूर्ण होंगे और उनकी भूमिका बढ़ेगी।

देखते हैं यह साल पॉडकास्टिंग के लिये कैसा रहता है।


क्या रहे मेरे अनुभव, क्यों मैंने ogg फॉरमैट को छोड़ कर mp3 में पॉडकास्ट करना शुरू कर दिया - यह सब सुनने के चिन्ह ► तथा बन्द करने के लिये चिन्ह ।। पर चटका लगायें।

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यौन शिक्षा

यह लगभग २० साल पहले की बात है। मुन्ना स्कूल में पढ़ता था। उसका सबसे अच्छा दोस्त, एक मुस्लमान लड़का, अब्दुल (नाम बदल दिया है) हुआ करता था। उस समय हमारे कस्बे में हिन्दू-मुस्लिम दंगा हो गया - गोली और बम भी चले। घर में बहस के दौरान मैंने गोली और बम चलाने वालों के खिलाफ बात की। मुन्ने ने कहा,
'पापा तुमको यह देखना चाहिये कि गलती किसकी है, किसने बवाल शुरू किया। तुम तो बस गोली चलाने वालों की आलोचना कर रहे हो। यह तो देखो गलती किसकी है।'
मेरा जवाब था,
'गलती किसकी है, कैसे हुई - यह इसलिये जरूरी है कि आगे इस तरह का हादसा न हो पाये पर इस समय सबसे महत्वपूर्ण बात गोली और बम का रोका जाना। गोली और बम चलाने वाले यह नहीं देखते कि वे किस पर चला रहें हैं। गलती कोई करता है गोली और बम किसी और को लगती है। हो सकता है कि अगली गोली तुम्हारे मित्र अब्दुल को लगे तो तुम क्या कहोगे या तुम को लगे तो अब्दुल क्या कहेगा।'
मुन्ने ने प्रतिवाद नहीं किया। बाद में, वह मेरी बात का समर्थन करने लगा। आप यह सोच रहें होंगे कि इस घटना का इस शीर्षक से क्या संबन्ध है। बताता हूं धैर्य रखिये।

यौन शिक्षा के बारे में बात करने से पहले, दो शब्द तसलीमा नसरीन के बारे में।

तसलीमा नसरीन एक जानी मानी शख्सियत हैं। मैं उन्हें नहीं जनता हूं, न ही कभी मिलने का मौका मिला है। समयाभाव के कारण, मैं उनके द्वारा लिखा कोई लेख या पुस्तक अभी तक नहीं पढ़ पाया हूं - समय मिलते ही जरूर पढ़ना चाहूंगा। अब चलते हैं यौन शिक्षा पर और चर्चा शुरु करते हैं शोभा नरायन के टाईम पत्रिका के ११ जून २००७ के अंक में निकले 'द पेरेंट ट्रैप' नाम के लेख से।

शोभा नरायन एक लेखिका हैं। उन्होनें 'मानसून डायरी' नामक एक चर्चित पुस्तक लिखी है। वे दो बेटियों की मां हैं। टाईम पत्रिका में लिखे लेख में, वे इस बात पर चिन्ता प्रगट कर रही हैं कि वे कब और किस तरह से अपनी बेटियों को समाज पल रहे यौन भक्षक भेड़ियों के बारे में बतायें। वे इसमें भारत सरकार के द्वारा १३ राज्यों मे किये सर्वेक्षण के नतीजों के बारे में बता रहीं हैं जिसमें यह बताया गया है कि भारत में हर दो बच्चों में से एक बच्चा यौन प्रताणना का शिकार है। वे उसमें उस सर्वेक्षण के बारे में भी बताती हैं जिसमें यह पाया गया है कि अधिकतर बलात्कार तथा यौन प्रताणना जान पहचान के व्यक्ति के द्वारा ही की जाती है। इस विषय पर राय कायम करने के पहले इस लेख को भी पढ़ें।

