यह तो धोखा देने की बात हुई

हिमाचल यात्रा में, पवन हमारे टैक्सी चालक थे। इस चिट्ठी में, कुछ उनके बारे में और कुछ दिल्ली एवं केरल टैक्सी सेवा के तुलना है।


हिमाचल यात्रा के लिये, हमने ईनोवा टैक्सी  ली थी क्योंकि सामान कुछ ज़्यादा था। पवन, हमारे टैक्सी चालक, के पिता सेना में नौकरी करते थे। अब, वे सेवानिवृत्त हो गये हैं। उनके दो भाई हैं, बड़े भाई स्कूल में पढ़ाते हैं और छोटा भाई पढ़ रहा है। पवन जी को एक बेटा एक बेटी है। जिनकी उम्र छः और चार साल है।

केरल यात्रा में प्रवीण हमारे साथ थे। उनका भी स्वभाव अच्छा था। वे काफी बातूनी थे।

पवन का स्वभाव अच्छा था। लेकिन वे उल्टे थे। कम बात करते थे। यह टैक्सी उनकी नहीं थी। वे केवल चालक के रूप में कार्यरत थे। 

हमारे टैक्सी चालक - पवन, रोहतांग पास पर। 
क्या आपको वह किसी फिल्म हीरो से कम लग रहे हैं :-) 

इस टैक्सी में टैक्सी का नम्बर न होकर प्राइवेट नम्बर था। मैंने पवन से पूछा,
'इस गाड़ी' में प्राइवेट नम्बर क्यों है? क्या ये टैक्सी की तरह रजिस्टर्ड नहीं है?  इसका बीमा टैक्सी की तरह है या नहीं?'
मैंने उसे बताया कि यदि इस गाड़ी का बीमा टैक्सी की तरह नहीं है तो दुर्घटना हो जाने पर हम सब मुश्किल में पड़ सकते हैं। हमारे परिवार वालों को  बीमा कम्पनी से पैसा नहीं मिल पायेगा। यह सुनने के बाद उसने कहा,
'इस गाड़ी का बीमा टैक्सी की तरह है और यह वैसे ही रजिस्टर्ड है। इसका नंबर टैक्सी का नम्बर है। लेकिन उसके मालिक ने इसमें एक प्राइवेट गाड़ी की तरह नम्बर पेन्ट किया है। यह इसलिए किया है ताकि लगे कि यह प्राइवेट गाड़ी है। चूंकि हम लोग कई राज्यों में जा रहे हैं इसलिये यदि ऐसा नहीं करते तो सब जगह टैक्स देना पड़ता।'
मैंने कहा,
'यह तो धोखा देने की बात हुई। यह बात गलत है। आपको कोई घाटा नहीं होता क्योंकि टैक्स तो हमको देना पड़ता। आपके मालिक को इस पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए थी अपने मालिक से कहियेगा कि हमें यह बात पसन्द नहीं आयी।'
उसने कहा कि इस बात को जरूर अपने मालिक से कहेगा और अगली बार ऐसा नहीं होगा। मालूम नहीं कि उसने कहा कि नहीं। यदि कहा तो क्या उसने माना।

मुझे केरल यात्रा के दौरान भी टैक्सी का अनुभव रहा। वहां हमारे टैक्सी चालक प्रवीण ज़्यादा साफ सुथरे रहते थे। केरल में लोग पेशेवर हैं। वहां की गाड़ी भी टैक्सी की तरह रजिस्टर्ड थी। इस गाड़ी को भी उसी तरह से होना चाहिए था।

हम लोग सबसे पहले पिंजौर रुके। अगली चिट्ठी में उसी के बारे में।

देव भूमि, हिमाचल की यात्रा

वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।। यह तो धोखा देने की बात हुई।।

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Pawan was our taxi driver in the Himachal trip. This post is about him and compares Delhi taxi service with Kerala taxi service. It is in Hindi (Devanagari script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

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अश्वेत लड़कों ने हमारे साथ बलात्कार किया है

इस चिट्ठी में उस मुकदमें की चर्चा है जिसने हार्पर ली को 'टु किल अ मॉकिंगबर्ड' लिखने के लिये प्रेरित किया। इस चिट्ठी को, सुनने के लिये यहां चटका लगायें।

