नाथुला पास – भारत चीन सीमा

सिक्किम यात्रा की इस चिट्ठी में, नाथुला पास की चर्चा है।


नाथुला पास पर भारत चीन की सीमा है। रास्ते में कुछ अन्य दर्शनीय जगहें हैं पर सबसे दूर नथुला पास है। टैक्सी ड्राइवर की सलाह थी कि हम सबसे पहले दूर की जगह को देख लें और लौटते समय अन्य जगहों को देख लेगें। बचपन में परीक्षा देते समय उल्टी बात रहती है कि पहले आसान सवाल का जवाब लिखो फिर कठिन सवाल का।


नथुला पास जाने के लिए परमिट की जरूरत पड़ती है। इसे अलग-अलग चेक पोस्ट पर दिखाना पड़ता है। एक चेक पोस्ट पर जब हम पास दिखाने के लिए रूके तब मुझे शंका निवारण की आवश्यक्ता पड़ी। वहां पर एक सार्वजानिक शौचालय था। यहां शंका निवारण के लिए २ रूपया देना पड़ता है। मुझे अपनी बर्लिन यात्रा की याद आयी जहां इसी के लिए ५० सेन्ट (लगभग ३० रूपये) देने पड़े थे। इस जगह जाकर मुझे आश्चर्य हुआ क्योंकि मैने इतना साफ सार्वजानिक शौचालय नहीं देखा था। मुझे इस बात से कुछ प्रसन्नता भी हुई। मैंने उस आदमी से इसकी तारीफ की तो वह नहीं समझ पाया। टैक्सी ड्राइवर ने उस व्यक्ति को उसकी भाषा में यह समझाया तो उसने मुस्कुरा कर तारीफ स्वीकार की।


नथुला पास पर एक यादगार चिन्ह बना हुआ है। यह मार्च २००२ में बनाया गया था। यहां पर गार्ड ने मुझे बताया कि यह १९६२ में भारत -चीन लड़ाई और बाद के अन्य हादसों में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के यादगार में बनाया गया है। इसके ऊपर कुछ ऊपर चढ़ने पर एक जगह पत्थर जड़ा हुआ है जिसमे लिखा हुआ है कि जवाहर लाल नेहरू १ सितम्बर १९५८ को यहां आये थे।


भारत की सीमा पर सबसे ध्यान देने की बात यह थी कि वहां पर सैकड़ो हिन्दुस्तानी पर्यटक थे पर चीन की तरफ एक भी पर्यटक नहीं था। वहां पर केवल चीनी सैनिक थे। मैंने चीनी सैनिकों से हाथ भी मिलाया।


यहां से चीन में बनी रोड भी दिखाई पड़ती है और चीन में बनी रोड और अपने देश में बनी रोड में जमीन आसमान का अंतर दिखायी पड़ता है। जहां पर चीन की तरफ बनी हुई रोड एक बहुत ही सुन्दर, बेहतरीन और चौड़ी है जिसमें दो गाड़ी असानी से आ-जा सकती हैं। वहीं भारत की तरफ बनी रोड सकरी और कई जगह टूटी फूटी थी। सकरी होने के कारण जब आर्मी की ट्रकें आमने -सामने आ जाती थी तो लम्बा जाम फंस जाता था जिसे हटाने में काफी समय लगता था। नथुला पास से लौटते समय पानी भी बरसने लगा जिसके कारण रोड पर जगह जगह नाले से बन गये और पानी इक्टठा हो गया।


