भाषायें लुप्त हो जाती हैं - गणित के सिद्घान्त नहीं

इस चिट्ठी में, एयोस्टोलोस डॉक्सिएडिस द्वारा लिखित उपन्यास, 'अंकल पेट्रोस एण्ड गोल्डबाकस् कंजेक्चर' की चर्चा है।
इस चिट्ठी को, सुनने के लिये यहां चटका लगायें। यह पॉडकास्ट ogg फॉरमैट में है। यदि सुनने में मुश्किल हो तो दाहिने तरफ का विज़िट, 'मेरे पॉडकास्ट बकबक पर नयी प्रविष्टियां, इसकी फीड, और इसे कैसे सुने' देखें।


गोल्डबाक  १८वीं शताब्दी के गणितज्ञ थे। ७ जून १७४२ को उन्होंने जर्मन गणितज्ञ ल्योन्हार्ड ऑयला को पत्र लिखा कि उन्होंने यह पाया है कि दो से बड़ी, दो से विभाज्य होने वाली संख्या (even number), हमेशा दो अभाज्य संख्या (Prime) का जोड़ है। अब इसे उन्हीं के नाम पर, गोल्डबाक  अनुमान के नाम से जाना जाता है। यह नम्बर थ्योरी की सबसे पुराने अनुत्तरित प्रश्नों में से है। यह न तो अभी तक सही और न ही गलत सिद्घ हो पाया है।


उपन्यास 'अंकल पेट्रोस एण्ड गोल्डबाकस् कंजेक्च' की कहानी, गोल्डबाक अनुमान और कोर्ट गर्डल के अपूर्णनता सिद्घान्त के इर्द गिर्द घूमती है। यह मूलत: १९९२ में ग्रीक भाषा में लिखा उपन्यास है। वर्ष २००० में, इसे  फेबर एण्ड फेबर द्वारा अंग्रेजी में प्रकाशित किया गया। इसके प्रकाशकों ने इसकी बिक्री बढाने के लिये १० लाख डालर का पुरस्कार देने कि घोषणा की जो  इस पुस्तक के प्रकाशित होने के दो साल के अन्दर गोल्डबाक अनुमान को सही या गलत सिद्घ करे दे। यह बताने के जरूरत नहीं है कि कोई भी इस पुरस्कार को नहीं जीत सका।

यह कहानी है एक चाचा और भतीजे की। चाचा को उसके परिवार के लोग नाकामयाब व्यक्ति मानते हैं। चाचा अकेले रहना पसन्द करते हैं, किसी से मिलते नहीं हैं। भतीजे ने गणित में शिक्षा ली है और उसे पता चलता है कि उसके चाचा विलक्षण प्रतिभा के युवक थे। बाद में वे विश्वविद्यालय में सबसे कम उम्र में गणित के प्रोफेसर बने और लोग उनको इज्जत और सम्मान से देखते हैं। फिर ऎसा क्या हो गया कि उसके परिवार वाले उन्हें नाकामयाब मानते हैं।
चाचा, गोल्डबाक अनुमान को सिद्ध करना चाहते हैं और इसी में जीवन लगा देते हैं। लेकिन यह तो अनुत्तरित प्रश्न ही रहा। यही इसकी कहानी है जो कि गणित की लघुकथायें, किस्से, और घटनायें पर बुनी हैं। यह कहानी तो काल्पनिक है पर उसमें लिखी लघुकथायें, किस्से, और घटनायें सच हैं। यह बेहद रोचक पुस्तक है और गणित जैसे नीरस विषय पर रोमांच पैदा करती है। यह पुस्तक जी. एच. हार्डी की उत्कृष्ट रचना 'ए मैथमैटीशियनस् अपॉलोजी' के इस उद्घारण से शुरू होती है।
'Archimedes will be remembered when Aeschylus is forgotten because languages die and Mathematical ideas do not. Immortality may be a silly word but properly a mathematician  has the best chance of whatever it may mean'
लोग एस्काइलस् (ग्रीक नाटककार) को भूल जायेंगे पर आर्कमडीज़ को हमेशा याद रखेंगे।  क्योंकि, भाषायें लुप्त हो जाती हैं लेकिन गणित के सिद्घान्त समाप्त नहीं होते हैं। शायद अमरत्व बेवकूफी है। लेकिन यह जो कुछ भी है उसे पाने के लिये गणितज्ञ की ही संभावना सबसे अधिक है।
नम्बरों की बात हो और रामानुजम की बात न हो—यह तो हो नहीं सकता। इस पुस्तक में रामानुजम की भी चर्चा है और हार्डी-रामनुजम के टैक्सी नम्बर किस्से की भी।
इस पुस्तक में गर्डल के अपूर्णनता का सिद्घान्त का भी प्रयोग है लेकिन यह कैसे है और इस कहानी का क्या अंत है यह तो मैं आपको बताने से रहा। आपका इस पुस्तक को पढ़ने का रोमांच समाप्त कर,  मैं आपका मजा थोड़े ही किरकिरा करना चाहता हूं। आप इस पुस्तक को पढ़ें और आनन्द लें। यह आपको आसानी से समझ में आयेगी। अपने बेटे और बेटियों को अवश्य पढ़ने के लिये दें।