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१९४१ में सैमुएल न्यायाधीश हो गये। वे जहां भी घूमने जाते थे,  वहां न्यायालय की कार्यवाही देखना पसन्द करते थे। एक बार वे फ्लोरिडा गये। वहां न्यायालय की जूरी में ११ श्वेत लोगों के साथ एक अश्वेत भी था। दोपहर के भोजनावकाश के दौरान उसने वकीलों से पूछा,
'क्या यहां अश्वेत लोग भी जूरी पर बैठते हैं?'
उस वकील ने जवाब दिया,
'Yes, it is something new. This is the first time in our state we have had a nigger on a jury and it's all on account of a son-of-a-bitch named  Samual Leibowitz from New York. He came down to Alabama a few years ago to try a case and somehow he got to the Supreme Court in Washingtone, and damned if we haven't had to put niggers on our juries over since.
हां यह कुछ नया है यह पहली बार है जब कोई अश्वेत व्यक्ति जूरी में है। यह सब उस उल्लू के पट्ठे सैमुएल लाईबोविट्ज़ के कारण हुआ जो कि कुछ साल पहले ऎलाबामा में एक मुकदमा करने आया था फिर उसने अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय से कानून बदलवा दिया अब हमें अश्वेत लोगों को जूरी पर रखना पड़ता है।

यह मुकदमा था स्कॉटस्बॉरो बायॉज़ पर चला मुकदमा।  इस  मुकदमें के समय ली छः साल की थीं और ऎलाबामा में रहती थीं। इस मुकदमें ने उन पर असर डाला। इसी के अधार पर, उन्होंने अपना प्रसिद्ध उपन्यास 'टु किल अ मॉकिंगबर्ड' की रचना की।  इस मुकदमें के तथ्य कुछ इस प्रकार थे।



१९३० का दशक अमेरिकी इतिहास में मंदी का दशक था। लोग इधर-उधर नौकरी की तालाश में घूमते थे। उनके पास टिकट खरीदने के लिए पैसे नहीं होते थे। इसलिए मालगाड़ी में बिना टिकट लिए जाया करते थे। २५ मार्च १९३१ में, एक मालगाडी में कुछ श्वेत व कुछ अश्वेत लड़के सफर कर रहे थे। उनमें आपस में, लड़ाई हो गयी। यह स्पष्ट नहीं है कि यह क्यों शुरू हुई पर इसमें श्वेत लड़कों की पिटाई हो गयी। श्वेत लड़कों ने मालगाड़ी से उतर कर स्टेशन मास्टर से इस बात की शिकायत की और अश्वेत लड़कों पर मुकदमा चलाने की बात कही।


 रूबी बेटस् और विक्टोरिया प्राइसका चित्र विकिपीडिया के सौजन्य से

अगले स्टेशन पर मालगाड़ी रोक ली गयी। पूरी मालगाड़ी में ९ अश्वेत लड़के मिले जिनकी उम्र १२ साल से १९ साल थी। वे सब पकड़ लिए गये। उनके साथ दो श्वेत लड़कियां विक्टोरिया प्राइस (Victoria Price) ,रूबी बेटस् (Ruby Bates) भी मिली। उन श्वेत लड़कियों से पूछा गया कि क्या अश्वेत लड़के उन्हें तंग कर रहे थे। उनका जवाब था,
'अश्वेत लड़कों ने हमारे साथ बलात्कार किया है।'
इस पर अश्वेत लड़कों को जेल भेज दिया गया। इन पर  बलात्कार का मुकदमा स्कॉटस्बॉरो में चला।  इसलिए यह लड़के स्कॉटस्बॉरो बॉयज़ नाम से, और यह मुकदमा  स्कॉटस्बॉरो बायॉज़ ट्रायल के नाम से जाना जाता है।

यह मुकदमा अमेरिकी कानूनी इतिहास में,   एक शर्मनाक मुकदमे के रूप में जाना जाता है। यह मुकदमा २०वीं शताब्दी के न केवल संविधान, पर नागरिक अधिकारों के क्षेत्र में सबसे जाना माना मुकदमा है। यह दो बार अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय में गया और दोनों बार फांसी की सज़ा रद्द कर वापस पुन: सुनवाई के लिए वापस भेजा गया।

इस मुकदमें में क्या हुआ, यह अगली बार।


बुलबुल मारने पर दोष लगता है
भूमिका।। वकीलों की सबसे बेहतरीन जीवनी - कोर्टरूम।। सफल वकील, मुकदमा शुरू होने के पहले, सारे पहलू सोच लेते हैं।। कैमल सिगरेट के पैकेट पर, आदमी कहां है।। अश्वेत लड़कों ने हमारे साथ बलात्कार किया है।।



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This post talks about the case that inspired Harler Lee to write 'To Kill A Mocking Bird'. It is in Hindi (Devanagari script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.