अपने देश और चीन की रोड देखकर मुझे शर्म लगी। मैंने वहाँ पर एक गार्ड से पूछा कि ऎसा क्यों है। उसने मुस्कुरा कर कहा,
'हमारी तरफ तो पर्यटकों की भीड़ है। यह लोग, यहाँ पर आकर न केवल समय बर्बाद करते हैं पर उनके आवागमन से रोड भी खराब होत है। चीन की तरफ देखिये, उधर एक भी पर्यटक नही हैं। वे लोग इन सब बातों में समय बर्बाद नहीं करते। भीड़ कम होने के कारण उनकी सड़के भी कम खराब होती है और उनके रख रखाव में आसानी पड़ती है।'
मुझे लगा कि यदि कभी फिर भारत-चीन से युद्व हुआ (जिसकी सम्भावना सें इंकार नही किया जा सकता) तब इन सड़कों की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी।


मेरे विचार से यह जगह पर्यटकों के जाने के लिए कुछ समय तक के लिए बंद कर देनी चाहिये ताकि कि हम रास्ते को कम से कम की चीन की तरफ की के रास्ते बराबर बना सके थे और विवाद या लड़ाई के समय उनसे पीछें न रहें। लेकिन रास्ता शायद यह बंद करना सम्भव न हो क्योंकि सिक्किम में पैसा कमाने का सबसे बड़ा साधन पर्यटन है और सिक्किम का पर्यटन विभाग नथुला पास घूमने को विज्ञापित करती है कि आप वहां जाएं और देखें कि हमारे देश के सैनिक किस तरह से सीमाओं की रक्षा कर रही है । इसी कारण वहाँ पर भारतीय पर्यटकों की भीड रहती है। इससे लोगों को व्यापार का साधन मिल रहा है। यदि वहां पर्यटकों का जाना रोका जायेगा व्यापार करने के तरीके में कमी आयेगी ।


मैंने बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां की पिछली चिट्ठी में वायदा किया था कि नथुला पास में कुछ ऐसा हो गया जिसने मुझे एक प्रसिद्ध हिन्दी चिट्टाकार के द्वारा दूसरे प्रसिद्ध हिन्दी चिट्ठाकार की चिट्ठी पर पूछे गये सवाल की याद दिला दी। वे चिट्ठकार हैं संजय जी, जिन्होंने ने शास्त्री जी की चिट्ठी 'वह तारा क्या था?' पर टिप्पणी की थी,
'यीशू ने भारत में आकर आध्यात्मिक शिक्षा ली थी, इस पर आप ही रोशनी डाल सकते है।'
मैंने सोचा था कि इसके बारे में लिखूंगा पर मौका नहीं मिला। किस बात ने इस प्रश्न की याद दिलायी, और इसका क्या जवाब है - इस सब के बारे में, इस श्रंखला की अगली कड़ी में बात करेंगे। वास्तव में, यह कड़ी तो 'बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां' की श्रंखला में भी होनी चाहिये, इसीलिये यह उसका भी हिस्सा रहेगी।

सिक्किम यात्रा
क्या आप इस शख्स को जानते हैं?।। सिक्किम - छोटा मगर सुन्दर।। गैंगटॉक कैसे पहुंचें।। टिस्ता नदी (सिक्किम) पर बांध बने अथवा नहीं।। नाथुला पास – भारत चीन सीमा।। क्या ईसा मसीह ने भारत में आध्यात्मिक शिक्षा ली थी।।

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natu la pass pr bharat cheen seema hai. is post per yhan ke baare mein charchaa hai. yeh hindi (devnagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.
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लगता है कि झुंझलाना जारी रहेगा

यह चिट्ठी बदलते परिवेश, बदलते मूल्यों को समझने की कोशिश है।


परिवार के साथ समय व्यतीत करना सबसे सुखद रहता है। हमारे पिछले कुछ दिन इसी तरह से बीते। मुन्ना और बिटिया रानी भारत यात्रा पर थे। बिटिया रानी, वास्तव में, मेरी बहुरानी है और मैं उससे की गयी -पाती, अक्सर पोस्ट करता हूं। मैं उन दोनो को लेने दिल्ली गया था।


