ऐसा कोई कंप्यूटर नहीं, जिसे हैक न किया जा सकता हो

इस चिट्ठी में, फिल्म इंडिपैंडेंटस डे (Independence day) और इसका साईबर अपराध से संबन्ध की चर्चा है।
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इंडिपैंडेंटस डे एक विज्ञान कथा पर आधारित फिल्म है। इसकी कहानी कुछ इस प्रकार है।

दूसरे ग्रह से कुछ प्राणी आते हैं। पृथ्वीवासी उनका स्वागत करते हैं। लेकिन वे लोग पृथ्वी पर आकर, जन-जीवन को नष्ट करने लगते हैं। उनमें से एक प्राणी पकड़ा जाता है तब पता चलता है कि दूसरे ग्रह के निवासी नये, नये ग्रहों पर जाते और वहां के रहने वालें का जीवन समाप्त कर देते हैं। उसके बाद उनकी प्राकृतिक सम्पदा हर कर, दूसरे ग्रह पर चले जाते हैं। इस बात का पता चलते ही यह आवश्यक हो जाता है कि किसी तरह इनको समाप्त किया जाए।

जब दूसरे ग्रह से आयी उड़नतश्तरियों पर आक्रमण किया जाता है तब वह विफल हो जाता है। उनके चारो तरफ एक सुरक्षात्मक ढ़ाल थी जिसके अन्दर पृथ्वीवासियों के  बम  नहीं जा पा रहे थे। 


इस ढ़ाल को भेदने के लिये, उनकी मुख्य उड़नतश्तरी के कंप्यूटर में एक वायरस भेजा जाता है। इसके कारण उनकी सुरक्षात्मक ढ़ाल में एक छेद हो जाता है। उस छेद से, एक हवाई जहाज, मुख्य उड़नतश्तरी  के अंदर जाता है और उसमें एक परमाणु बम  रख कर बाहर आ जाता है। परमाणु बम के फटने के बाद, न केवल मुख्य उड़नतश्तरी समाप्त  हो जाता है पर बाकी  उड़नतश्तरियों के चारो तरफ की सुरक्षात्मक ढ़ाल भी समाप्त हो जाती है। इसके बाद उन्हें  समाप्त करने में कोई मुश्किल नहीं होती है। इस तरह से पृथ्वीवासियों की जीत होती है।

इस फिल्म में भी, कोर्ट गर्डल के अपूर्णता के सिद्वान्त का बाखूबी से प्रयोग किया गया है। दूसरे ग्रह के प्राणी  पृथ्वीवासी से अधिक प्रगतिशील थे। उनके कंप्यूटर भी अच्छे थे। उसके बावजूद, वे उस पर वायरस जाने से नहीं रोक सके।

'इंडिपेन्डेन्स डे' फिल्म का चित्र विकिपीडिया से

गर्डल के अपूर्णता सिद्वान्त का विस्तार व्यापक है। इसका एक अर्थ यह भी है कि दुनिया में कोई ऎसा किला नही है जो फतेह न किया जा सके और दुनिया में ऎसा कोई कंपूयटर नहीं है जिसमें अनाधिकृत प्रवेश (hack) न किया जा सके। इसी बात का प्रयोग इंडिपैंडेंटस डे फिल्म में किया गया है।

कहने का अर्थ यह है कि आप तकनीक की दृष्टि से अपने कंप्यूटर को जितना भी सुरक्षित कर लें, उसे हमेशा भेदा जा सकता है। कंप्यूटर में हैकिंग को केवल तकनीक के द्वारा नहीं रोका जा सकता है इसके लिए जरूरी है कि गलत काम को रोकने के लिए कानून बनाया जाए। इसलिए दुनिया में साइबर कानून है। इसके पहले साइबर अपराध पर नज़र डाले कुछ बातें साइबर कानून के बारे में।


इस फिल्म का ट्रेलर देखिये और आनन्द लीजिये।


तू डाल डाल, मैं पात पात







About this post in Hindi-Roman and English  is chitthi mein independence day film kee sameeksha aur  iska cyber apradh ke sambandh ki  charahaa hai. yeh chitthi {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post is review of the film 'Independence Day' and explains its  connection with cybercrime and Godel incomleteness theorem. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script. 

