नानी ए. पालकीवाला - एक जीवनी:

किताबी कोना की इस चिट्ठी में एम. वी. कामथ ( MV Kamath) के द्वारा लिखी पुस्तक नानी ए. पालकीवाला एक जीवनी (Nani A Palkhiwala A Life) की समीक्षा है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें।

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यदि यह प्रश्न पूछा जाए कि २०वीं शताब्दी में भारत में सबसे बड़ा अधिवक्ता कौन हुआ तो नि:सन्देंह इसका उत्तर होगा नानी पालकीवाला। उनकी जीवनी पर एक पुस्तक नानी ए. पालकीवाला ए लाइफ (Nani A Palkhiwala A Life) प्रकाशित हुई है। इस पुस्तक को एम. वी. कामथ ( MV Kamath) - जो कि टाइम्स आफ इंडिया के पेरिस व वाशिंगटन में संवाददाता रह चुके हैं और फ्री प्रेस जर्नल (Free Press Journal) एवं द इलेस्ट्रेड वीकली आफ इंडिया (The Illustrated weekly of India) के सम्पादक रह चुके हैं - ने लिखा है।



नानी पालकीवाला पारसी थे और इस पुस्तक के प्रथम अध्याय में पारसियों का इतिहास भी लिखा है। उनके बीच एक प्रचलित प्रसंग है कि सर्वप्रथम जब पारसी भारत आए तो उनको एक हिन्दू राजा ने दूध से भरा हुआ बर्तन भेजा। जिसका अर्थ था, 
'यहाँ पर औरों के लिए जगह नही है।'
उनके साथ आये पारसी संत ने उसमें चीनी घोल कर उसे वापस भेज दिया। जिसका अर्थ था,
'हम आप लोगों के साथ न केवल मिल-जुल जायेगें बल्कि आपको समृद्वि करेगें। हमको यहाँ रहने की अनुमति दी जाए।'
पारसी संत की बात सच निकली। पारसियों के  भारत में रहने के कारण हमारा समाज समृद्वि ही हुआ है। 
   
पालकीवाला ने सारी पढ़ाई  भारत में ही पूरी की। वे कभी बाहर पढ़ने नही गये। उन्हें हमेशा लगता था कि भारत में शिक्षा की पर्याप्त सुविधाएं है। वे  कहते है:-
'It  is  not where you learn but what you learn that makes for success.'
यह जरूरी नहीं है कि आपने कहाँ से पढ़ाई की है पर आप क्या सीखते हैं वही सफलता की कुजीं है।
आजकल जिसको देखो वही बाहर पढ़ने जा रहा है और अपने महत्वपूर्ण इसलिए बताता है कि उसने  वह कहाँ से पढ़ा है, न कि वहां क्या पढ़ा है।
   
इनका उपनाम पालकीवाला इसलिए पड़ा क्योंकि उनके पूर्वज पालकी बनाते  थे। पालकीवाला की शादी उनकी बचपन की मित्र नागरेश से हुई  जो उनसे समृद्वि  घराने की थी।  वह अक्सर कुछ न कुछ भेंट इनके परिवार के लिए  लाया करती थी। यह  पालकीवाला को पसंद नही था। उन्होंने भेंट लाने के लिए मना किया।


मुझे इस पुस्तक में उनके बारे में लिखी  एक बात  अजीब लगती है जिसमे लिखा है कि  उन्होंने निर्णय लिया, कि वे अपने जीवन में कोई बच्चा पैदा नहीं करेगें। मै नहीं जानता कि यह सच है अथवा नहीं। यह केवल इसलिए लिखा गया कि उनके कोई बच्चा नहीं हुआ या इसलिए कि यह एक सोचा विचारा निर्णय था। यदि यह सोच विचार कर निर्णय लिया गया था तो मेरे विचार से,  अच्छा निर्णय नहीं  है।  व्यक्तित्व  के निखार के लिए समाज की भूमिका  महत्वपूर्ण है फिर भी, जनतिकी (genetics) को  नहीं नकारा जा सकता। आने वाले समाज में एक बुद्विमान वंशावली  न छोड़ जाना उचित नहीं।
   
नानी  पालकीवाला किसी पंथ  पर विश्वास नहीं करते थे यह विश्वास करते थे कि कोई शक्ति विद्यमान है जिसके आधीन हम सब हैं। वे भाग्य पर भी विश्वास करते थे। उन्होंने अपने जीवन में बहुत सारे निर्णय लिए जो उनकी आत्मा ने उन्हें  लेने के लिए प्रेरित किया। यह गणितज्ञय रामानुजम की से तरह हुआ जो कहा करते थे कि उन्हें उनकी देवी आकर इन्हें सब कुछ बताती है। यही कारण था कि नानी  पालकीवाला बहुत सारे महत्वपूर्ण पदों जैसे  अटार्नी जनरल,  सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश का पद ठुकरा दिया। वे भारत सरकार की तरफ से अंर्तराष्ट्रीय न्यायालय में वकील तो रहे पर सरकारी पद की  तौर पर उन्होंने  मात्र अमेरिका के राजदूत बनने का पद स्वीकार किया जो  उन्हें आपातकाल के बाद १९७७ में  दिया गया था।
   
