अनुगूंज पर इस बार का विषय है - नेतागिरी, राजनीति और नेता| इस बारे मे मेरे कोई विचार नहीं हैं न ही मै कुछ कह सकता हूं| मेरे जैसे कई और लोग हैं| शायद उन्ही का बहुमत है, इसीलिये पिछ्ले साल, टाईम्स औफ इंडिया मे, अलग-अलग दिन उत्तर प्रदेश के विधान सभा के एक सदस्य के बारे मे यह खबरें पढ़ने को मिली|
- दिन्नांक: ०५.४.२००५ - Will a criminal continue as an MLA?
- दिन्नांक: ०७.४.२००५ - Udai of an intriguing question
- दिन्नांक: ०५.५.२००५ - It's end of the road for convited MLA
- दिन्नांक: २९.५.२००५ – Decision on Udai Bhan expected on Monday
यह विधान सभा के सदस्य, एक पार्टी से चुनाव जीत कर आये थे और फिर दल बदल कर सत्तारूढ़ पार्टी मे जा मिले| इन्हे दो खून करने के कारण सेशन कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनायी| उसके बाद इनकी अपील उच्च न्यायालय से खारिज हो गयी| उसके पश्चात महामहिम ने इन्हे पेरोल पर छोड़ दिया| जिसके परिवार मे खून हुआ था, उसने उच्च न्यायालय मे अपनी गुहार लगायी| इस पर उच्च न्यायालय ने विधान सभा के सदस्य की पेरोल खारिज कर दी और एलेक्शन कमीशन से इनकी सदस्यता समाप्त करने को कहा, जिस पर यह सारा हंगामा हुआ| उच्च न्यायालय का आदेश, अंतरिम आदेश लगता है1 और WP 11529 of 2005 Sarvesh Narain Shukla Vs. State Of U.P. Thru' Principal Secy. & Others कि याचिका मे दिया गया है| यह आज्ञा यहां पर है|
नेतागिरी, राजनीति और नेता ऐसे लोगों तक सीमित नहीं रहनी चाहिये| यदि हमारा बहुमत इस तरह के विषय मे रुचि रखे तो इस तरह के लोग न ही चुनाव जीत पायेंगे और न ही 'नेतागिरी, राजनीति और नेता' ऐसे लोगों तक सीमित रहेगी|
मै तरुन जी का आभार प्रगट करता हूं कि उन्होने हम लोगों का ध्यान इस तरफ खींचा| मै आगे से ऐसे विषय पर हमेशा रुचि रखूंगा और वोट देने अवश्य जाऊंगा|
1मै जब इस आदेश को ढ़ूढने इलाहाबाद उच्च न्यायालय कि वेब साईट पर गया तो पाया कि,
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय न्यायिक एवं प्रशाशनिक निर्णय RSS feed पर उपलब्ध हैं;
- यह न केवल न्यायालय मे लगे हुऐ मुकदमो कि सूची इन्टरनेट पर उपलब्ध कराती है पर webdiary के द्वारा उस दिन न्यायालय मे क्या हुआ इसका ब्यौरा भी उपलब्ध कराती है
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