सांकेतिक शब्द
Hindi, पॉडकास्ट, podcast,

नग्गर में, रोरिख संग्रहालय

इस चिट्ठी में, नग्गर में स्थित,  रोरिक संग्रहालय की चर्चा है।
रोरिक परिवार सहित नग्गर में - चित्र विकिपीडिया से

प्रोफेसर निकोलस रोरिख (जन्म ९ अक्टूबर १८७४ - मृत्यु १३ दिसंबर १९४७) रूसी दार्शिनक, लेखक, एवं पेंटर थे। वे रोरिख समझौते के जनक हैं। यह समझौता सभ्यताओं की रक्षा को कानूनी जामा पहनाता है और मुख्य रूप से बताता है कि संस्कृति की सुरक्षा सैन्य आवश्यकता से अधिक महत्वपूर्ण है। 

रौरिख ने अपने जीवन के  अंतिम, लगभग २१ साल भारत में हिमाचल के कस्बे, नग्गर में बिताये। यहीं रोरिक मेमोरियल ट्रस्ट बनाया गया है और इनके घर को संग्रहालय में बदल दिया गया है। इसी तरह का एक अन्य संग्रहालय दार्जिलिंग और बैंगलोर में भी है। हम लोग, कुल्लू से,  इसे देखने गये।

इस संग्रहालय के ऊपर उर्सवती हिमालय रिसर्च इंस्टीट्यूट बना है। इसमें भी संग्रहालय है। रोरिख के बड़े पुत्र ने हर्बल औषधि के क्षेत्र में काम करते थे। उस संग्रहालय में चिड़िया है और हर्बल औषधि बनाने के औजार है। इस समय यहां संगीत एवं पेंटिंग की भी शिक्षा दी जाती है। इसका डिप्लोमा चंडीगढ़ से दिया जाता है। 
रोरिक संग्रहालय
रोरिख का घर बहुत सुन्दर जगह पर है। यहां से ब्यास नदी का बहुत सुन्दर दूश्य दिखायी पड़ता है। वहां जाकर लगा क्यों न यहीं बैठ कर कुछ रचनात्मक कार्य किया जाये। 
संग्रहालय से खरीदा गया देविका रानी का चित्र 
 
रोरिख के दो  पुत्र थे। उनके छोटे पुत्र की शादी एक प्रसिद्घ फिल्मकारा देवका रानी से हुई थी।


संग्राहालय में यादगार वस्तुये भी ख़रीद सकते हैं और यह बहुत अच्छी बात है। यह अक्सर हिंदुस्तान के संग्रहालय में नही होता है। लेकिन यहां पर सब मिल रहा था । वहां से मैने एक पेपर वेट और देवकी रानी का बना हुआ चित्र भी खरीदा।

अगली बार, हम लोग मनाली से चायल चलेंगे। जहां हिमाचल सरकार के पर्यटन विभाग के प्रीमियम हैरीटेज़ होटल में मेरी मुलाकात, एक सुन्दर केशों की मलिका, साहिबा से हुई थी।

रोरिख के बारे में कुछ और जानकारी और उनकी पेंटिंग आप यहां देख सकते हैं।


देव भूमि, हिमाचल की यात्रा
वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।। यह तो धोखा देने की बात हुई।। पाडंवों ने अज्ञातवास पिंजौर में बिताया।। अखबारों में लेख निकले, उसके बाद सरकार जागी।। जहां हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की बात हुई हो, वहां मीटिंग नहीं करेंगे।। बात करनी होगी और चित्र खिंचवाना होगा - अजीब शर्त है।। हनुमान जी ने दी मजाक बनाने की सजा।। छोटे बांध बनाना, बड़े बांध बनाने से ज्यादा अच्छा है।। लगता है कि विंडोज़ पर काम करना सीख ही लूं।। गाड़ी से आंटा लेते आना, रोटी बनानी है।। बच्चों का दिमाग, कितनी ऊर्जा, कितनी सोचने की शक्ति।। यह माईक की सबसे बडी भूल थी।। भारत में आधारभूत संरचना है ही नहीं।। सुनते तो हो नहीं, जो करना हो सो करो।। रानी मुकर्जी हों साथ, जगह तो सुन्दर ही लगेगी।। उसकी यह अदा भा गयी।। यह बौद्व मंदिर है न कि हिन्दू मंदिर।। रास्ता तो एक ही है, भाग कर जायेंगे कैसे।। वह कुछ असमंजस में पड़ गयी।। हमने भगवान शिव को याद किया और आप मिल गये।। अपनी टूर दी फ्रांस - हिमाचल की साइकिल रेस।। और वह शर्मा गयी।। पता नहीं हलुवा घी में,  या घी हलुवे में तैर रहा था।। अभी तक इसका पैसा नहीं निकल पाया है।। नग्गर में, रोरिख संग्रहालय।। आप, क्यों नहीं, इसके बाल खींच कर देखते।।

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अभी तक इसका पैसा नहीं निकल पाया है

कुल्लू में राफटिंग होती है। इस चिट्ठी में उसी की चर्चा है।
मैंने काशमीर यात्रा के दौरान पहलगांव में राफ्टिंग की थी। इसी लिये कुल्लू में भी राफ्टिंग की बात सोची। इसी लिये हम लोग, मणिर्कण से वापस आते समय, कुल्लू होते हुए आये।
कुल्लू में हमें, कोई भी व्यक्ति राफटिंग करते हुए नहीं दिखायी पड़ा। ऎसा लगा कि शायद उस दिन राफटिंग नहीं हो रही है। यह सच नहीं था। राफटिंग तो हो रही थी लेकिन बहुत कम लोग राफटिंग कर रहे थे। इसलिए नहीं दिखायी पड़ रहे थे।
 