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वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी

आइये चलते हैं देवभूमि, हिमाचल की यात्रा पर।

हम टैक्सी पर, सुबह दिल्ली से, हिमाचल की यात्रा के लिये निकले।


मेरा भाई चण्डीगढ़ में रहता था। मैं अक्सर उसके पास जाता था। तब हम लोग करनाल में, ओएसिस में रुक कर, चाय या काफ़ी लेते थे। यहां पर आप पेट्रोल ले सकते है। अच्छी दुकानें और रेस्टरूम हैं। वहां आप, खा, पी एवं सामान खरीद सकते हैं।  

इस बार भी, हम लोग जाते समय, वहां पर गये और कॉफी पी। वहां, रेस्टरूम का भी प्रयोग किया। लेकिन वह उतना अच्छा नहीं लगा, जितना की पहले लगता था। कुछ  चीजें टूटी सी लगी पर बाथरुम साफ था। 

चलते समय मैंने अपने टैक्सी चालक  से पूछा,
'क्या तुम्हारे पास  भजन या पुराने गानो की सीडी है?'

उसने नकारात्मक में जवाब दिया। लेकिन उसके पास कुछ पंजाबी गानों की सीडी थी जो हमारी समझ के बाहर थी।

हिमाचल यात्रा के दौरान एक दृश्य

ओसिस मार्केट में सीडी की भी दुकान है। हम उस पर गये। मैंने दुकान मालिक से पूछा कि क्या उसके पास हिन्दी के कुछ पुराने गाने होगें। उसने कहा देख लीजिए। उस समय, मैं चश्मा नहीं लगाये हुए था। इसलिए कुछ पढ़ पाना मुश्किल था। मैंने दुकानवाले से पूछा कि क्या वह पढ़ सकता है। उसने कहा कि वह भी नहीं पढ़ सकता है। मेरे बगल में एक प्यारी सी लड़की खड़ी हुई थी। मैंने उससे कहा,
'बिटिया रानी,  क्या तुम मेरे लिए हिन्दी के पुराने गानों की सीडी चुन सकती हो?'
उसने कहा,
'अवश्य अंकल।' 
उसने एक पुराने गानों की हिन्दी की सीडी पसंद करके मुझको दी। 

वह युवती सफेद रंग का, चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी। जिसमें सुन्दर नक्काशी थी। मैंने पूछा,
'क्या तुम कहीं घूमने जा रही हो?'
उसने हामी भरी। 

मैंने उससे  पूछा कि वह एकदम सफेद पोशाक क्यों पहने है क्योंकि वह आसानी से गंदी हो सकती है। यह पूछने पर वह शर्मा गयी। लगता था कि उसकी नई-नई शादी हुई थी या शादी की बात चल रही थी। इसलिए वह सौम्य कपड़े पहनना चाहती थी लेकिन चमकीले भी।

हमारे टैक्सी चालक के अनुसार करनाल में हवेली, ओसिस से बेहतर जगह है।  हिमालय यात्रा से  दिल्ली वापस लौटते समय,हम लोग ओसिस कॉम्प्लेक्स में न जाकर हवेली कॉम्प्लेक्स में गये। 

मुझे हवेली कॉम्प्लेक्स बेहतर जगह लगी। शायद इसलिये कि यह ओसिस के बाद बनी  और नयी  है।  यहां  भी स्नैक्स और कॉफी वगैरह मिलती है। हवेली कॉम्प्लेक्स में सबसे अच्छी बात  यह लगी कि इसमें एक जगह खाना भी मिलता है। आप अलग खाना आर्डर भी कर सकते हैं या थाली। थाली १२५ रू० से लेकर १७५ रू० तक की है। आपको जो थाली पसन्द हो वह आर्डर करें। यहां पर हमने खाना खाया। यह अच्छा था। यहां का बाथरुम साफ था। आप जायें तो यहीं पर रुक कर चाय या खाना खायें।


इस यात्रा में पवन हमारे टैक्सी चालक थे। अगली चिट्ठी में कुछ उनके बारे में और कुछ टिप्पणी और दिल्ली एवं केरल टैक्सी सेवा की तुलना।

देव भूमि, हिमाचल की यात्रा

वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।।

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कैमल सिगरेट के पैकेट पर, आदमी कहां है


क्या चश्मदीद गवाह,  न चाहते हुए भी,  गलत  बयान दे देते हैं? 'बुलबुल मारने पर दोष लगता है'की श्रंखला की इस चिट्ठी में, इसी की चर्चा है।
इस चिट्ठी को, सुनने के लिये यहां चटका लगायें।

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यह सच है कि चश्मदीद गवाह, न चाहते हुए भी,  गलत बयान दे देते हैं या गलत व्यक्ति की शिनाख़्त कर देते हैं। लेकिन यह कहना गलत होगा कि वे उस समय झूठ बोल रहे होते हैं। क्योंकि, उनके मुताबिक वही सच है। लेकिन ऐसा क्यों होता है?