मेरा दिल्ली जाना, सबसे पहले १९६० में हुआ था। १९७० के बाद लगभग हर साल कम से कम एक बार दिल्ली जाना होता है – पिछले कुछ सालों में, साल में कई बार।


मेरा पसन्दीदा शौक है - पुस्तकों की दुकान पर जाना। मुझे दिल्ली में कनॉट प्लेस पर स्थित बुकवर्म पुस्तक की दुकान सबसे अच्छी लगती है। इसमें न केवल मेरे पसन्द की पुस्तकें रहती हैं पर इसका मालिक भी मुझे जानकार व्यक्ति लगता है। उसे न केवल पुरानी पुस्तकों पर नयी पुस्तकों के बारे में अच्छी जानकारी रहती है। मेरे विचार से वह पुस्तकों की दुकान या पुस्तकालय के लिये उपयुक्त व्यक्ति है। मैं १९७० के दशक से उसके दुकान का नियमित ग्राहक हूं।


दिल्ली में, मुन्ने ने पूछा,
'पापा, क्या हम लोग बुकवर्म नहीं चलेंगे?'
मैंने कहा कि हम जरूर चलेंगे। हम जब बुकवर्म गये तो मैंने बाहर सेल का बोर्ड लगा देखा, मन में खटका हुआ। दुकान के अन्दर मैंने बिटिया रानी से कहा इस अलमारी में समान्य विज्ञान की पुस्तकों का सबसे अच्छा संग्रह रहता है। उसका मालिक बोला अब नहीं। मेरे पूछने पर उसने बताया,
'हम यह व्यापार बन्द कर रहे हैं।'
मैंने कहा,
'मेरे विचार से आपकी दुकान, पुस्तकों की बेहतरीन दुकानों में से है। मैं जब दिल्ली रहता हूं यहां एक चक्कर जरूर लगाता हूं। आप इसे क्यों बन्द कर रहे हैं।'
उसने सिर झुका कर कहा,
'हमारी दुकान के अच्छे शब्दों का प्रयोग करने के लिये धन्यवाद, पर निर्णय ले लिया गया है हम इसे बन्द कर रहे हैं।'
वह हमसे इस बारे में बहस नहीं करना चाहता था। शायद यह फैसला उसके मन का न हो और परिस्थिति-वश लिया गया हो।


पुस्तकों की दुकान में प्यार भी हो सकता है।
यह चित्र नॉटिंग हिल (Notting Hill) फिल्म से है। यह बेहतरीन रोमानी फिल्म है जो प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री (जूलिआ रॉबर्टस् Julia Roberts) और पुस्तक दुकान मालिक (हग ग्रांट Hugh Grant) की प्रेम कहानी है। यह शुरू होती है पुस्तक की दुकान पर जहां जूलिआ पुस्तक लेने जाती हैं।
यदि आपने इसे नहीं देखा है, तो अवश्य देखें।

मुन्ना और बिटिया रानी जब वापस जाने लगे तो मैं फिर दिल्ली उन्हें छोड़ने गया। मुझे लगा कि दिल्ली में अब दूसरी दुकान ढ़ूढ़नी चाहिये। मैं सालों पहले साउथ एक्सटेंशन में टेकस्न नामक दुकान पर गया था और मुझे लगा कि मुझे इस पर जा कर पुनः देखना चाहिये।


मैं जब पहले गया था तो टेकस्न दुकान ग्राउंड फ्लोर पर थी अब नीचे तहकाने में हो गयी है। यहां भी, मेरी पसन्द की पुस्तकों का अच्छा संग्रह था। मुझे लगा कि दिल्ली में ठौर यहीं रहेगी। लेकिन कुछ देर में वहां पर जोर जोर से महिलाओं और लड़कियों की बात सुनायी पड़ने लग गयीं। मैंने देखा कि काउंटर पर बैठी महिला वहीं पर लड़कियों से जोर जोर से बात कर रही थी। वे किताबों बारे में नहीं बात कर रही थी, वे रोज़मर्रा की बात चीत कर रहीं थीं, जिसकी वहां कोई जरूरत नहीं थी। वहां पर कुछ पुरुष भी थे। वे देख रहे थे कि दुकान से कोई चोरी न करे। वे समझ गये कि महिला और लड़कियों से क्या गलती हो रही है। उनमें से एक ने तुरन्त महिला से बात करने को मना किया। वह कुछ देर तो चुप रही और फिर शुरू हो गयी।


