इंटरनेट क्या होता है

मैंने टिम बरनस् ली के बारे में लिखते समय कहा था कि मैं शीघ्र 'अन्तरजाल की मायानगरी में' नाम की श्रंखला शुरू कर, अंतरजाल के इतिहास, इस पर उठ रहे मुद्दों के बारे में बात करूंगा। आज इसी श्रंखला की कड़ी में चर्चा का विषय है 'इंटरनेट क्या होता है'। इसे आप सुन भी सकते है। सुनने के लिये यहां चटका लगायें। यह ऑडियो फाइल ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप,
  • Windows पर कम से कम Audacity एवं Winamp में;
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में; और
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity में, सुन सकते हैं।
ऑडियो फाइल पर चटका लगायें फिर या तो डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले। इसकी टिम बरनस् ली की कड़ी सुनने के लिये यहां चटका लगायें।

इंटरनेट का सफर, १९७० के दशक में, विंट सर्फ (Vint Cerf) और बाब काहन् (Bob Kanh) ने शुरू किया गया। उन्होनें एक ऐसे तरीके का आविष्कार किया, जिसके द्वारा कंप्यूटर पर किसी सूचना को छोटे-छोटे पैकेट में तोड़ा जा सकता था और दूसरे कम्प्यूटर में इस प्रकार से भेजा जा सकता था कि वे पैकेट दूसरे कम्प्यूटर पर पहुंच कर पुनः उस सूचना कि प्रतिलिपी बना सकें - अथार्त कंप्यूटरों के बीच संवाद करने का तरीका निकाला। इस तरीके को ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल {Transmission Control Protocol (TCP)} कहा गया।

सूचना का इस तरह से आदान प्रदान करना तब भी दुहराया जा सकता है जब किसी भी नेटवर्क में दो से अधिक कंप्यूटर हों। क्योंकि किसी भी नेटवर्क में हर कम्प्यूटर का खास पता होता है। इस पते को इण्टरनेट प्रोटोकॉल पता {Internet Protocol (I.P.) address} कहा जाता है। इण्टरनेट प्रोटोकॉल (I.P.) पता वास्तव में कुछ नम्बर होते हैं जो एक दूसरे से एक बिंदु के द्वारा अलग-अलग किए गए हैं।

सूचना को जब छोटे-छोटे पैकेटों में तोड़ कर दूसरे कम्प्यूटर में भेजा जाता है तो यह पैकेट एक तरह से एक चिट्ठी होती है जिसमें भेजने वाले कम्प्यूटर का पता और पाने वाले कम्प्यूटर का पता लिखा होता है। जब वह पैकेट किसी भी नेटवर्क कम्प्यूटर के पास पहुंचता है तो कम्प्यूटर देखता है कि वह पैकेट उसके लिए भेजा गया है या नहीं। यदि वह पैकेट उसके लिए नहीं भेजा गया है तो वह उसे आगे उस दिशा में बढ़ा देता है जिस दिशा में वह कंप्यूटर है जिसके लिये वह पैकेट भेजा गया है। इस तरह से पैकेट को एक जगह से दूसरी जगह भेजने को इण्टरनेट प्रोटोकॉल {Internet Protocol (I.P.)} कहा जाता है।

अक्सर कार्यालयों के सारे कम्प्यूटर आपस में एक दूसरे से जुड़े रहते हैं और वे एक दूसरे से संवाद कर सकते हैं। इसको Local Area Network (LAN) लैन कहते हैं। लैन में जुड़ा कोई कंप्यूटर या कोई अकेला कंप्यूटर, दूसरे कंप्यूटरों के साथ टेलीफोन लाइन या सेटेलाइट से जुड़ा रहता है। अर्थात, दुनिया भर के कम्प्यूटर एक दूसरे से जुड़े हैं। इण्टरनेट, दुनिया भर के कम्प्यूटर का ऎसा नेटवर्क है जो एक दूसरे से संवाद कर सकता है।

Internet is network of all computers, or a global network of computers, capable of communicating with each other.

अगली बार हम लोग बात करेंगे वेब के बारे में। क्या यह इंटरनेट से अलग है?

अंतरजाल की मायानगरी में
टिम बरनर्स् ली।। इंटरनेट क्या होता है।। वेब क्या होता है।।

विकिपीडिया के बारे में कुछ तथ्य

स्पैन (Span) पत्रिका हिन्दी में निकलने लगी है। इसके सितंबर-अक्टूबर २००७ के अंक में, विकिपीडिया (Wikipedia) के बारे में एक लेख, 'पुस्तकों से आगे की दुनिया' नाम से निकला है। यह पढ़ने योग्य है।

विकिपीडिया कैसे बनी, इसके बारे में लिखा है कि
'जिमी वेल्स (Jimmy Wales) इंटरनेट पर सर्वसुलभ विश्वकोश यानि एन्साइक्लोपीडिया बनाना चाहते थे। इसलिये उन्होने नौसिखियों की सेना बनायी और उनकी मदद से भविष्य का एक ऐसा पुस्तकालय बना डाला जो पूरी तरह से सुव्यवस्थित है, स्वयं अपना संशोधन कर सकता है और लोगों का व्यसन बन सकता है। यह है विकिपीडिया।'

जिमी वेल्स का जन्म हंटस्विल, एलाबामा, अमेरिका में अगस्त १९६६ में हुआ था पर यह तय नहीं है कि ७ अगस्त है या ८ अगस्त :-) उनका यह चित्र विकिपीडिया से है और उसी की शर्तों के अन्दर है।