रास्ते में, हमें  डेमन ऎडवंचर का लगा बोर्ड दिखा। इसके मालिक का नाम विनीत था। उन्होंने बताया कि राफटिंग सब लोग नहीं करवा सकते है। इसके लिए सरकार से लाइसेंस लेना पड़ता है। उनके पास ३  या ७ किलो-मीटर राफ्टिंग करवाने का लाइसेंस था। इससे ज्यादा दूरी की भी राफटिंग होती है पर उसके लिए उनके पास लाइसेंस नहीं था। 

विनीत के साथ चार नेपाली लोग थे। वे  वेतन पर काम कर रहे थे। यह लोग हिमांचल प्रदेश के पर्यटन विभाग  के द्वारा प्रमाणित थे। विनीत ने इसी साल अपना व्यापार शुरू किया है। उसने बताया,
'मैंने दो रैफ्ट, ऋषीकेश से सवा तीन लाख रूपये में खरीदे हैं। लेकिन अभी तक इसका पैसा नहीं निकल पाया है।'
राफटिंग बरसात में नही होती है और ठंढक के दिनों मे भी नही होती है। क्योंकि, उन दिनों में बर्फ जम जाती है और नदी में पानी कम रहता है। यह लगभग अप्रैल के महीने से, सितम्बर के अन्त तक चलता है। बीच में, एक महीने बरसात में यह बंद हो जाता है।


मैने जब राफ्टिंग की तब मेरे साथ टैक्सी चालक पवन भी थे। हमने तीन किलो-मीटर राफटिंग की। उसके  बाद यह लोग गाड़ी से हमें पुन: वापस वहीं  पर ले आये जहां से हमने रैफ्टिंग शुरू की थी। रैफ्ट को भी गाड़ी में रखकर लाया गया। 


हम लोग पूरी तरह से भीग गये थे। लेकिन इसके लिए हम तैयार थे। हम अपने साथ अतिरिक्त कपड़ा ले गये थे। वहां पर कपड़े बदलने के लिए कमरा था। वहां पर हमने कपड़े बदले। हम लोग को ठंड लग रही थी। इसलिए बगल में गर्म चाय भी पी। 


हिमाचल का प्रसिद्घ व्यंजन सीटू है। कहते है कि पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी को भी यह व्यंजन बहुत पसंद है। वे जब भी हिमाचल प्रदेश जाते हैं तो इसे अवश्य खाते हैं। यह चावल से बनाया जाता है और इसे चटनी और घी के साथ खाया जाता है । मैंने भी इसे खाया पर मुझे  स्वाद नहीं लगा क्योंकि मैंने इसे बिना चटनी के खाया था।

प्रोफेसर निकोलस रोरिक  दार्शिनक, लेखक, तथा पेंटर थे।
वे जीवन के अन्तिम समय हिमाचल में रहे। अगली बार, रोरिक मेमोरियल ट्रस्ट घूमने चलेंगे।  

देव भूमि, हिमाचल की यात्रा
वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।। यह तो धोखा देने की बात हुई।। पाडंवों ने अज्ञातवास पिंजौर में बिताया।। अखबारों में लेख निकले, उसके बाद सरकार जागी।। जहां हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की बात हुई हो, वहां मीटिंग नहीं करेंगे।। बात करनी होगी और चित्र खिंचवाना होगा - अजीब शर्त है।। हनुमान जी ने दी मजाक बनाने की सजा।। छोटे बांध बनाना, बड़े बांध बनाने से ज्यादा अच्छा है।। लगता है कि विंडोज़ पर काम करना सीख ही लूं।। गाड़ी से आंटा लेते आना, रोटी बनानी है।। बच्चों का दिमाग, कितनी ऊर्जा, कितनी सोचने की शक्ति।। यह माईक की सबसे बडी भूल थी।। भारत में आधारभूत संरचना है ही नहीं।। सुनते तो हो नहीं, जो करना हो सो करो।। रानी मुकर्जी हों साथ, जगह तो सुन्दर ही लगेगी।। उसकी यह अदा भा गयी।। यह बौद्व मंदिर है न कि हिन्दू मंदिर।। रास्ता तो एक ही है, भाग कर जायेंगे कैसे।। वह कुछ असमंजस में पड़ गयी।। हमने भगवान शिव को याद किया और आप मिल गये।। अपनी टूर दी फ्रांस - हिमाचल की साइकिल रेस।। और वह शर्मा गयी।। पता नहीं हलुवा घी में,  या घी हलुवे में तैर रहा था।। अभी तक इसका पैसा नहीं निकल पाया है।। आप, क्यों नहीं, इसके बाल खींच कर देखते।।
हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।:
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यह पॉडकास्ट ogg फॉरमैट में है। यदि सुनने में मुश्किल हो तो दाहिने तरफ का विज़िट, 
'मेरे पॉडकास्ट बकबक पर नयी प्रविष्टियां, इसकी फीड, और इसे कैसे सुने
  