मुझे तो लगा कि इन लोगों को किसी किताबों की दुकान पर न काम करके किसी रेस्ट्राँ में काम करना चाहिये था। पुस्तकों की दुकानों पर शान्ति रहनी चाहिये या हल्का सा संगीत होना चाहिये। बात करनी भी हो तो पुस्तकों की - रोज मर्रा की बातें तो कॉफी हाउस में ही की जाती हैं।


वे भाग्यशाली हैं जो उस जगह पर हैं, जहां वे रहना चाहते हैं और वह कर रहे हैं जो उन्हें मन-पसन्द है। शायद हम सब गलत जगह पर हैं।




मैं संशय में पड़ गया हूं कि अगली बार टेक्सन जाऊं या नहीं - पुस्तकें तो मन पसन्द है पर माहौल ... मुझे हैदराबाद में भी कुछ इस तरह को अनुभव हुआ था जिसके बारे में मैंने 'आप किस बात पर सबसे ज्यादा झुंझलाते हैं' नाम की चिट्ठी लिखी थी। लगता है कि झुंझलाना जारी रहेगा।


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जब रात हुई

बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां श्रंखला कि इस चिट्ठी में 'Nightfall' नामक कहानी की समीक्षा है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें।

इसे आप सुन भी सकते है। सुनने के लिये यहां चटका लगायें। यह ऑडियो फाइल ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप,
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एमरसन (Ralpho Waldo Emerson) ने कहा है,
'If the stars should appear one night in a thousand years, how would would men believe and adore, and preserve for many generation the remembrance of the city of God'
यदि हजार साल में एक बार तारे दिखायी पड़ें, तो भगवान के इस अदभुत दृश्य को लोग कैसे विश्वास करेगें, किस तरह से याद रखेगें।
'जब रात हुई' (Nightfall) (नाइटफॉल) कहानी, इसी उद्घरण से प्रेरित है।


यह कहानी, सूर्य ग्रहण पर आधारित कहानी है और ग्रहण पर आधारित सबसे प्रसिद्व कहानी है । इस कहानी को आइसेक एसीमोव (Issac Asimov) ने १९४१ जब वे केवल २१ साल के थे, तब लिखा था।


१९६८ में, अमेरिका के विज्ञान कहानी लेखकों ने इस कहानी को नेब्युला पुरूस्कार (Nebula Award) आने के पहले (१९६५) लिखी गयी विज्ञान कहानियों में सर्वश्रेष्ठ कहानी माना। १९९० में एसीमोव ने रॉबर्ट सिलवरबर्ग (Robert Silverberg) के साथ इस कहानी को बढ़ा कर उपन्यास का रूप दिया।


इसकी कहानी कुछ इस प्रकार की है कि पृथ्वी से दूर ब्रम्हाण्ड में, स्थित एक तारों के समूह में छ: सूर्य है। इसलिये उसके ग्रह में कभी रात नहीं होती है। इस कारण वहां के लोग रात के तारे नहीं देख पाते हैं। वहां के लोगों का इस बात का सबूत मिलता है कि उस ग्रह की सभ्यता कई बार नष्ट हो चुकी है। वे इसका कारण जानने का प्रयत्न करते हैं।