नानी  पालकीवाला ने अपना सम्पूर्ण पैसा  दान में दे दिया।  जब वह एक बार मद्रास गये तो उन्हें शंकर नेत्रालय (आंख की अस्पताल)  पसंद आया।  वहां के डाक्टरों ने बताया कि वे वेतन पर है और जो अधिक पैसा आता है वह अस्पताल में चला जाता है।  उन्होनें उनको बम्बई में मिलने के लिए कहा। इसके बाद अपने सारे शेयर जिसका मूल्य वर्ष १९९७ में ५१.६१ लाख  रूपया था,  नेत्रालय को दान कर दिया। उसके बाद  एक करोड़ रूपया भी और अनुसंधान हेतु  दिया । इस पुस्तक में उन मुकदमों का भी विवरण है जिसमें पालकीवाला ने फीस नही ली। बल्कि  अपने मुवाक्किलों को उसे किसी धर्मार्थ हेतु किसी न्यास में दान  देने को कहा।
   
पालकीवाला भारत में चले लगभग सारे महत्वपूर्ण मुकदमों में से एक - आपातकाल के दौरान  हैबियस कॉरपस का केस - को छोड़ कर सभी में याची के वकील रहे। मैं नहीं कह सकता कि वे आपातकाल के दौरान  हैबियस कॉरपस का केस में क्यों नहीं वकील रहे। इस पुस्तक में भी यह नहीं बताया गया है पर यह सच है कि सुश्री इंदिरा गांधी के द्वारा आपातकाल लगाने के कारण, उन्होंने  उनका मुकदमा वापस कर दिया था। 


पालकी वाला के द्वारा बहस किये गये मुकदमों में केशवानन्द भारती का मुकदमा सबसे महत्वपूर्ण मुकदमा था। जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि संसद, संविधान के मूलभूत ढाँचें में परिवर्तन नही कर सकती है। 


भविष्य, पालकीवाला को न केवल अच्छे अधिवक्ता के रूप में याद करेगा पर उनके  द्वारा प्रत्येक साल दिया गया बजट के भाषण के कारण भी। यह उन्होनें वर्ष १९५० के दशक में शुरू किया और वर्ष १९९४ तक दिया।  जब  एक दिन उन्हें लगा कि वह भाषण नहीं देना चाहिए तब उन्होंने बंद कर दिया।
   
 यह पुस्तक एक जीवनी है किन्तु यह जीवनी की तरह न लिखकर, एक रिपोर्ट की तरह प्रकाशित की गयी है। इस कारण, इसमें  व्यक्तिगत स्पर्श (personal touch)   का अभाव लगता है।  जीवनी  समय के  क्रम में होनी चाहिए।  यह भी इसमें नहीं है। यह  इस पुस्तक की कमियां है।  यह पुस्तक इससे  कहीं बेहतर   तरीके से लिखी जा सकती थी।  इसके बावजूद भी, यह  पढ़ने योग्य है क्योंकि यह एक महान व्यक्ति के बारे में है जो न केवल प्रेरणादायक है बल्कि एक बेहतर समाज बनाने की मिसाल  भी पेश करती है।


yah post 'Nani A Palkhiwala  A Life MV Kamath' naamak pustak kee smeekshaa hai. yah hindee {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post is review of the book 'Nani A Palkhiwala  A Life MV Kamath'. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.



सांकेतिक शब्द
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फूलों के रंग से ... लिखी ... पाती

सिक्किम यात्रा की इस कड़ी में युमथांग घाटी और गर्म पानी के झरने की चर्चा है।

युमसंगडॉन्ग से वापसी पर, हमें युमथांग घाटी और गर्म पानी का झरना देखना था। युमथांग घाटी फूलों की घाटी है। यहाँ पर जाने के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल का होता है हम लोग वहां मई के अन्त में पहुंचे थे। इस समय तक अधिकतर फूल समाप्त हो चुके थे लेकिन युमथांग घाटी युमसंगडॉन्ग और, के बीच तरह -तरह के लाल, नारंगी, बैगनी, पीले और सफेद रंग के फूल थे। इन रंगों में भी, कुछ गहरे थे तो कुछ हल्के और बहुत सुन्दर लग रहे थे। रास्ते मे एक जगह ड्राइवर ने गाड़ी रोकी और एक सफेद फूल तोड़कर लाया। उसकी महक बहुत अच्छी थी। उसने बताया, इसे फले मेहतो कहते हैं और कालिम्पॉङ में इस फूल से अगरबत्ती बनायी जाती है।