 


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This post talks about rafting in Kullu. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

सांकेतिक शब्द
Himachal Pradesh, Kullu, rafting, 
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आज, मुझसे शादी करोगी

इस चिट्ठी में डगलस ऐडम्स् की पुस्तक 'द हिचहाइकरस् गाइड टू द गैलैक्सी' की चर्चा के साथ आज की तारीख का सम्बन्ध बताया गया है।
'उन्मुक्त जी, शादी की शुभकामनायें।'
अरे भाई, घर से निकलवाइयेगा क्या।  मैं थोड़ी शादी करने जा रहा हूं पर आज बहुत से लोग शादी कर रहे हैं।
'उन्मुक्त जी, ऐसा क्या खास है आज के दिन।' 
कुछ जगहों में, कुछ समुदायों में, इतवार के दिन ही शादी की जाती है। पिछले साल इतवार ११ अक्टूबर को था। इस साल यह आज दस तारीख को है। लेकिन इस साल इतवार में शादी करने वाले लोग लगभग तीन गुने हैं। इसमें बहुत से कंप्यूटर और विज्ञान से जुड़े लोग भी हैं। और आज का दिन उनके लिये खास है। 
'उन्मुक्त जी, होगा क्या। यह लोग अंक विद्या में विश्वास करते होंगे। उसके हिसाब से आज का दिन शुभ होगा बस। लेकिन आपने ४२ संख्या क्यों लिख रखी है?'
मेरे विचार से अंक विद्या में कोई तथ्य नहीं। यह केवल अन्धविश्वास है - टोने टुटके की तरह। कंप्युटर या विज्ञान से संबन्धित लोग इस पर विश्वास नहीं करते हैं। लेकिन इसका कारण कुछ और है जिसका संबन्ध ४२ से है। 
'अरे, तो फिर जल्दी बताईये वह क्या है?'
सब्र कीजिये। इस संख्या का महत्व तो  आपको इस चिट्ठी के अन्त में पता चलेगा। पहले कुछ बाते अंक विद्या के बारे में। 

मैंने अपनी श्रृंखला 'ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके' लिखते समय, दो चिट्ठियां  अंक विद्या, डैमियन - शैतान का बच्चा लिख कर उस फिल्म-श्रृंखला की चर्चा की थी जिसमें इस अंक विद्या को महत्व दिया गया था। इसके बाद इसकी कड़ी अंक लिखने का इतिहास में, इसके गलत तरीके से विकास और लोकप्रिय होने का कारण बताया था। यदि आप इसे पढ़ेंगे तो पायेंगे कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है।

इस श्रृंखला को मैंने एक जगह सम्पादित कर लेख चिट्ठे ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके नाम की चिट्ठी पर रखा है। इस पर मुझे अक्सर सीमा के बाहर टिप्पणियां भी झेलनी पड़ती हैं। अंततः मैंने दो अन्य चिट्ठियां, ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके, श्रृंखला किसी को दुख देने के लिये नहीं लिखी तथा ज्योतिष, और अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके’ श्रृंखला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिये लिखी, लिख कर बताया कि मैंने यह श्रृंखला क्यों लिखीं थी लेकिन मेरे लेख चिट्ठे पर अभद्र टिप्पणियों का आना बन्द नहीं हुआ।

यह  चिट्ठी भी, मैंने किसी को दुख देने के लिये नहीं, लेकिन एक प्रसिद्ध विज्ञान कहानी संग्रह और उसका आज की तारीख से संबन्ध बताने के लिये लिखी है।

आज तारीख है १०.१०.१० - यह कुछ असमान्य सी तारीख है। जैसे २००९ की ९ सितंबर (०९०९०९) या २००८ की ८ अगस्त (०८०८०८)। बस इसलिये यह कुछ अजीबो-गरीब है।
'उन्मुक्त जी, क्या बस इसीलिये कंप्यूटर और विज्ञान वाले इस दिन शादी कर रहे हैं।'
नहीं, इसका कारण कुछ और ही है।

मैंने कुछ समय पहले 'नारद जी की छड़ी और शतरंज का जादू’ नामक श्रृंखला कई कड़ियों में प्रकाशित की। इसके बाद इसे सम्पादित कर २ की पॉवर के अंक, पहेलियां, और कमप्यूटर विज्ञान नाम से लेख चिट्ठे पर रखा। इसकी भूमिका और २ की पावर और कंप्यूटर विज्ञान और श्रृंखला का निष्कर्ष में बाईनरी सिस्टम की चर्चा की है। 