यौन शिक्षा का विरोध करने वाले, इसका अर्थ केवल संभोग, या फिर जनन समझते हैं। यह ठीक नहीं है।

संभोग, जनन - यौन शिक्षा का एक विषय है पर यौन शिक्षा में उसके अतिरिक्त बहुत कुछ और है जो कि इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है। उदाहरणार्थ, यौवनारंभ (age of puberty) के समय लड़के और लड़कियों में न केवल शारिरिक, पर भावनात्मक परिवर्तन भी होते हैं। लड़के अक्सर जिद्दी हो जाते हैं, बात नहीं सुनते। कई लड़कियों को रजोधर्म (menstruation) के शुरु होते समय बदन में ऐंठन (cramp), जीवन में उदासी, खिन्नता, निराशा (depression) होने लगती है। कईयों को यह नहीं भी होता है। यह प्राकृतिक है। यह न केवल लड़के और लड़कियों को समझना चाहिये पर उनके घरवालों को भी। मैंने केवल एक उदाहरण दिया है, इस तरह का बहुत कुछ यौन शिक्षा के अंदर आता है जिसका संभोग या जनन से कोई सीधा संबन्ध नहीं।

'हमने जानी है जमाने रमती खुशबू' श्रंखला के अन्दर 'यहां सेक्स पर बात करना वर्जित है' चिट्ठी में मैंने यह बताने का प्रयत्न किया कि कैसे यौन शिक्षा मुझे मिली या कैसे मैंने इसे अगली पीढ़ी को दी। इसके बाद संजय जी ने 'बाल यौन-शोषण पर अन्यथा' नाम की चिट्ठी लिखी। मैंने टिप्पणी की,
' अपने लेख में यौन शोषण और परिवार में यौन उत्पीड़न के बारे में दबी जबान से लिखा है। यह उससे कहीं ज्यादा है जिसे समाज स्वीकार करना चाहता है।
बाल यौन शोषण में अक्सर चरम सीमा पहुंचने के बाद बच्चों की मृत्यु हो जाती है। निठारी में बच्चों की मृत्यु का सबसे संभावित कारण यही है। इसके लिये बड़े जिम्मेवार हैं क्योंकि उन्हें यौन शिक्षा ठीक से मिली नहीं।
यदि कोई अध्यापक विषय को ठीक से न पढ़ा पाये तो गलती अध्यापक की है न कि विषय की।'


मैं इसके बाद संजय जी की चिट्ठी में बतायी गयी पत्रिका अन्यथा पर भी गया, उसके लेख पढ़े। इसमें एक लेख 'यौन शोषण की समस्या और हिन्दी कथा साहित्य' पर है। यह लेख तसलीमा नासरीन की कविता से शुरू होता है।
'मैंने उस दिन रमना में देखा एक लड़का / लड़की खरीद रहा है
मेरी भी वही इच्छा होती है/ एक लड़का खरीद लाऊँ।
पेट गरदन पर गुदगुदी दे कर हसाऊं/ घर ले आऊँ और हील वाली जूती से/
ताबड़तोड़ कर पीट कर छोड़ दू/ जा साले!
.............................................
मेरी बड़ी इच्छा होती है लड़का खरीदने की
जवान जवान लड़के/ छाती पर उगे घने बाल
उन्हें खरीदकर पूरे तरह से रौंद कर
सिकुड़ अंडकोश पर जोर से लात मार कर कहूं/ भाग स्याले।'
(तसलीमा नसरीन की कवितायें 'उल्टा लेख' पृ. ७६)

मैंने कई बार सोचा कि इस कविता को अपने चिट्ठे पर न लिखूं और केवल लिंक दे दूं पर शायद इसको प्रकाशित किये बिना मेरी बात पूरी न हो पाती इसलिये बहुत हिम्मत कर इसे प्रकाशित किया है। इसके लिये चिट्ठाकार बन्धु माफ करेंगे।