मैंने इस श्रंखला की भूमिका में, इंडिपैंडेंटस डे (Independence day) फिल्म का चित्र प्रयोग किया था। उसका साईबर अपराध से कैसे संबन्ध है यह अगली बार।

जी. एच. हार्डी (GH Hardy) की पुस्तक 'ए मैथमैटीशियनस् अपॉलोजी'  (A Mathematician's Apology) उत्कृष्ट रचना मानी जाती है। यदि आपने इसे नहीं पढ़ा है तो अवश्य पढ़ें। यह अन्तरजाल पर यहां पर उपलब्ध है। 
 
तू डाल डाल, मैं पात पात
 

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This post is book review of 'Uncle Petros and  Goldbach's Conjecture,' by Apostolos Doxiadis. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script. 

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अपनी टूर दी फ्रांस - हिमाचल की साइकिल रेस

इस चिट्ठी में हिमाचल में हर साल आयोजित साइकिल रेस की चर्चा है।
हिमाचल में मणिकर्ण तीर्थ है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से २६५० मीटर (५,५०० फुट) है। सर्दियों में बर्फ भी गिरती है। यह स्थान अपेक्षाकृत ठंडा है। गर्मियों में मौसम सुहावना होता है। हम लोग मनाली से इसे भी देखने गये।

 
साईकिल रेस में मुश्किलें

हमें रास्ते में, खास तरह की साइकिल चलाते हुए लाल शर्ट और लाल नेकर और हेलमेट पहने हुए कई युवक दिखाई पड़े। मुझे लगा कि ये लोग किसी रेस में भाग ले रहे हैं। उसके बाद एक पिकअप भी दिखायी पड़ी। जिसमे उसी तरह के कपड़े पहने हुए लोग बैठे थे। हमने पिकअप को हाथ देकर रोका और इस बारे में बात की। 

पिकअप में बैठे लोगों से पता चला कि वे लोग इण्डो बार्डर फ़ोर्स के है और रेस का अभ्यास कर रहे हैं। यह रेस में  शिमला से मनाली तक की है। इसमें कई दिन लगते है। हिमाचल प्रदेश की सरकार इस रेस को हर साल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए करवाती है। यह अन्तराष्ट्रीय रेस है। इसमें देश विदेश से लोग आते हैं। पिछले साल इसे  किसी नेपाली ने जीता था। वे लोग उसी का अभ्यास कर रहे थे। मुझे लगा कि यह रेस कुछ टूर दी फ्रांस में होने वाली रेस है।


मैंने इस साइकिल रेस के बारे में कुछ और पता किया तो पता चला कि यह पांचवी साइकिल रेस है।  इस बार यह हरक्यूलिक्स माउन्टेन रैली के नाम से जानी जा रही है। यह दस दिन में पूरी होगी। यह २७ सितम्बर २००९ को शिमला के पीटल हाल होटल से शुरू होगी। साईकिल चालक विभिन्न जगहों से होते हुए मनाली पहुंचेगें। ६ अक्टूबर को पुरस्कार दिया जायेगा। 
साईकिल रेस में कैम्प का दृश्य