वापस लौटते समय, हम लोगों के सामने से एक जानवर भी गुजरा जो काले रंग का था तथा उसकी पीठ सफेद रंग की थी। यह ऊदबिलाव जैसा था और ड्राइवर के मुताबिक माल-सापटो है। मैं नहीं समझ पाया कि यह क्या है और इसका अंग्रेजी में क्या नाम है।


रास्ते में पत्थरों पर नारंगी/ लाल रंग था। मुझे पहले लगा कि इन्हे रंगा गया है पर एक जगह मैंने उन्हें छू कर देखा तो लगा कि यह प्राकृतिक है। लगता है कि उनमें आयरन है जो कि आक्सीजन के साथ प्रक्रिया करने के कारण इस रंग के हो गए हैं। मंगल ग्रह भी, इसी कारण लाल रंग का दिखायी पड़ता है और सेब काटने के बाद रंग बदल देता है।


रास्ते मे चीड़ के पेड़ भी थे । इन पेड़ो में डाल समाप्त होने की जगह लाल व पीला/ धानी रंग का फूल सा दिखाई पड़ रहा था। ऎसा लगता था कि बड़े दिन पर क्रिस्मस का पेड़ सजा हुआ है। मैंने एक जगह पास जाकर देखा तो पता चला कि यह फूल नहीं है पर नयी पत्तियां निकल रही है।


युमथांग घाटी लाचुन नदी पर है और यह एक सुन्दर सी जगह है । हम लोगो नें सुबह नाश्ता नही किया था, अपने साथ ले गये थे। यहीं पर नाश्ता किया और चाय पी।


युमथांग घाटी के पास ही गर्म पानी का झरना है। लोगो ने बताया कि इसमे नहाने से त्वचा की बीमारियां ठीक हो जाती है। इस पानी में सल्फर मिला हुआ है।

गर्म पानी के झरने पर पहुंच कर मुझे अपने स्कूल कि रसायन शास्त्र के प्रयोगशाला की याद आयी क्योंकि वहां पर कुछ उसी तरह की गन्ध आ रही थी। मैंने पानी से कुल्ला भी किया तो उसका स्वाद अजीब सा था। यह पानी में सल्फर मिले होने के कारण था। पानी बहुत गर्म था। वहां कुछ समय रह कर हम लोग वापस होटल चले आए और सामान बांधकर वापस गैंगटॉक चल दिए। इसी रास्ते में हमारी मुलाकात उन शख्स से हुई जिसके बारे में मैंने, 'क्या आप इस शख्स को जानते हैं?' चिट्टी में लिखा था।

अगली बार, गैंगटॉक के बारे में।

सिक्किम यात्रा
क्या आप इस शख्स को जानते हैं?।। सिक्किम - छोटा मगर सुन्दर।। गैंगटॉक कैसे पहुंचें।। टिस्ता नदी (सिक्किम) पर बांध बने अथवा नहीं।। नाथुला पास – भारत चीन सीमा।। क्या ईसा मसीह सिल्क रूट से भारत आये थे।। मंदाकिनी झरना - 'राम तेरी गंगा मैली' फिल्म वाला।। सात राजकुमारियां, जिन्होंने प्रकृति से शादी कर ली।। तारीफ करूं क्या उसकी जिसने तुझे बनाया।। फूलों के रंग से ... लिखी ... पाती।।

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Sikkim Yatra kee is post per Yumthang ghatee aur garm paani ke jharne kee charchaa hai. yeh hindi (devnagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post describes Yumthang valley and hot springs in Sikkim. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.


सांकेतिक शब्द
Gangtok, Sikkim, Yumthang valley, hot springs, गैंगटॉक, सिक्किम,
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निष्कर्ष: बेथलेहम के उपर चमकने वाला तारा क्या था

बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां श्रंखला की इस अन्तिम कड़ी में चर्चा है कि क्या ईसा मसीह के जन्म के समय बेथलेहम के उपर चमकने वाला तारा अधिनव तारा (supernova) था। यह हिन्दी देवनागरी लिपि में है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें।