मैं नहीं जानता कि यह कविता जानी मानी शख्सियत तसलीमा जी की कविता है या किसी और की। मैं यह भी नहीं जानता कि यह किसी कविता का भाग है कि पूरी कविता। मैं नहीं कह सकता कि यह किस संदर्भ में लिखी गयी है। मैं आशा करता हूं कि इस कविता का वह अर्थ नहीं होगा को कि उद्धरित भाग से लग रहा है।

कहा जाता है कि कवितायें, चित्रकारी, कल्पना शक्ति, गुमान, fantasy, अवचेतन मस्तिक्ष की दबी इच्छायें होती हैं। मेरे विचार से यौन शिक्षा की एक महत्वपूर्ण भूमिका यह भी है कि लोग यह भी समझ पावें कि,
  • महिला या बालिका शोषण का हल, बालक शोषण नहीं है। बालक भी, उतने ही यौन शोषण के शिकार होते हैं जितना कि बालिकायें या फिर महिलायें।
  • बच्चों को ही नहीं पर बड़ो को भी यौन शिक्षा की जरूरत है। हां पहले ठीक से मिली हो तो शायद फिर जरूरत पड़े।

बस इसलिये मुझे २० साल पहले की घटना याद आ गयी। गलती किसी की और सजा किसी नादान को।

इस चिट्ठी में, मैंने, अपने विचार रखने का प्रयत्न किया है। मेरा मकसद किसी की भावनायें आहत करने का या दुख पहुंचाने का नहीं है। अज्ञानवश यदि किसी की भावनायें आहत हुई हैं या दुख पहुंचा हो, तो क्षमा करेंगे।

हम तुम एक कमरे में बन्द हों

हम लोग पहलगांव से गुलमर्ग पहुंचे। गुलमर्ग लगभग ९,००० फीट पर है। कहा जाता है कि यहां शिव-पार्वती का निवास है इसलिये यह गौरीमर्ग कहलाता था। सोलहवीं शताब्दी में कश्मीर के सुलतान यूसुफ शाह ने इसका नाम गुलमर्ग कर दिया अर्थात फूलों की घाटी।

गुलमर्ग में एक मन्दिर है जिसमें 'आप की कसम' फिल्म के गाने 'जय जय शिवशंकर' के कुछ भाग की शूटिंग हुई है। इसकी शूटिंग श्रीनगर के शंकराचार्य मंदिर में हुई है।


बॉबी हट, जैसा हमें बतायी गयी

गुलमर्ग में 'बौबी हट' है। इस फिल्म के एक गाने 'हम तुम एक कमरे में बन्द हों' की शूटिंग इसी हट में हुई है।

गुलमर्ग में १८ होल का गोल्फ कोर्स है। यह दुनिया का सबसे ऊंचा पर स्थित गोल्फ कोर्स है। यह बहुत सुन्दर है पर यह बहुत अच्छी स्थिति में नहीं था। इस पर कोई भी खेल नहीं रहा था।

यहां एक तारगाड़ी (rope way) 'गंडोला' है। हम लोग घूमने के लिए निकले तो पानी बरसने लगा । पहलगांव में मौसम हमारे साथ रहा पर गुलमर्ग में नहीं । वापस होटल आ गये। बीच-बीच में पानी बरसता रहा, बाहर नहीं जा पाये। उस दिन तारगाड़ी पर नहीं चढ़ पाये।

हम लोग तो कमरे में ही बन्द हो गये। कमरे में बाहर की दीवाल पर शीशा था। बस बाहर का नजारा देखते हुऐ, मैंने Every thing you desire: A journey through IIM by Harshdeep Jolly पढ़नी शुरू कर दी तो उसी में डूब गया।

गुलमर्ग में ठंड के मौसम में बर्फ रहती है। अंतरजाल पर चहल कदमी करते हुऐ मुझे उस मौसम के यह चित्र मिले। लगता है कि इस मौसम में भी गुलमर्ग जाना पड़ेगा।