कंप्यूटर बाईनरी सिस्टम ही समझते हैं। यदि आज की तारीख १०१०१० को हम बाईनरी सिस्टम में लिखा माने और उसे डेसीमल सिस्टम, जिसमें हम काम करते हैं, में बदलें, तो यह २^५+०+२^३+०+२^१+० यानि कि ४२ के बराबर होगा। यहां ^ का अर्थ है पॉवर। २^५ का मतलब हुआ २ की पॉवर ५ यानी २x२x२x२x२ या ३२
'उन्मुक्त जी, आपको कुछ नहीं मालुम। अंक विद्या के अनुसार ४२ संख्या तो ६ के बराबर है। यह अंक महत्वपूर्ण है। इसी लिये यह लोग आज शादी कर रहें हैं, ठीक है न।'
डगलस ऐडम्स्
यह सच नहीं है। यह संख्या (४२) विज्ञान कहानी प्रेमियों के लिये महत्वपूर्ण है। उनके लिये यह खास नम्बर है।

डगलस ऐडम्स् एक अंग्रेजी लेखक हैं। १९७८ में उन्होंने बीबीसी की चैनल-४ में रेडियो प्रोग्राम की श्रृंखला की थी। बाद में वह पुस्तकों के रूप में लिखी गयीं। उन्होंने ५ पुस्तकें लिखीं थीं। छटवीं लिखने के पहले उनकी मृत्यु हो गयी। बाद में छटी पुस्तक ओवेन कोल्फर ने लिखी। 

पहले प्रकाशन पर पुस्तक का कवर
विज्ञान कहानियों की यह श्रृंखला, 'द हिचहाइकरस् गाइड टू द गैलैक्सी' के नाम से जानी जाती है। यह बाद में एच२जी२ (H2g2) के नाम से भी प्रसिद्ध है। १९८१ में इस पर टीवी श्रृंखला और डीसी कॉमिक्स ने पहली तीन उपन्यास में कॉमिक्स भी निकाली।

क्या आप जानते हैं कि इसकी सबसे महत्वपूर्ण पंक्ति  क्या है। नहीं मालुम न, चलिये मैं बताता हूं। 
 
इसके प्रथम उपन्यास में, ब्रह्माण्ड के अत्यंत बुद्धिमान प्राणीगण जीवन का क्या मतलब है जानने के लिये अपने दो सबसे प्रबुद्ध प्राणियों को सुपर कंप्यूटर से अंतिम सवाल का, आखरी जवाब जानना के लिये नियुक्त करते हैं। कंप्यूटर उन्हें, ७५ लाख साल के बाद आने को कहता है। उस समय उसका जवाब होता है - ४२।  
'उन्मुक्त जी, समझ में नहीं आया। वह आखरी सवाल क्या था। जिसका जवाब ४२ था।'
वह सवाल क्या था यह किसी को नहीं मालुम, बस जवाब ही मालुम है :-) 
पहली कॉमिक का कवर

जब सुपर कंप्यूटर से पूछा जाता है कि आखरी सवाल क्या था, तब वह बताता है कि उसे उसका सवाल नहीं मालुम। लेकिन वह उससे भी अधिक शक्तिशाली कंप्यूटर (पृथ्वी) को बना सकता है। जिसके पास इसका जवाब हो। उसमें उन सब को, आदि-प्राणी की तरह जाना होगा। एक करोड़ साल बाद उसका जवाब मिल सकेगा। लेकिन जब उसका जवाब मिलने की बात होती है तब उसके ठीक ५ मिनट पहले पृथ्वी नष्ट हो जाती है।

वास्तव में, यह संख्या ४२ मज़ाक ही है। लेकिन इसे इस तरह देखें कि जिस दिन हमें आखरी सवाल और उसका जवाब मालुम चल जायगा। उस दिन हम इस ब्रह्माणड को जान लेंगे। फिर जीने का उद्देश्य ही समाप्त हो जायगा। वह जीवन का अन्त होगा।
'उन्मुक्त जी, कहानी तो कुछ रोचक लग रही है। क्या कुछ और प्रकाश डालेंगें।' 
आपको ही नहीं, यह बहुतों को रोचक लगती है। यही कारण है कि यह बीसवीं शताब्दी के अन्तिम चतुर्थांश की सबसे प्रसिद्ध विज्ञान कहानियों में से है। इसी लिये ४२ संख्या बहुत से विज्ञान कहानी प्रेमियों को भाती है। यही कारण है कि वे लोग इस दिन शादी कर रहे हैं। जहां तक इसकी कहानी की बात है वह तो अरविन्द मिश्रा जी से ही पूछिये। याहू पर साइंस फिक्शन ग्रुप वह चलातें हैं कि मैं :-)  