आर्थर सी कलार्क (Arthur C Clark) की लिखी विज्ञान कहानी द स्टार (The Star) के मुताबिक बेथलेहम के उपर चमकने वाला तारा अधिनव तारा (supernova) था।
'उन्मुक्त जी, क्या यह सच है? क्या बेथलेहम के उपर चमकने वाला तारा वास्तव में अधिनव तारा था?' 
मेरी जानकारी में इस तरह के अधिनव तारे के बारे में कोई सबूत नहीं मिलते हैं।
'तो फिर वह तारा क्या था?'
मेरे विचार से यदि उस समय वास्तव में कोई तारा निकला होगा तो वह,
  • अधिनव तारा ही होगा, जिसके बारे में अभी तक हमें कोई तथ्य नहीं मिले, या फिर
  • उस समय तो नहीं पर उसके आगे पीछे कोई पुच्छल तारा या ग्रह एक साथ मिल गये थे जिसे लोगों ने ईसा मसीह के महत्व बताने के लिये उनके जन्म से जोड़ दिया, या फिर
  • यह केवल कोरी कल्पना है। बस ईसा मसीह के जन्म को महत्वपूर्ण बनाने के लिये कही जाने लगी है।
इसी के साथ यह श्रंखला भी समाप्त होती है।


'अरे उन्मुक्त जी, आप यह श्रंखला कैसे समाप्त कर सकते हैं। आपने इस श्रंखला की भूमिका लिखते समय दूसरे और तीसरे चित्र के लिये क्रैब निहारिका (Crab Nebula) नेब्युला और अमेज़िंग स्टोरीस् (Amazing stories) पत्रिका के पहले अंक को चुना था और कहा था कि आपने दूसरे और तीसरे चित्र का प्रयोग जान-बूझ कर किया है। इसका कारण भी आपको इस श्रंखला के अन्त होते, होते समझ में आयेगा। मुझे तो नहीं समझ में आया।'
Crab nebula movieImage by dgoodin via Flickr


मेरे विचार से यदि उस समय कोई तारा नहीं निकला था। यह केवल ईसा मसीह के जन्मदिन को महत्वपूर्ण बनाने के लिये, लोगों ने यह बात गढ़ थी। लेकिन यदि यह सत्य है तो वह अवश्य ही अधिनव तारा होगा। इसलिये मैंने क्रैब निहारिका (Crab Nebula) नेब्युला का प्रयोग किया था क्योंकि यह अधिनव तारे के कारण ही बनी है।


 चित्र विकिपीडिया के सौजन्य से

विज्ञान कहानियों को मिलने वाले पुरुस्कारों में सबसे महत्वपूर्ण पुरुस्कार ह्यूगो पुरूस्कार है। इसमें फिल्मों के ऑस्कर पुरूस्कार की तरह, कई श्रेणियां हैं। इसमें से एक श्रेणी है छोटी कहानियों के लिये भी है। द स्टार कहानी को १९५३ में  छोटी कहानियों के लिये ह्यूगो पुरूस्कार मिला था। यह पुरुस्कार अमेजिंग स्टोरीस के संस्थापक  ह्यूगो जेर्स्बैक के नाम पर   दिया जाता है। इसलिये मैंने इस पत्रिका के पहले अंक का चित्र छापा था।

इसी के साथ मैं इस श्रंखला से विदा लेता हूं और जल्द ही दूसरी नयी श्रंखला के साथ हाज़िर होउंगा - विदा।

बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां
भूमिका।। प्रभू ईसा का जन्म बेथलेहम में क्यों हुआ?।। क्रिस्मस को बड़ा दिन क्यों कहा जाता है।। क्या ईसा मसीह सिल्क रूट से भारत आये थे।। बेथलेहम का तारा क्या था।। बेथलेहम का तारा उल्कापिंड या ग्रहिका नहीं हो सकता।। पिंडों के पृथ्वी से टक्कर के कारण बने प्रसिद्ध गड्ढ़े।। विज्ञान कहानियां क्या होती हैं और उनका मूलभूत सिद्धान्त।। विज्ञान कहानियों पर पुरुस्कार।। उल्का, छुद्र ग्रह, पृथ्वी पर आधारित विज्ञान कहानियां और फिल्में।। धूमकेतु या पुच्छल तारा क्या होते हैं।। हैली धूमकेतु।। पुच्छल तारों पर लिखी विज्ञान कहानियां।। बेथलेहम का तारा - ग्रह पास आ गये थे।। ग्रहण पर आधारित कहानियां।। जब रात हुई।। तारे, उनका वर्गीकरण, और वे क्यों चमकते हैं।। तारों का अन्त कैसे होता है।। वह तारा।। निष्कर्ष: बेथलेहम के उपर चमकने वाला तारा क्या था

हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
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यह ऑडियो फइलें ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप -
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is post per charchaa hai ki kya bethlehm tara supernova tha. yeh hindi (devnagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post discusses whether star of Bethelehm was supernova. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.



सांकेतिक शब्द
star, तारे,

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