कश्मीर यात्रा
जन्नत कहीं है तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है।। बम्बई का फैशन और कश्मीर का मौसम – दोनो का कोई ठिकाना नहीं है।। मिथुन चक्रवर्ती ने अपने चौकीदार को क्यों निकाल दिया।। आप स्विटज़रलैण्ड में हैं।। हम तुम एक कमरे में बन्द हों।।

विवाह सम्बन्धी अपराधों के विषय में: आज की दुर्गा

(इस बार चर्चा का विषय है वैवाहिक सम्बन्धी अपराध। इसे आप सुन भी सकते हैं। सुनने के चिन्ह ► तथा बन्द करने के लिये चिन्ह ।। पर चटका लगायें।)

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लैंगिक न्याय से सम्बन्धित, सबसे ज्यादा विवादास्पद विषय दण्ड न्याय का है। यहां पर न केवल लैंगिक न्याय को देखना है पर उसका अभियुक्त के अधिकारों के साथ ताल- मेल भी बैठाना है।

इसके पहले कि हम इस विषय पर हम नजर डालें, भारतीय दण्ड संहिता (Indian Penal Code) में विवाह सम्बन्धी अपराधों के विषय की दो धाराओं -
धारा ४९७ (Adultery) और ४९८ (Enticing or taking away or detaining with criminal intent a married woman) - की चर्चा करना ठीक रहेगा। पर इन्हीं दो को क्यों?

विवाह सम्बन्धी अपराध, भारतीय दण्ड संहिता के २०वें अध्याय में हैं। इस अध्याय में छः धारायें हैं पर इन दो धारओं के बारे में, भारत सरकार के द्वारा गठित, राष्ट्रीय महिला आयोग ने इन्हें यह कहते हुऐ हटाने की मांग की थी कि,
  • यह धारायें १९वीं शताब्दी की मान्यता को बनाये रखती हैं;
  • इन मान्यताओं में पत्नी को पति की सम्पत्ति माना जाता था; और
  • यह धारायें पत्नियों को पति से न्याय दिलाने में मुश्किल पैदा करती हैं।

गलत आचरण और कानून में अन्तर
आचरण कानूनी तौर पर गलत हो सकता है और अपराध भी, पर इन पर इन दोनों में अंतर है। यदि कोई आचरण, कानून के विरूद्घ है तो वह कानूनी तौर पर गलत आचरण है। सारे कानूनी तौर पर गलत आचरण के लिये सजा नहीं है और जिनके लिये है वे अपराध या फिर जुर्म कहलाते हैं। अर्थात हर अपराध, कानूनी तौर पर गलत आचरण होता है पर हर गलत आचरण अपराध नहीं होता है।

कानूनी तौर पर गलत आचरण - यदि वह अपराध न भी हो तो भी - के व्यावहारिक परिणाम (civil consequences) हो सकते हैं।

धारा ४९७ - भारतीय दण्ड संहिता
किसी विवाहित व्यक्ति के लिए अपने पती/पत्नी की अनुमति के बिना, किसी अन्य व्यक्ति के साथ संभोग करना कानूनी तौर पर गलत आचरण है पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा ४९७ केवल उस पुरूष को दण्डित करती है जो कि किसी विवाहित महिला के साथ उसके पति की अनुमति के बिना संभोग करता है। यहाँ यह आचरण विवाहित महिला के लिए अपराध नहीं है।

यदि कोई विवाहित पुरूष किसी अविवाहित महिला के साथ अपनी पत्नी की अनुमति के बिना संभोग करता है तो यह अपराध नहीं है हालांकि कि यह कानूनी तौर पर गलत आचरण है।

जैसा मैंने पहले बताया है कि कानूनी तौर पर गलत आचरण के व्यावहारिक परिणाम हो सकते हैं। उपर बताये गये, कानूनी तौर पर गलत आचरण (जो अपराध नहीं हैं) पर तलाक हो सकता है।

धारा ४९७ - भारतीय दण्ड संहिता
इसी तरह से भारतीय दण्ड संहिता की धारा ४९८, विवाहित महिला को गलत इरादे से संभोग करने के लिये भगा ले जाने को, अपराध करार करती है।