सैमुएल, अक्सर चश्मदीद गवाह के द्वारा आरोपी की शिनाख़्त किये जाने पर सवाल उठाया करते थे। उन्हें लगता था कि चश्मदीद गवाह गलत शिनाख़्त कर रहा है। एक बार, वे वकीलों के बीच इस विषय पर बोल रहे थे। वकीलों ने उनके इस कथन पर प्रश्न लगाया। सैमुएल ने उस वक्त कुछ नहीं कहा पर कुछ समय बाद उन्होंने लोगों से पूछा,
'आप लोगों में से, कौन से लोग कैमल सिगरेट पीते हैं।'
कैमल सिगरेट, अमेरिका की लोकप्रिय सिगरेट में से एक है। यह उसी तरह की सिग्रेट है जैसे कि पहले पनामा हुआ करती थी या आजकल विलस् फिल्टर होती है। बहुत से लोगों ने हाथ उठाया। सैमुएल ने उनमें उन पांच लोगों को चुना जो पिछले २० सालों से दो पैकेट कैमल सिगरेट पी रहे थे। सैमुएल ने फिर पूछा,
'आपने ७०० पैकेट प्रतिवर्ष और आज तक २४,००० पैकेट अर्थात कैमल पैकेट को आपने करीब ५ लाख बार देखा है।'
उन्होंने हामी भरी। सैमुएल ने, उन पांचों को एक कागज़ दिया फिर कहा,
'आप लोग अलग-अलग लिख कर दें कि कैमल सिगरेट के पैकेट के ऊपर आदमी का चित्र कहा है ऊंट के आगे है, पीछे है, या ऊपर है।'


कागज वापस मिलने के बाद, उसने उसे खोल कर, जोर से पढ़ा। दो ने लिख कर दिया कि आदमी का चित्र ऊंठ के आगे है दो ने कहा कि उसके ऊपर है एक ने कहा कि कोई भी आदमी का चित्र नहीं है।


सैमुएल ने लोगों से पैकेट निकाल कर देखने को कहा। पैकेट  के ऊपर कोई भी आदमी का चित्र नहीं था। यानि की चार लोगों के जवाब गलत थे। सैमुएल ने बताया,
'यह इसलिये हुआ कि मैंने आपको यह सुझाव दिया था कि पैकेट पर आदमी का चित्र है। चश्मदीद गवाहों को इस तरह का सुझाव दिया जाता है। इसीलिये आपसे यह गलती हुई और चश्मदीद गवाह भी अक्सर गलत शिनाख़्त कर देते हैं।'


यही कारण है कि न्यायालय में पृच्छा (examination in chief) के समय, सूचक प्रश्न (leading question) पूछना मना है हालांकि प्रति पृच्छा (cross examination) के समय इस तरह के सवाल पूछे जा सकते हैं।

इस श्रृंखला की अगली कड़ी में बात करेंगे स्कॉटस्बॉरो बायॉज़ (Scottsboro boys trial) मुकदमे की। यह मुकदमा, अमेरिका में, २०वीं शताब्दी के संविधान एवं नागरिक अधिकारों के क्षेत्र में, सबसे जाना माना मुकदमा है। इसमें सैमुएल वकील थे। यह वही मुकदमा है जिसने हारपर ली को 'टु किल अ मॉकिंगबर्ड' लिखने के लिये प्रेरित किया। क्या हुआ था इसमें? क्यों यह मुकदमा इतना प्रसिद्ध है? यह सब अगली बार।

बुलबुल मारने पर दोष लगता है
भूमिका।। वकीलों की सबसे बेहतरीन जीवनी - कोर्टरूम।। सफल वकील, मुकदमा शुरू होने के पहले, सारे पहलू सोच लेते हैं।। कैमल सिगरेट के पैकेट पर, आदमी कहां है।।



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This post explains that why eyewitnesses, unknowingly, make wrong statements. It is in Hindi (Devanagari script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.

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