इस रैली में करीब ३५ लाख रुपया खर्च होगा और विजयी चालक को आठ लाख रुपया इनाम मिलेगा। इस रैली में कुल ४० चालक भाग ले रहे है जो आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड ,अमेरिका, इंग्लैंड और भारत से आयें हैं। सबसे अधिक १९ सदस्य इसमें नौसेना के है।  इसकी कुल दूरी ६५२ किमी यानी लगभग ६५ किमी प्रतिदिन इन लोगों को अपनी साइकिल चलाना होगा।

दुनिया की प्रसिद्ध साइकिल रेसों में, टूर दी फ्रांस (Tour de France), जाइरो द'इटैलिआ (Giro d'Italia), टूर ऑफ एरेट्रिआ (Tour the Eritrea) हैं।

  • टूर दी फ्रांस दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे प्रसिद्ध साइकिल रेस है। यह १९०३ में शुरू हुई। यह २१ दिन चलने वाली लगभग ३६०० किलोमीटर लम्बी रेस है।
  • जाइरो द'इटैलिआ या जाइरो  टूर दी फ्रांस से प्रेरित है। यह १९०९ में शुरू हुई। यह २१ दिन चलने वाली लगभग २४५० किलोमीटर लम्बी रेस है
  • एरेट्रिआ उत्तरी पूर्वी हिस्से में समुद्र से लगा, सोमालिया और इथिओपिया से घिरा देश है।  टूर ऑफ एरेट्रिआ सबसे पहली बार १९४६ में हुई। बीच में, उनके देश की परेशानी की वजह से यह बन्द हो गयी लेकिन २००१ से यह पुनः शुरू हो गयी। यह १० दिन चलने वाली, लगभग ११२० किलोमीटर लम्बी रेस है।
क्या हिमाचल की साइकिल रेस भी इनकी तरह प्रसिद्ध हो पायेगी? हम आशा तो कर ही सकते हैं। 

वर्ष २०१० में, यह रेस २२ अक्टूबर को शुरू हो रही है। इसके बारे में विस्तार से यहां पढ़ सकते हैं और यदि आप भाग लेने में इच्छुक हों तो रजिस्टर करवा सकते हैं।
 
इस साईकिल रेस के पहली प्रतियोगिता के कुछ चित्र नीचे देखें।


इस श्रृंखला की अगली कड़ी में हम लोग मणिकर्ण तीर्थ रास्ते का आनन्द लेंगे और जानेगे कि इसका नाम मणिकर्ण क्यों पड़ा।

इस चिट्ठी के दाहिने तरफ के चित्र मेरे द्वारा खींचे नहीं है वे यहां से हैं। जहां इस रेस के अन्य सुन्दर चित्र देख सकते हैं।

देव भूमि, हिमाचल की यात्रा
वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।। यह तो धोखा देने की बात हुई।। पाडंवों ने अज्ञातवास पिंजौर में बिताया।। अखबारों में लेख निकले, उसके बाद सरकार जागी।। जहां हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की बात हुई हो, वहां मीटिंग नहीं करेंगे।। बात करनी होगी और चित्र खिंचवाना होगा - अजीब शर्त है।। हनुमान जी ने दी मजाक बनाने की सजा।। छोटे बांध बनाना, बड़े बांध बनाने से ज्यादा अच्छा है।। लगता है कि विंडोज़ पर काम करना सीख ही लूं।। गाड़ी से आंटा लेते आना, रोटी बनानी है।। बच्चों का दिमाग, कितनी ऊर्जा, कितनी सोचने की शक्ति।। यह माईक की सबसे बडी भूल थी।। भारत में आधारभूत संरचना है ही नहीं।। सुनते तो हो नहीं, जो करना हो सो करो।। रानी मुकर्जी हों साथ, जगह तो सुन्दर ही लगेगी।। उसकी यह अदा भा गयी।। यह बौद्व मंदिर है न कि हिन्दू मंदिर।। रास्ता तो एक ही है, भाग कर जायेंगे कैसे।। वह कुछ असमंजस में पड़ गयी।। हमने भगवान शिव को याद किया और आप मिल गये।। अपनी टूर दी फ्रांस - हिमाचल की साइकिल रेस।। आप, क्यों नहीं, इसके बाल खींच कर देखते।।
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वह कुछ असमंजस में पड़ गयी