दण्ड प्रक्रिया की धारा १९८ (२) के अंतर्गत, इन दोनों अपराधों की संज्ञान भी खास परिस्थिति में ही लिया जा सकता है। अथार्त सब लोग इस बारे में शिकायत नहीं कर सकते हैं।

दुनिया के बहुत सारे देशों में इस तरह के आचरण को अपराधों की श्रेणी में नहीं रखा गया है पर तलाक लिया जा सकता है।

इन धाराओं की वैधता
यह दोनों धाराओं में महिलाओं से पक्षपात परिलक्षित होता है। इन दोनों धाराओं की वैधता को उच्चतम न्यायालय में Alamgir Vs. State of Biihar (१९५९) में चुनौती दी गयी थी। न्यायालय ने माना कि,
‘The provisions of S. 498 like those of S 497 are intended to protect the rights of the husband and not those of the wife.

The policy underlying the provisions of S. 498 may no doubt sound inconsistent with the modern notions of the status of women and of the mutual rights and obligation under marriage.'
'[It] is a question of policy with which courts are not concerned.'

धारा ४९८, के प्राविधान धारा ४९७ की तरह पतियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिये है न कि पत्नियों के अधिकारों के लिये।
...
आज के समय में धारा ४९८ की नीति, महिलाओं की सामाजिक स्थिति एवं शादी के आपसी अधिकारों व कर्तव्य से असंगत है।

...
यह नीति के सवाल हैं और इनका न्यायालय से कोई सम्बन्ध नहीं है।

यह सब स्वीकारने के बाद भी, न्यायालय ने, इन धाराओं को वैध मान लिया। बाद के फैसलों में भी यही मत रहा। अब तो शायद, संसद को ही कुछ करना पड़े या क्या मालुम कोई महिला न्यायमूर्ति आये - वही कुछ करे। महिला न्यायमूर्तिं ही क्यों?

यह भी एक रोचक विषय है कि,
  • न्यायमूर्तीगण फैसला किस प्रकार से देते हैं;
  • महत्वपूर्ण फेसला देते समय, वे क्या देखते हैं;
  • किस कारण से, उनके बीच मतभेद हो जाता है; और
  • महत्वपूर्ण फैसला देते समय, वे किन कारणों पर विचार करते हैं?

इस बारे में सबसे प्रसिद्ध पुस्तक अमरीका के
न्यायमूर्ति कारडोज़ो ने 'The Nature of Judicial Prcess' (१९२१) के नाम से लिखी है। यह वास्तव में येल विश्वविद्यालय के सामने दिये गये 'स्टोरस् भाषण' (Storrs Lectures) हैं। यह आसान विषय नहीं है, लम्बा चलने वाला है - समय रहा तो इस पर भी लिखूंगा पर अभी तो यह श्रंखला समाप्त करनी है। इसमें अगली बार चर्चा रहेगी - यौन अपराधों के बारे में। इसमें हम देखेंगे कि किस तरह से इनसे संबन्धित कानून में परिवर्तन आया।

आज की दुर्गा
महिला दिवस|| लैंगिक न्याय - Gender Justice|| संविधान, कानूनी प्राविधान और अंतरराष्ट्रीय दस्तावेज।। 'व्यक्ति' शब्द पर ६० साल का विवाद – भूमिका।। इंगलैंड में व्यक्ति शब्द पर इंगलैंड में कुछ निर्णय।। अमेरिका तथा अन्य देशों के निर्णय – विवाद का अन्त।। व्यक्ति शब्द पर भारतीय निर्णय और क्रॉर्नीलिआ सोरबजी।। स्वीय विधि (Personal Law)।। महिलाओं को भरण-पोषण भत्ता।। Alimony और Patrimony।। अपने देश में Patrimony - घरेलू हिंसा अधिनियम।। विवाह सम्बन्धी अपराधों के विषय में
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