नाथुला पास – भारत चीन सीमा

सिक्किम यात्रा की इस चिट्ठी में, नाथुला पास की चर्चा है।


नाथुला पास पर भारत चीन की सीमा है। रास्ते में कुछ अन्य दर्शनीय जगहें हैं पर सबसे दूर नथुला पास है। टैक्सी ड्राइवर की सलाह थी कि हम सबसे पहले दूर की जगह को देख लें और लौटते समय अन्य जगहों को देख लेगें। बचपन में परीक्षा देते समय उल्टी बात रहती है कि पहले आसान सवाल का जवाब लिखो फिर कठिन सवाल का।


नथुला पास जाने के लिए परमिट की जरूरत पड़ती है। इसे अलग-अलग चेक पोस्ट पर दिखाना पड़ता है। एक चेक पोस्ट पर जब हम पास दिखाने के लिए रूके तब मुझे शंका निवारण की आवश्यक्ता पड़ी। वहां पर एक सार्वजानिक शौचालय था। यहां शंका निवारण के लिए २ रूपया देना पड़ता है। मुझे अपनी बर्लिन यात्रा की याद आयी जहां इसी के लिए ५० सेन्ट (लगभग ३० रूपये) देने पड़े थे। इस जगह जाकर मुझे आश्चर्य हुआ क्योंकि मैने इतना साफ सार्वजानिक शौचालय नहीं देखा था। मुझे इस बात से कुछ प्रसन्नता भी हुई। मैंने उस आदमी से इसकी तारीफ की तो वह नहीं समझ पाया। टैक्सी ड्राइवर ने उस व्यक्ति को उसकी भाषा में यह समझाया तो उसने मुस्कुरा कर तारीफ स्वीकार की।


नथुला पास पर एक यादगार चिन्ह बना हुआ है। यह मार्च २००२ में बनाया गया था। यहां पर गार्ड ने मुझे बताया कि यह १९६२ में भारत -चीन लड़ाई और बाद के अन्य हादसों में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के यादगार में बनाया गया है। इसके ऊपर कुछ ऊपर चढ़ने पर एक जगह पत्थर जड़ा हुआ है जिसमे लिखा हुआ है कि जवाहर लाल नेहरू १ सितम्बर १९५८ को यहां आये थे।


भारत की सीमा पर सबसे ध्यान देने की बात यह थी कि वहां पर सैकड़ो हिन्दुस्तानी पर्यटक थे पर चीन की तरफ एक भी पर्यटक नहीं था। वहां पर केवल चीनी सैनिक थे। मैंने चीनी सैनिकों से हाथ भी मिलाया।


यहां से चीन में बनी रोड भी दिखाई पड़ती है और चीन में बनी रोड और अपने देश में बनी रोड में जमीन आसमान का अंतर दिखायी पड़ता है। जहां पर चीन की तरफ बनी हुई रोड एक बहुत ही सुन्दर, बेहतरीन और चौड़ी है जिसमें दो गाड़ी असानी से आ-जा सकती हैं। वहीं भारत की तरफ बनी रोड सकरी और कई जगह टूटी फूटी थी। सकरी होने के कारण जब आर्मी की ट्रकें आमने -सामने आ जाती थी तो लम्बा जाम फंस जाता था जिसे हटाने में काफी समय लगता था। नथुला पास से लौटते समय पानी भी बरसने लगा जिसके कारण रोड पर जगह जगह नाले से बन गये और पानी इक्टठा हो गया।


अपने देश और चीन की रोड देखकर मुझे शर्म लगी। मैंने वहाँ पर एक गार्ड से पूछा कि ऎसा क्यों है। उसने मुस्कुरा कर कहा,
'हमारी तरफ तो पर्यटकों की भीड़ है। यह लोग, यहाँ पर आकर न केवल समय बर्बाद करते हैं पर उनके आवागमन से रोड भी खराब होत है। चीन की तरफ देखिये, उधर एक भी पर्यटक नही हैं। वे लोग इन सब बातों में समय बर्बाद नहीं करते। भीड़ कम होने के कारण उनकी सड़के भी कम खराब होती है और उनके रख रखाव में आसानी पड़ती है।'
मुझे लगा कि यदि कभी फिर भारत-चीन से युद्व हुआ (जिसकी सम्भावना सें इंकार नही किया जा सकता) तब इन सड़कों की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी।


मेरे विचार से यह जगह पर्यटकों के जाने के लिए कुछ समय तक के लिए बंद कर देनी चाहिये ताकि कि हम रास्ते को कम से कम की चीन की तरफ की के रास्ते बराबर बना सके थे और विवाद या लड़ाई के समय उनसे पीछें न रहें। लेकिन रास्ता शायद यह बंद करना सम्भव न हो क्योंकि सिक्किम में पैसा कमाने का सबसे बड़ा साधन पर्यटन है और सिक्किम का पर्यटन विभाग नथुला पास घूमने को विज्ञापित करती है कि आप वहां जाएं और देखें कि हमारे देश के सैनिक किस तरह से सीमाओं की रक्षा कर रही है । इसी कारण वहाँ पर भारतीय पर्यटकों की भीड रहती है। इससे लोगों को व्यापार का साधन मिल रहा है। यदि वहां पर्यटकों का जाना रोका जायेगा व्यापार करने के तरीके में कमी आयेगी ।


मैंने बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां की पिछली चिट्ठी में वायदा किया था कि नथुला पास में कुछ ऐसा हो गया जिसने मुझे एक प्रसिद्ध हिन्दी चिट्टाकार के द्वारा दूसरे प्रसिद्ध हिन्दी चिट्ठाकार की चिट्ठी पर पूछे गये सवाल की याद दिला दी। वे चिट्ठकार हैं संजय जी, जिन्होंने ने शास्त्री जी की चिट्ठी 'वह तारा क्या था?' पर टिप्पणी की थी,
'यीशू ने भारत में आकर आध्यात्मिक शिक्षा ली थी, इस पर आप ही रोशनी डाल सकते है।'
मैंने सोचा था कि इसके बारे में लिखूंगा पर मौका नहीं मिला। किस बात ने इस प्रश्न की याद दिलायी, और इसका क्या जवाब है - इस सब के बारे में, इस श्रंखला की अगली कड़ी में बात करेंगे। वास्तव में, यह कड़ी तो 'बाईबिल, खगोलशास्त्र, और विज्ञान कहानियां' की श्रंखला में भी होनी चाहिये, इसीलिये यह उसका भी हिस्सा रहेगी।

सिक्किम यात्रा
क्या आप इस शख्स को जानते हैं?।। सिक्किम - छोटा मगर सुन्दर।। गैंगटॉक कैसे पहुंचें।। टिस्ता नदी (सिक्किम) पर बांध बने अथवा नहीं।। नाथुला पास – भारत चीन सीमा।। क्या ईसा मसीह ने भारत में आध्यात्मिक शिक्षा ली थी।।

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natu la pass pr bharat cheen seema hai. is post per yhan ke baare mein charchaa hai. yeh hindi (devnagree) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.
This post talks about Natu la - India-china border. It is in Hindi (Devnaagaree script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.


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