इस चिट्ठी में, मनाली  के  जॉन्सन होटल में स्मोकड ट्राउट और शाकाहरी पास्ता खाने की चर्चा है।

मेरे एक मित्र अक्सर मनाली आते है यह उनकी पसंद की जगह है। उन्होंने मुझसे मनाली  के  जॉन्सन होटल में स्मोकड ट्राउट और शाकाहरी पास्ता खाने के लिए कहा था। हम लोग एक दिन दोपहर के खाने वहां गये। उनके मेनू में स्मोकड ट्राउट  डिश नहीं थी। मैंने वेटर से कहा, 
'हम बहुत दूर से मनाली में आयें हैं। हम आपके रेस्त्रां में केवल इसीलिए आयें हैं। क्योंकि मेरे मित्र ने यहां पर स्मोकड ट्राउट खाने की सलाह दी थी। लेकिन यह व्यंजन आपके मेनू में नहीं है।'
उसने कहा,
'यह सच है कि यह डिश मेनू में नहीं है। हम इसके लिए अलग से आर्डर लेते हैं।  यह तैयार नही है। इसको तैयार करने में करीब सवा घण्टा लगेगा। आप इसकी जगह पर बेक्ड फ़िश ले ले।'
मैंने कहा, 
'मैं तो यहां पर स्मोक्ड फिश खाने आया हूं। मै बेक्ड डिश न लूँगा। समय की चिन्ता न करे हम इन्तेजार करेंगें।'
जब तक हम लोगों का खाना आये तब तक मेरी पत्नी ने अपने लिये गर्म काफ़ी के लिए और मैंने अपने लिए ग्रास हॉपर नाम की मॉक्टेल आर्डर की।

ग्रास हॉपर मॉक्टेल, पाइनेपिल जूस और आइसक्रीम मिलाकर बनाईं जाती है।  मुझे अपनी साउथ अफ्रीका यात्रा की याद आयी। वहां पर जब मैंने माकटेल के बारे में पूछा था तब उन्होंने इसके बारे में अभिज्ञन्नता जतायी थी और मुझे उन्हे इसे बताने का तरीका बताना पड़ा था।

यह एक बहुत ही अच्छा रेस्त्रां है जिसमे बहुत सारे विदेशी लोग भी थे। इसमें बार भी है। उसमें जितने भी लोग थे हम लोगों को छोड़कर सब बीयर या वाइन ले रहे थे। यह महँगा रेस्त्रां है। थोड़ी देर बाद, वहां पर एक प्यारा सा कॉकर स्पेनियल कुत्ता आ गया। वह मेरे पास बैठ गया। मैंने उसे प्यार किया। थोड़ी देर बाद उसका केयर टेकर, उसे ले गयी। अधिकतर लोगों को खाने की जगह पर कुत्ते पसंद नहीं आते।
जॉन्सन होटेल में जिस कुत्ते से मेरी मुलाकात हुई थी अपनी केयर टेकर के साथ

जब वेटर मेरे लिए स्मोक्ड फिश ला रहा था तब बगल की टेबुल पर एक प्यारा सा नवविवाहित जोड़ा बैठा था। युवती ने वेटर से उस डिश के बारे में पूछा। वेटर के बताने पर कि यह स्मोक्ड फिश है तब उस युवती ने कहा, वह भी यही डिश खाना चाहती थी। क्योंकि उसे भी इसे खाने के लिए सलाह दी गयी थी। लेकिन  समय की कमी होने के कारण उसने अपने लिए बेक्ड फिश का आर्डर दिया। 

