इस चिट्ठी में हिमाचल में हर साल आयोजित साइकिल रेस की चर्चा है।
हिमाचल में मणिकर्ण तीर्थ है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से २६५० मीटर (५,५०० फुट) है। सर्दियों में बर्फ भी गिरती है। यह स्थान अपेक्षाकृत ठंडा है। गर्मियों में मौसम सुहावना होता है। हम लोग मनाली से इसे भी देखने गये।
साईकिल रेस में मुश्किलें |
हमें रास्ते में, खास तरह की साइकिल चलाते हुए लाल शर्ट और लाल नेकर और हेलमेट पहने हुए कई युवक दिखाई पड़े। मुझे लगा कि ये लोग किसी रेस में भाग ले रहे हैं। उसके बाद एक पिकअप भी दिखायी पड़ी। जिसमे उसी तरह के कपड़े पहने हुए लोग बैठे थे। हमने पिकअप को हाथ देकर रोका और इस बारे में बात की।
पिकअप में बैठे लोगों से पता चला कि वे लोग इण्डो बार्डर फ़ोर्स के है और रेस का अभ्यास कर रहे हैं। यह रेस में शिमला से मनाली तक की है। इसमें कई दिन लगते है। हिमाचल प्रदेश की सरकार इस रेस को हर साल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए करवाती है। यह अन्तराष्ट्रीय रेस है। इसमें देश विदेश से लोग आते हैं। पिछले साल इसे किसी नेपाली ने जीता था। वे लोग उसी का अभ्यास कर रहे थे। मुझे लगा कि यह रेस कुछ टूर दी फ्रांस में होने वाली रेस है।
मैंने इस साइकिल रेस के बारे में कुछ और पता किया तो पता चला कि यह पांचवी साइकिल रेस है। इस बार यह हरक्यूलिक्स माउन्टेन रैली के नाम से जानी जा रही है। यह दस दिन में पूरी होगी। यह २७ सितम्बर २००९ को शिमला के पीटल हाल होटल से शुरू होगी। साईकिल चालक विभिन्न जगहों से होते हुए मनाली पहुंचेगें। ६ अक्टूबर को पुरस्कार दिया जायेगा।
साईकिल रेस में कैम्प का दृश्य |
इस रैली में करीब ३५ लाख रुपया खर्च होगा और विजयी चालक को आठ लाख रुपया इनाम मिलेगा। इस रैली में कुल ४० चालक भाग ले रहे है जो आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड ,अमेरिका, इंग्लैंड और भारत से आयें हैं। सबसे अधिक १९ सदस्य इसमें नौसेना के है। इसकी कुल दूरी ६५२ किमी यानी लगभग ६५ किमी प्रतिदिन इन लोगों को अपनी साइकिल चलाना होगा।
दुनिया की प्रसिद्ध साइकिल रेसों में, टूर दी फ्रांस (Tour de France), जाइरो द'इटैलिआ (Giro d'Italia), टूर ऑफ एरेट्रिआ (Tour the Eritrea) हैं।
- टूर दी फ्रांस दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे प्रसिद्ध साइकिल रेस है। यह १९०३ में शुरू हुई। यह २१ दिन चलने वाली लगभग ३६०० किलोमीटर लम्बी रेस है।
- जाइरो द'इटैलिआ या जाइरो टूर दी फ्रांस से प्रेरित है। यह १९०९ में शुरू हुई। यह २१ दिन चलने वाली लगभग २४५० किलोमीटर लम्बी रेस है
- एरेट्रिआ उत्तरी पूर्वी हिस्से में समुद्र से लगा, सोमालिया और इथिओपिया से घिरा देश है। टूर ऑफ एरेट्रिआ सबसे पहली बार १९४६ में हुई। बीच में, उनके देश की परेशानी की वजह से यह बन्द हो गयी लेकिन २००१ से यह पुनः शुरू हो गयी। यह १० दिन चलने वाली, लगभग ११२० किलोमीटर लम्बी रेस है।
वर्ष २०१० में, यह रेस २२ अक्टूबर को शुरू हो रही है। इसके बारे में विस्तार से यहां पढ़ सकते हैं और यदि आप भाग लेने में इच्छुक हों तो रजिस्टर करवा सकते हैं।
इस साईकिल रेस के पहली प्रतियोगिता के कुछ चित्र नीचे देखें।
इस श्रृंखला की अगली कड़ी में हम लोग मणिकर्ण तीर्थ रास्ते का आनन्द लेंगे और जानेगे कि इसका नाम मणिकर्ण क्यों पड़ा।
इस चिट्ठी के दाहिने तरफ के चित्र मेरे द्वारा खींचे नहीं है वे यहां से हैं। जहां इस रेस के अन्य सुन्दर चित्र देख सकते हैं।
देव भूमि, हिमाचल की यात्रा
इस श्रृंखला की अगली कड़ी में हम लोग मणिकर्ण तीर्थ रास्ते का आनन्द लेंगे और जानेगे कि इसका नाम मणिकर्ण क्यों पड़ा।
इस चिट्ठी के दाहिने तरफ के चित्र मेरे द्वारा खींचे नहीं है वे यहां से हैं। जहां इस रेस के अन्य सुन्दर चित्र देख सकते हैं।
देव भूमि, हिमाचल की यात्रा
वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।। यह तो धोखा देने की बात हुई।। पाडंवों ने अज्ञातवास पिंजौर में बिताया।। अखबारों में लेख निकले, उसके बाद सरकार जागी।। जहां हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की बात हुई हो, वहां मीटिंग नहीं करेंगे।। बात करनी होगी और चित्र खिंचवाना होगा - अजीब शर्त है।। हनुमान जी ने दी मजाक बनाने की सजा।। छोटे बांध बनाना, बड़े बांध बनाने से ज्यादा अच्छा है।। लगता है कि विंडोज़ पर काम करना सीख ही लूं।। गाड़ी से आंटा लेते आना, रोटी बनानी है।। बच्चों का दिमाग, कितनी ऊर्जा, कितनी सोचने की शक्ति।। यह माईक की सबसे बडी भूल थी।। भारत में आधारभूत संरचना है ही नहीं।। सुनते तो हो नहीं, जो करना हो सो करो।। रानी मुकर्जी हों साथ, जगह तो सुन्दर ही लगेगी।। उसकी यह अदा भा गयी।। यह बौद्व मंदिर है न कि हिन्दू मंदिर।। रास्ता तो एक ही है, भाग कर जायेंगे कैसे।। वह कुछ असमंजस में पड़ गयी।। हमने भगवान शिव को याद किया और आप मिल गये।। अपनी टूर दी फ्रांस - हिमाचल की साइकिल रेस।। आप, क्यों नहीं, इसके बाल खींच कर देखते।।
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