एक खगोलशास्त्री यह पता लगाता है कि हजारों साल में एक बार ऎसा होता है कि छ: सूर्यों में एक साथ ग्रहण लगता है और रात हो जाती है। वह अगली बार सूर्य ग्रहण का समय भी बाताता है, जो कि नज़दीक है और लोगों को आगाह करता है पर उसकी बात पर कोई विश्वास नहीं करता है। कहानी का अन्त कुछ इस प्रकार होता है कि ग्रहण लगना शुरू हो रहा है, तारे दिखायी पड़ने लग रहे हैं और लोग ... अब यह जानने के लिये तो आपको इस कहानी को पढ़ना पड़ेगा।


अंग्रेजी में, इस कहानी को आप यहां सुन सकते हैं।

यह कहानी सबसे पहले ' एस्टाउंडिगं स्टोरीस्' (Astounding stories) में 1941 प्रकाशित हुई। इस पत्रिका का अब नाम Analog Science Fiction and Fact हो गया है। मैंने इस कहानी को Nightfall One नामक पुस्तक (Granda Publishing Limited) में पढ़ी थी। इस पुस्तक में एसीमोव की पांच कहानियां हैं। इसके बाद, इसी प्रकाशक ने, Nightfall two नामक पुस्तक भी प्रकाशित की। इसमें एसीमोव की अन्य पंद्रह विज्ञान कहानियां हैं। मुझे यह कहानियां कुछ डरावनी सी लगीं, कुछ निराश भी पर इसका अर्थ यह नहीं कि यह पढ़ने योग्य नहीं हैं। आपने नहीं पढ़ी हैं तो जरूर पढ़ें, अपने मुन्ने मन्नी को पढ़ने के लिये भेंट करें - शायद वे कल हमारे रमन, हमारे आइंस्टाईन बने।



इसके पहले हम लोग चर्चा करें कि क्या बेथलेहम का तारा किसी प्रकार का तारा था - हम लोग बात करें तारों के बारे में - मैं हिन्दी जगत के जाने माने चिट्ठाकार के उस सवाल का जवाब देना चाहूंगा जो उसने एक अन्य प्रसिद्ध हिन्दी चिट्टाकार की चिट्ठी पर पूछा था। वह चिट्टाकार कौन है, क्या सवाल था, वह किस चिट्ठाकार की चिट्ठी पर पूछा गया - यह सब सिक्किम यात्रा की अगली कड़ी में।
'उन्मुक्त जी, इस श्रंखला का सिक्किम यात्रा से क्या संबन्ध?'
कुछ तो, इंतजार कीजिये - जो मज़ा इंतजार में, वह और कहां।



बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां
भूमिका।। प्रभू ईसा का जन्म बेथलेहम में क्यों हुआ?।। क्रिस्मस को बड़ा दिन क्यों कहा जाता है।। बेथलेहम का तारा क्या था।। बेथलेहम का तारा उल्कापिंड या ग्रहिका नहीं हो सकता।। पिंडों के पृथ्वी से टक्कर के कारण बने प्रसिद्ध गड्ढ़े।। विज्ञान कहानियां क्या होती हैं और उनका मूलभूत सिद्धान्त।। विज्ञान कहानियों पर पुरुस्कार।। उल्का, छुद्र ग्रह, पृथ्वी पर आधारित विज्ञान कहानियां और फिल्में।। धूमकेतु या पुच्छल तारा क्या होते हैं।। हैली धूमकेतु।। पुच्छल तारों पर लिखी विज्ञान कहानियां।। बेथलेहम का तारा - ग्रह पास आ गये थे।। ग्रहण पर आधारित कहानियां।। जब रात हुई।।


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grahn is vaigyanik tthya and din evam samy phle se btaayaa ja sktaa hai. is post per nightfall khaanee, jo ki surya grahn per likhee sabse prasidh khaani hai kee charchaa hai. yeh hindi (devnagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

Eclipse is scientific fact and can be predicted beforehand. This post is review of the story Nightfall, the most famous story based on sun eclipse. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.