मैंने उस युवती से कुछ स्मोक्ड फिश लेने और उससे कुछ उसकी बेक्ड फिश मुझे देने की पेशकश की। लेकिन वह कुछ अजमंजस में पड़ गयी। अपने देश में किसी युवती को, एक अजनबी के साथ, इस तरह का व्यवहार करने में हिचक महसूस होती है। उसे समझ में नहीं आया कि क्या करे। उसने अपने पति की ओर देखा पर वह चुप्पी साध गया। उस युवती ने मुझसे कहा कि रहने दीजिये। मैंने भी जोर नहीं दिया।

वेटर ने बताया, स्मोक्ड ट्राउट ओवन में बनायी जाती है धुंये से पकायी जाती है और इसीलिए इसे स्मोक्ड ट्राउट कहा जाता है। यह सच है कि मुझे मछली अच्छी लगती है। लेकिन शायद, यह ऎसी नहीं थी जिसके बिना मैं रह नही सकता था। फिर भी यह अपने में अलग तरह का अनुभव था। 

मैं मनाली में अपना लैपटॉप नहीं ले गया था। इसलिये साइबर कैफे जाना चाहता था। जॉन्सन होटल में वेटर ने, साइबर कैफे का पता बता दिया था। मैं अपनी पत्नी को रेस्ट्रॉं में छोड़ कर, साइबर कैफ़े में चला गया। जहां मेरी मुलाकात शिव भक्तों से हुई जो हिन्दी में टाईप करने के लिये परेशान थे। इसकी चर्चा मैंने अपनी चिट्ठी 'हमने भगवान शिव को याद किया और आप मिल गये' की है। 


हिमाचल में मणिकर्ण तीर्थ है। वहां जाते समय, रास्ते में, साइकिल रेस का अभ्यास करते समय कुछ लोगों से मुलाकात हुई। अगली बार इस साइकिल रेस के बारे में चर्चा करेंगे।  

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This post is about our lunch of smoked trout and vegetable pasta at Jonson hotel in Manali. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

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क्या कंप्यूटर व्यक्तियों की जगह ले सकते हैं

इस चिट्ठी में, रॉजर पेनरोज़ के द्वारा लिखी 'द एमपररस् न्यू माइण्ड: कंसर्निग कंप्यूटरस्‌, माइण्डस् एण्ड द लॉज़ ऑफ फिज़िक्स' पुस्तक की समीक्षा है। 
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रॉजर पेनरोज़ अंग्रेज गणित-भौतिक शास्त्री हैं। आपने 'द एमपररस् न्यू माइण्ड: कंसर्निग कंप्यूटरस्‌, माइण्डस् एण्ड द लॉज़ ऑफ फिज़िक्स' नामक बेहतरीन पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में मुख्य तौर पर यह बताने की कोशिश की गयी है कि कंप्यूटर कभी भी व्यक्तियों की जगह नहीं ले सकता हैं।

गणीतीय तर्क शास्त्र अलगोरिथम  पर आधारित है। यह गर्डल के अपूर्णनता सिद्धान्त से बंधा है। पेनरोज़ का मानना है कि मानव चेतना  ग़ैर-अलगोरिथमी (non-algorithmic) है।  यही कारण है कि इसे कभी भी गणीतीय तर्क शास्त्र पर आधारित डिज़िटल कंप्यूटर से नहीं बदला जा सकता है।

पेनरोज़, इस पुस्तक में पुस्तक में, न्यूटन के भौतिक शास्त्र, आइंस्टाइन के सापेक्षता सिद्धान्त  (special and general relativity), क्वांटम भौतिक शास्त्र (quantum physics), ब्रह्माण्ड विज्ञान (cosmology), समय की प्रकृति (nature of time) और गणित का दर्शन एवं उसकी सीमा (the philosophy and limitations of mathematics), की चर्चा करते हुऐ अपनी बात रखते हैं।

यह पुस्तक भौतक शास्त्र का एक विहंगम दृश्य (bird's eye view) दिखाता है और इस विषय के बारे में रोचक तरीके से सूचना देता है।