न तो मैं आज शादी कर रहा हूं न ही मेरी शादी आज हुई थी। मेरी शादी को तो जमाना गुजर गया। आज मेरी एक प्रिय भान्जी का जन्मदिन है। मैंने उसी के लिये यह चिट्ठी लिखी है।

इस पर फिल्म भी बनी यदि आप इसका वह भाग देखना चाहते हों, जहां पर कंप्यूटर सवाल का जवाब दे रहा है
तब नीचे देखें।
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यह पॉडकास्ट ogg फॉरमैट में है। यदि सुनने में मुश्किल हो तो दाहिने तरफ का विज़िट,
'मेरे पॉडकास्ट बकबक पर नयी प्रविष्टियां, इसकी फीड, और इसे कैसे सुने'

About this post in Hindi-Roman and English  
is chitthi mein Douglas Adams kee likhi pustak  'The Hitchhiker's Guide to the Galaxy' kee charchaa ke saath aaj ke tareekh ke smbandh ke sameeksha hai. yeh chitthi {devanaagaree script (lipi)} me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post is book review of 'The Hitchhiker's Guide to the Galaxy' by Douglas Adams talks about its connection with today's date. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script. 

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पता नहीं हलुवा घी में, या घी हलुवे में तैर रहा था

इस चिट्ठी में, मणिकर्ण में स्थित राम मन्दिर और गुरुद्वारा की चर्चा है।

मणिकर्ण में राम मन्दिर है। इसकी कथा कुछ इस प्रकार है।

सोलहवी शताब्दी में कुल्लू प्रदेश पर राजा जगत सिंह का राज्य था। एक बार किसी ने राजा जगत सिंह के पास झूठी शिकायत कर दी कि टिपरी गांव (मणिकर्ण से २५ कि.मी.) के एक ब्राहम्ण के पास अनमोल मोती हैं, यह तो राजा के पास होने चाहिए।

राजा जब अगली बार मणिकर्ण आये तब ब्राहम्ण को बुलवा कर आदेश दिया कि राजकीय खजाने में जमा मोती  कर दो। लेकिन ब्राहाम्ण के पास मोती नहीं थे। वह जमा कैसे करता। 
 

राजा गांव में मोती लेने पहुँचा। ब्राहाम्ण ने डर के मारे अपने आपको परिवार सहित घर में बंद कर आत्मदाह कर लिया।

ब्राहम्ण हत्या के कारण राजा बीमार हो गया और किसी उपचार से ठीक नहीं हो सका। एक महात्मा ने, राजा को सलाह दी अयोध्या से भगवान रामचन्द्र जी की  मूर्ति मंगवा कर मणिकर्ण के मन्दिर में स्थापित कर राज पाठ भगवान रघुनाथ जी को अर्पण कर दें। तब बीमारी दूर हो सकती है। राजा ने ऎसा ही किया। उसके बाद राज्य  का काम भगवान रघुनाथ जी के दास के रूप में किया। उनके जीवन के अन्तिम २६ वर्ष यहीं बीते। 

 
कुल्लू के दशहरा मेला विश्व प्रसिद्व है। राजा जगतसिंह के समय से ही, इसका आरम्भ मणिकर्ण से होना शुरू हुआ था। तभी से , यह प्रथा आज भी चल रही है।

हम भगवान राम  के इस मंदिर को देखने गये। यहां लंगर चलता रहता है। हम लोगों ने दोपहर का खाना वहीं पर खाया। खाने में मोटा चावल, राजमां और कढ़ी थी। कढ़ी स्वाद में  मीठी  थी।  हम  लोगों ने भोजन किया।  इसके लिए पैसा नहीं देना पड़ता था पर जब मैं बाहर निकलने लगा तो देखा कि वहां पर एक पेटी रखी हुई है और उसमें लिखा हुआ था कि आप जो चाहे दान दे सकतें है। मुझे लगा कि हम लोगों ने खाना खाया है। इसलिए  कि कुछ न कुछ अवश्य  दान देना चाहिये मैंने सौ रूपये  पेटी में डाले।
 

हम लोगों को खाना खिलाते समय, एक बहुत सुन्दर नवयुवक रीबॉक का ट्रैक सूट पहने हुए खाना खिला रहा था । वह बाहर  मिला। मैंने उससे कहा,
'खाना बहुत अच्छा बना था क्या तुम खाना बनाने वाले को हमारी ओर से धन्यवाद दे सकते हो।'
उसने अपना नाम  चमन लाल बताया और कहा,
'आज खाना बनाने वाला नहीं आया था। इसलिए  आज का खाना मैंने बनाया है।'
यह भी कितने आश्चर्य की बात है कि  भगवान राम के मंदिर में, रीबॉक के ट्रैक सूट के साथ, खाना बनाने वाले बवर्ची के हाथों, हमने प्रसाद के रूप में भोजन खाया।