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टिस्ता नदी (सिक्किम) पर बांध बने अथवा नहीं

सिक्किम यात्रा की इस चिट्ठी में, टिस्ता नदी पर बन रहे बांध और उस पर विरोध की चर्चा है।
हम लोगो ने बागडोगरा हवाई अड्डे से, गैगंटॉक के लिये, टैक्सी ली। रास्ता टिस्ता (teesta) नदी के बगल से चलता है। कभी नदी नीचे हो जाती थी तो कभी हम लोगों के साथ। हम लोगों ने रास्ते में एक रेस्ट्राँ में चाय पी । वहाँ पर बहुत से लोग बेड़ा विहार (Rafting) रैफ्टिंग कर रहे थे। वहां इसके अतिरिक्त कुछ और नही थी । इसलिए मैंने पूछा
'यहां कौन लोग बेड़ा विहार करते हैं।'
होटल के मालिक ने बताया
'गैंगटॉक या कलिगंपॉङ जाते समय अथवा लौटते समय, पर्यटक यहां बेड़ा विहार करते है।'
वहां कपड़े बदलने की सुविधा है। लौटते समय, कुछ लोग वहां पर रात को भी रूकते हैं और दिन में निकल कर हवाई जहाज या ट्रेन पकड़ते हैं। रास्ते में टिस्ता (teesta) नदी पर बांध बनता दिखाई पड़ा। टैक्सी ड्राइवर ने बताया कि टिस्ता नदी पर कई बांध बन रहे हैं दो पश्चिमी बंगाल में है और कुछ सिक्किम में है। यह डैम अलग-अलग शक्ति की बिजली पैदा करेगें। हम लोग पांच बजे गैगंटाँक पहुंच गये। थोड़ी देर आराम कर बाजार घूमने चले गये । बाजार में जाते समय एक जगह कुछ लोग डेरा जमा रखा था। वे लोग उत्तर सिक्किम में टिस्ता नदी पर बन रहे बांध का विरोध कर रहे थे।मैने उनसे बात की। उन्होनें बताया,
'हमारे गांव के अधिकतर लोग अनपढ़ है और लोग खेती करते हैं। जब डैम बनेगा तो हमारा गांव डूब जायेगा और हम लोग बेघर हो जायेगें। सरकार विस्थापित लोगों को नौकरी देने की बात कर रही है पर यह नौकरी केवल चपरासी की होगी।'
उनका यह भी कहना था,
'यह डैम कञ्चनजङ्घा राष्ट्रीय उधान (Khangchendzonga National Park) में है और कानूनन नही बनाया जा सकता है।'
यह लोग अंगेजी मे बात कर रहे थे मैने पूछा की
'आप लोग अंगेजी में बात कर रहे है । आप तो पढ़े लिखे लगते है।'
उन्होनें कहा कि गांव में उनके जैसे बहुत कम लोग है।

मैंने उनसे उनके आंदोलेन के बारे में लिखित सूचना मांगी तब उन्होने कहा कि वह तो नहीं है पर वे लोग चिट्ठा लिखते है। मेरे विचार में वह लोग स्वयं चिट्ठा नही लिखते है पर उनके लिए कोई और लिखता है। क्योंकि जब मैने उनसे पूछा कि वह मुफ्त चिट्ठा लिखने देने की बेबसाइट पर है या उन्होनें कोई डोमेन लिया है। वे इसका ठीक से उत्तर नही दे पाये। बाद में पता चला कि उनका चिट्ठा ब्लॉगर पर है और उसका नाम ani sikkim runcha.... है।
यह चित्र ani sikkim runcha.. चिट्ठे से है और उसी के सौजन्य से है।

बांध बनाया जाय अथवा नहीं - अक्सर विवाद में आ जाता है। नर्बदा परियोजना, टेहरी बांध इसके जीते जागते उद्धारण हैं।