यह  बेहतरीन पुस्तक है और उत्कृष्ट पुस्तकों में से एक हैं।   इस पुस्तकों को समझने के लिए कम से कम  इण्टरमीडिएट या स्नातक स्तर के भौतिक शास्त्र का ज्ञान जरूरी  है और तभी यह पढ़ने पर अच्छी तरह से समझ में आ सकेगी।  यदि आप विज्ञान के छात्र है या विज्ञान में आगे कुछ कार्य करना चाहते है। या आपके बेटे, बेटियां इन क्षेत्रों में काम करना चाहती है तब उन्हें यह पुस्तक पढ़ने के लिए अवश्य दें।

ऐलेन मैथिसॉन ट्यूरिंग (२३.६.१९१२ से ७.६.१९५४) अंग्रेज गणितज्ञ, तर्क शास्त्री, गूढ़लेखिकी विशेषज्ञ (cryptanalyst) एवं कंप्यूटर विज्ञानिक थे। कंप्युटर विज्ञान  और अलगोरिथम (algorithm) को रूप देने और आधुनिक कंप्यूटर के निर्माण में अग्रणी थे।
बीबीसी की डेंजरस् नॉलेज (Dangerous Knowledge) श्रृंखला का जिक्र मैंने अपनी चिट्ठी 'नाई महिला है' में किया था। यह श्रृंखला चार विलक्षण प्रतिभा के व्यक्ति, जिसमें तीन गणितज्ञ- जॉर्ज कैंटर, कोर्ट गर्डल, और ऐलन ट्यूरिंग  - और एक भौतिक शास्त्री लुडविंग बॉल्टज़मैन पर थी। उस चिट्ठी में, श्रृंखला का वह भाग भी दिखाया था जिसमें गर्डल के शुरू के जीवन के बारे में है। उसके बाद एवं ट्यूरिंग के जीवन के बारे में यहां देखिये। इसमें ट्यूरिंग गर्डल के अपूर्णता सिद्धान्त को कंप्यूटर के क्षेत्र में लागू करते समय भी यह कहते हैं कि कुछ सवाल ऐसे भी हैं जिन्हें कंप्यूटर के द्वारा हल नहीं निकाला जा सकता है।

'उन्मुक्त जी, हमें तो घबराहट हो रही है। लगता है कि जिन पुस्तकों की आपने चर्चा की है वे सारी कठिन हैं। क्या गणित और अपूर्णता के सिद्धान्त के बारे में कोई आसान पुस्तक है?'
है तो।

इन्दू जी गणित की अध्यापिका हैं। उनके चिट्ठे का नाम उनकी पुत्री के नाम 'पार्थवी' पर है। उस चिट्ठे पर वे गणित और उसकी पहेलियां पर चर्चा करती हैंमुझे आपका चिट्ठा अच्छा लगता है। 

कुछ समय पहले उन्होंने 'गणित की वो समस्याये : जिन्हें कोई हल ना कर सका --१' लिखते समय गोल्डबाख अनुमान की चर्चा की थी। उस समय मुझसे इसके बारे में लिखने के लिये कहा था। ऊपर जिस आसान पुस्तक का मैंने जिक्र किया है वह गोल्डबाख अनुमान और गर्डल के सिद्धान्त से सम्बंधित है। 

इन्दू जी की अनुरोध पर, उसकी चर्चा इस श्रंखला की अगली कड़ी में।
तू डाल डाल, मैं पात पात
भूमिका।। नाई की दाढ़ी को कौन बनाता है।। नाई, महिला है।। मिस्टर व्हाई - यह कौन हैं।। गणित, चित्रकारी, संगीत - क्या कोई संबन्ध है।। क्या कंप्यूटर व्यक्तियों की जगह ले सकते हैं।।
 

About this post in Hindi-Roman and English  is chitthi mein roger penrose kee likhi pustak  'The Emperor's New Mind: Concerning Computers, Minds and The Laws of Physics' kee sameeksha hai. yeh chitthi {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.
This post is book review of The Emperor's New Mind: Concerning Computers, Minds and The Laws of Physics' by Roger Penrose. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script. 
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