यहां पर एक गुरूद्वारा भी है। हम लोग गुरूद्वारे में भी गये। वहां पर भजन, कीर्तिन हो रहा था और प्रसाद में हलुवा मिल रहा था। मैंने इसे ग्रहण किया। पता नहीं लगता था कि हलुवा घी में,  या घी हलुवे में तैर रहा था। लेकिन हलुवे में अच्छी बात यह थी कि वह गर्म था और कम मीठा था। हलुवा खाने के बाद हाथ में लगे घी को  अपने बदन में लगा लिया।



देव भूमि, हिमाचल की यात्रा
वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।। यह तो धोखा देने की बात हुई।। पाडंवों ने अज्ञातवास पिंजौर में बिताया।। अखबारों में लेख निकले, उसके बाद सरकार जागी।। जहां हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की बात हुई हो, वहां मीटिंग नहीं करेंगे।। बात करनी होगी और चित्र खिंचवाना होगा - अजीब शर्त है।। हनुमान जी ने दी मजाक बनाने की सजा।। छोटे बांध बनाना, बड़े बांध बनाने से ज्यादा अच्छा है।। लगता है कि विंडोज़ पर काम करना सीख ही लूं।। गाड़ी से आंटा लेते आना, रोटी बनानी है।। बच्चों का दिमाग, कितनी ऊर्जा, कितनी सोचने की शक्ति।। यह माईक की सबसे बडी भूल थी।। भारत में आधारभूत संरचना है ही नहीं।। सुनते तो हो नहीं, जो करना हो सो करो।। रानी मुकर्जी हों साथ, जगह तो सुन्दर ही लगेगी।। उसकी यह अदा भा गयी।। यह बौद्व मंदिर है न कि हिन्दू मंदिर।। रास्ता तो एक ही है, भाग कर जायेंगे कैसे।। वह कुछ असमंजस में पड़ गयी।। हमने भगवान शिव को याद किया और आप मिल गये।। अपनी टूर दी फ्रांस - हिमाचल की साइकिल रेस।। और वह शर्मा गयी।। पता नहीं हलुवा घी में,  या घी हलुवे में तैर रहा था।।  आप, क्यों नहीं, इसके बाल खींच कर देखते।।

हिन्दी में नवीनतम पॉडकास्ट Latest podcast in Hindi
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This post talks about ram mandir and gurudwara in Manikaran. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.
सांकेतिक शब्द
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और वह शर्मा गयी

इस चिट्ठी में तीर्थ मणिकर्ण के नामकरण और वहां के गर्म चश्में की कथा की चर्चा है।
मनाली से हम लोग सुबह नाशता कर मणिकर्ण के लिये निकले। काफी देर तक व्यास नदी के किनारे चलते रहे और उसके बाद बायें मुड़कर मणिकर्ण के लिए मुड़े तब हम लोगों के साथ रास्ते भर पार्वती नदी रही। यदि हम पुल से बायें न मुड़ते और सीधे चलते रहते तब कुछ ही दूर इन दोनों नदियों का संगम है। बायें मुड़ कर चलने पर कुछ देर बाद हमें मनाला हाई रोड इलेक्टिक प्रोजेक्ट  का  बिजली घर दिखाई पड़ा।
मनाला गांव में पानी इक्ट्ठा होता है। वहीं से पाइप के द्वारा एक सुरंग के जरिए  पहाड़ को पार करते हुए  नीचे जाता है। ताकि बिजली पैदा की जा सके। इससे लगभग ८६ मेगावाट बिजली तैयार की जाती है। वहां पर हमें कुछ विदेशी, इस प्रोजेक्ट के अन्दर जाने की इच्छुक लगे। हमारे साथ वहां के स्थानीय व्यक्ति जसवंत भी थे। मैंने उनसे पूछा, 
'क्या यह लोग प्रोजेक्ट देखने जा रहे हैं?'
जसवन्त ने बताया,
'नहीं, यह लोग नदी पार कर मनाला गांव में जायेंगे। वहां भांग पैदा होती है। वहां के लोग भांग का व्यापार करते है। यहां पर रहने वाले, ज्यादातर विदेशी  भांग खाते हैं। यह विदेशी भी भांग लेने मनाला गांव जा रहे है। मनाला में पहले केवल भांग का व्यापार के अलावा कुछ नहीं होता था। लेकिन सड़क बन जाने के बाद कुछ लोग पढ़ने लगें है।'
मणिकर्ण में एक गर्म पानी का फौव्वारा है। इसकी कथा कुछ इस प्रकार है।
 

पहाड़ में समान भेजने का तरीका
ब्रहम्माण्ड पुराण  के अनुसार एक बार शिव जी पार्वती जी के साथ मणिकर्ण आये। यहां की  सुन्दरता के कारण, यहीं रूक ११,००० वर्षों तक तपस्या में लीन रहे।