जल विद्युत घर के कारण पर्यावरण का भी नुकसान होता है पर थर्मल विद्युत घर और नाभिकीय विद्युत घर के मुकाबले बहुत कम है। बांध के द्वारा पानी का संरक्षण ठीक से किया जा सकता है, बिजली पैदा की जा सकती है। यदि यह न हो तो विकास ही रुक जाये।

बांध बनाने में सबसे बड़ी मुश्किल पुनर्वास की है। इसमें न केवल भ्रष्टाचार है पर कुछ लोग भावनाओं को उभार कर ब्लैक मेल भी करते हैं।

मैं नहीं जानता कि टिस्ता नदी पर बन रहे डैम के लिये क्या बात सही है।

इस श्रंखला की अगली कड़ी में हम चलेंगे नथुला पास – यानि कि भारत चीन सीमा पर।

सिक्किम यात्रा
क्या आप इस शख्स को जानते हैं?।। सिक्किम - छोटा मगर सुन्दर।। गैंगटॉक कैसे पहुंचें।। टिस्ता नदी (सिक्किम) पर बांध बने अथवा नहीं।।

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    This post talks about dams on river teesta and discusses protest over the same. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

    सांकेतिक शब्द
    teesta, टिस्ता
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    ग्रहण पर आधारित कहानियां।

    बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां श्रंखला कि इस चिट्ठी में उन कहानियों की चर्चा है जो इस बात को ध्यान रखते लिखीं गयीं हैं कि ग्रहण वैज्ञानिक तथ्य है और उसका दिन वा समय पहले से बताया जा सकता है।

    बहुत सारी कहानियों में इस बात का प्रयोग किया गया है कि चन्द्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण वैज्ञानिक तथ्य है जिसके दिन और समय के बारे में पहले से ही बताया जा सकता है। इनमें से चार कहानियां मैंने पढ़ी है। यह सब मुझे पसन्द भी आयीं।

    इनमें सबसे पहली कहानी है - 'सोलोमन की खदानें' (किंग सोलोमॉनस् माइनस् ) (King Solomon's Mines)। इस उपन्यास को सर हेनरी राइडर हैगर्ड (२२.६.१८५६- १४.५.१९२५) (Sir Henry Rider Haggard) ने १८८५ में अपने भाई के साथ एक पाउंण्ड शर्त के एवज में लिखा था। शर्त यह थी कि वह भी राबर्ट लुईस स्टीवेनसन (Robert Louis Stevenson) के उपन्यास ट्रेजर आइलैण्ड (Treasure Island) जैसा लोकप्रिय उपन्यास लिख सकता है। 

    कहानी के अन्त में फॉल्टा की मृत्यु
    किंग सोलोमॉनस् माइनस् पुस्तक को कई प्रकाशकों ने ठुकरा दिया था लेकिन जब वह प्रकाशित हुई तो यह उस साल की सबसे ज्यादा बिकने वाली पुस्तक बनी। यह विज्ञान कहानी नहीं है पर रोमांच कथा की श्रेणी में आती है। यह उपन्यास अफ्रीका के जंगलो पर है। इस उपन्यास ने नयी तरह की कहानियों को जन्म दिया - जंगलों से जुड़ी रोमांच कहानियां।


    इसकी कहानी कुछ इस प्रकार की है कि एक दल, उस व्यक्ति को ढूंढते अफ्रीका के जंगलों में जाता है जो सोलोमन की खदानों का पता लगाने गया था। इस दल को एक कबीला पकड़ लेता है । वहां वे फॉल्टा (Foulta) नामक कबीले की युवती की जान यह कह कर बचाते हैं कि वे चंद्रमा को अंधकार में कर सकते हैं। यह चन्द्र ग्रहण के कारण होता है। बाद में वह लड़की उस दल के लोगों की जान बचाने में अपनी जान खो बैठती है। इस उपन्यास पर कई फिल्में बनी है पर फिल्म की कहानी में बदलाव कर दिये गये हैं। इस उपन्यास को आप यहां पढ़ सकते हैं और चन्द्र ग्रहण के कारण फॉल्टा की जान बचाने की बात यहां है। 