एक बार जलक्रीडा करते हुए पार्वती जी के कान के आभूषण की एक मणि जल में गिर कर पताल लोक में चली गई। खोई हुई मणि को ढूंढने के लिए भगवान शंकर ने अपने गणों को आदेश दिया। लेकिन मणि न मिली। 

शेषनाग पातालाधिपति तथा माणियों के स्वामी हैं। उन्हें, पार्वती जी के आभूषण  के बारे में पता चला। इस पर उन्होंने जोर से फुंकारा।  जिससे इस स्थान पर पृथ्वी में गर्म जल का फौव्वारा  प्रकट हो गयी।  इस फौव्वारे  से, पार्वती जी की मणि निकल आयी। 

कहा जाता है कि सन् १९०५ से पहले गर्म जल चश्मे से ११  से १४ फुट ऊंचा फुहारा बड़े वेग से निकलता तथा जिसमें से कभी-कभी मणियाँ (रंग बिरंगे पत्थर) निकलती थी। इसी से इस स्थान का नाम मणिकर्ण पड़ा। 
यहां पार्वती जी तपस्या करने के  कारण, पुराणों में इस स्थान को 'अर्द्घ नारी क्षेत्र' भी कहा गया है। भगवान शंकर को यह स्थान इतना प्रिय  है कि काशी में भी उनके स्थान का नाम 'मणिकर्णिका घाट' है।

महाभारत काल में देवराज इन्द्र द्वारा अर्जुन को दिए गए पाशुपतास्त्र चलाने के लिए अर्जुन की परीक्षा लेने के लिए भगवान शंकर जी ने किरात (भील) रूप धारण करके इस स्थान पर अर्जुन से युद्व करके अर्जुन को वरदान दिया था। 
मणिकर्ण के गर्म जल के विभिन्न चश्मों का तापमान ६४ सी से ८८ सेलसियस है।  चश्मों में गन्धक नहीं है। कहा जाता है यहाँ के कुण्डों में स्नान करने से गठिया इत्यादि रोग दूर हो जाते है।

हम लोग जब इस गर्म पानी के चश्में को देखने गये, उस समय एक प्यारी सी नवयुवती वहां पर गठरी लेकर आयी थी। उसने बताया,
'मैं गठरी में आलू लाई हूं। आलू के पराठे बनाने के लिये इसे उबाल रही हूं। बाद में, अचार के साथ खायेंगे।'
मैंने पूछा
'क्या हम लोग भी उसके साथ यह खाना खा सकते हैं'
वह शर्मा गयी और कोई जवाब नहीं दिया।                                                        
 

मणिकर्ण में, एक राम मन्दिर भी है। हम लोगो ने खाना वहीं खाया। बस इसी कारण आलू के पराठे न खा सके। इसकी कथा अगली बार। 
देव भूमि, हिमाचल की यात्रा
वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।। यह तो धोखा देने की बात हुई।। पाडंवों ने अज्ञातवास पिंजौर में बिताया।। अखबारों में लेख निकले, उसके बाद सरकार जागी।। जहां हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की बात हुई हो, वहां मीटिंग नहीं करेंगे।। बात करनी होगी और चित्र खिंचवाना होगा - अजीब शर्त है।। हनुमान जी ने दी मजाक बनाने की सजा।। छोटे बांध बनाना, बड़े बांध बनाने से ज्यादा अच्छा है।। लगता है कि विंडोज़ पर काम करना सीख ही लूं।। गाड़ी से आंटा लेते आना, रोटी बनानी है।। बच्चों का दिमाग, कितनी ऊर्जा, कितनी सोचने की शक्ति।। यह माईक की सबसे बडी भूल थी।। भारत में आधारभूत संरचना है ही नहीं।। सुनते तो हो नहीं, जो करना हो सो करो।। रानी मुकर्जी हों साथ, जगह तो सुन्दर ही लगेगी।। उसकी यह अदा भा गयी।। यह बौद्व मंदिर है न कि हिन्दू मंदिर।। रास्ता तो एक ही है, भाग कर जायेंगे कैसे।। वह कुछ असमंजस में पड़ गयी।। हमने भगवान शिव को याद किया और आप मिल गये।। अपनी टूर दी फ्रांस - हिमाचल की साइकिल रेस।। और वह शर्मा गयी।।  आप, क्यों नहीं, इसके बाल खींच कर देखते।।
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This post is naming of Manikaran and hot spring there. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.
सांकेतिक शब्द
Travel, Travel, travel and places, Travel journal, Travel literature, travel, travelogue, सैर सपाटा, सैर-सपाटा, यात्रा वृत्तांत, यात्रा-विवरण, यात्रा विवरण, यात्रा विवरण, यात्रा संस्मरण, मस्ती, जी भर कर जियो,  मौज मस्ती,
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