    दूसरी कहानी, है - 'आर्थर के राज्य में एक अमेरिकी' (A Connecticut Yankee in king Arthur's Court)। इसे मार्क ट्वैन (Mark Twain) ने लिखा है। यह १८८९ में लिखी गयी। इसमें एक अमेरिकी नागरिक जब सो कर उठता है तो वह अपने आप को राजा आर्थर (५२८ ईसा के मरने के बाद AD) के समय में पाता है। वहां उसे जला कर मार डालने की सजा मिलती है। वह अपने आप को यह कह कर बचा लेता है कि वह सूरज को अंधकार में कर सकता है। यह सूर्य ग्रहण के कारण होता है। यह कहानी विज्ञान कहानियों की श्रेंणी में आती है। इस उपन्यास को आप यहां पढ़ सकते हैं।

    तीसरी कहानी है - टिनटिन (Tintin) 'सूरज के कैदी' (प्रिसनरस् ऑफ द सन) (Prisoners of the sun)। टिनटिन की रोमांचक कथायें, फ्रांसीसी भाषा की कॉमिक्स है। यह इसकी चौदवीं पुस्तक है। इन कॉमिक्स को Herge ने Georges Remi के नाम से लिखा है। यह कॉमिक्स न केवल बच्चों पर बड़ों के बीच भी लोकप्रिय है।
    इस कहानी में टिनटिन और कैप्टेन आर्किबाल्ड हैडॉक्क (Captain Archibald Haddock) (जो टिनटिन की तरह इन कॉमिक्स का एक पात्र हैं) अपनी जान सूर्य - ग्रहण के कारण बचा पाते हैं।

    यह विज्ञान कहानी तो नहीं कही जा सकती क्योंकि यह कॉमिक्स की तरह लिखी गयी और उसी श्रेणी में है।
    यह कहानियां पढ़ने योग्य हैं। यदि नहीं पढ़ी हैं तो पढ़कर देखें।

    इन तीनो कहानियों में ग्रहण का उपयोग किया है पर यह ग्रहण पर लिखी कहानियां नहीं हैं। चौथी कहानी सूर्य ग्रहण पर ही लिखी गयी है। यह एमरसन (Ralph Waldo Emerson) के एक उद्धरण पर आधारित है। यह विज्ञान कहानी के श्रेणीं में आती है और सबसे प्रसिद्ध कहानी भी है - इसके बारे में अगली बार।

    बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां
    भूमिका।। प्रभू ईसा का जन्म बेथलेहम में क्यों हुआ?।। क्रिस्मस को बड़ा दिन क्यों कहा जाता है।। बेथलेहम का तारा क्या था।। बेथलेहम का तारा उल्कापिंड या ग्रहिका नहीं हो सकता।। पिंडों के पृथ्वी से टक्कर के कारण बने प्रसिद्ध गड्ढ़े।। विज्ञान कहानियां क्या होती हैं और उनका मूलभूत सिद्धान्त।। विज्ञान कहानियों पर पुरुस्कार।। उल्का, छुद्र ग्रह, पृथ्वी पर आधारित विज्ञान कहानियां और फिल्में।। धूमकेतु या पुच्छल तारा क्या होते हैं।। हैली धूमकेतु।। पुच्छल तारों पर लिखी विज्ञान कहानियां।। बेथलेहम का तारा - ग्रह पास आ गये थे।। ग्रहण पर आधारित कहानियां।।
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    grahn is vaigyanik tthya and din evam samy phle se btaayaa ja sktaa hai. is post per un khaaniyon kee charchaa hai jismein is baat ka pfryog kiyaa gyaa hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.Eclipse is scientific fact and can be predicted beforehand. This post talks about stories based on this fact. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

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