पिछले साल जिमी वेल्स भारत आये थे। मुझे उन्हें सुनने तथा मिलने का अवसर मिला था। वे बहुत अच्छा बोलते हैं और प्रभाशाली व्यक्ति हैं। वे थोड़ा दुखी थे कि हिन्दी विकिपीडिया में इतने कम लेख क्यों हैं। उन्हें इंटरनेट पर हिन्दी की मुश्किले के बारे में बताया गया। इसमें यह भी था कि हिन्दी के टाईपिस्ट रेमिंगटन की-बोर्ड (Remington keyboard) पर अभ्यस्त हैं और यह की-बोर्ड यूनिकोड हिन्दी फॉन्ट के लिये (कम से कम लिनेक्स Linux) पर उपलब्ध नहीं है। इस बात पर उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि भारतवर्ष में भी ऐसा हो सकता है। मैं नहीं जानता कि विंडोज़ पर रेमिंगटन कीबोर्ड की क्या सहूलियत है पर लिनेक्स में अब यह उपलब्ध तो हो गया है पर यह ठीक नहीं है, कुछ अक्षर टाईप नहीं कर पाता है।

इस लेख में विकिपीडिया के बारे में कुछ तथ्य इस प्रकार से हैं:
  • विकि शब्द का इस्तेमाल हवाई में ज्लदी के लिये होता है;
  • इसका स्वामित्व विकिमीडिया फ़ाउंडेशन के पास है;
  • इसके लिये सबसे ज्यादा खर्च ईंटरनेट सर्वर पर होता है जो कि वर्ष २००६ के वित्तीय आंकडों के मुताबिक १,८९,६३१ डॉलर था। इसी वर्ष इसका पूरा खर्च ७,९१,२०७ डॉलर रहा। इसे इसी साल १३,००,००० डॉलर का अनुदान मिला;
  • विकिपीडिया में २०,००,००० से ज्यादा लेख हैं जब कि ब्रिटानिका विश्वकोश में केवल १,००,००० और एंकार्टा में ४,५०० लेख हैं। इन लेखों को ७५,००० लोगों ने उपलब्ध कराया है।
मुझे न केवल प्रसन्नता है पर गर्व भी कि इन ७५,००० लोगों में, मैं भी कहीं पर हूं।

एक अकेला भी बहुत कुछ कर सकता है

यदि निश्चय हो, ज़स्बा हो, तो एक अकेला ही बहुत कुछ कर सकता है। यह बात हर जगह सच है। मैंने कुछ समय पहले एक 'एक शब्द, एक हीरो, एक ज़ीरो' नाम से चिट्ठी लिख एक भारतीय के बारे में बताया था। आज पीटर कालवेले के बारे में बात करते हैं जिन्होने अमेज़ोन डॉट कॉम (Amazon.com) को मिले एक क्लिक पेटेंट ( 1-Click patent या single mouse click patent) के बारे में कार्यवाही की।

एक क्लिक क्या है
यदि आप अमेज़ोन डॉट कॉम की वेबसाईट पर जा कर कुछ खरीदें तो अन्त आपसे पूछा जाता है कि क्या आप सारा समान लेना चाहते हैं। यह सूचना आप एक बार क्लिक कर बता सकते हैं। यह एक क्लिक पेटेंट है। यह कुछ इस तरह की बात है कि दूकान में आप कुछ समान खरीद कर जब काउंटर पर ले जायें तो दुकान मालिक पूछे कि क्या आप सारा समान खरिदना चाहते हैं तो आप उसे एक बार हां कह कर बताते हैं। अमेज़ोन डॉट कॉम ने इसके उल्लंघन पर बार्नस् एण्ड नोबलस् पर मुकदमा भी ठोका था। जो बाद में समझौते के द्वारा तय हुआ।

एक क्लिक और पेटेंट
मैंने कुछ समय पहले अपने उन्मुक्त चिट्ठे पर कई कड़ियों में पेटेंट के बारे में एक लम्बी श्रंखला कई कड़ियों में लिखी थी। इन कड़ियों को तीन भागों में बांट कर अपने लेख चिट्ठे पर 'पेटेंट', 'पेटेंट और कंप्यूटर प्रोग्राम', और 'पेटेंट और पौधों की किस्में एवं जैविक भिन्नता', के नाम से प्रकाशित की है। उन्मुक्त चिट्ठे की चिट्ठी 'अमेरिका में पेटेंट और कंप्यूटर प्रोग्राम - व्यापार के तरीके के साथ' और लेख चिट्ठे की 'पेटेंट और कंप्यूटर प्रोग्राम', की चिट्ठी में इस पेटेंट का जिक्र किया है।

पेटेंट श्रंखला की सारी कड़िया, बकबक पर अलग अलग कड़ियों में पॉडकास्ट भी की हैं। इसकी पहली कड़ी यहां है और अन्तिम यहां हैं। जिस कड़ी में अमेज़ोन डॉट कॉम के एक क्लिक पेटेंट का जिक्र है वह यहां है यदि आप पढ़ने के बजाय सुनना चाहें तो सुन भी सकते हैं। यह ऑडियो फाइलें ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप,
  • Windows पर कम से कम Audacity एवं Winamp में;
  • Linux पर सभी प्रोग्रामो में; और
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity में,
सुन सकते हैं। ऑडियो फाइल पर चटका लगायें फिर या तो डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले।


पीटर कालवेले ने क्या किया
बहुत से लोगों को एक क्लिक पेटेंट गलत लगता है। इस पेटेंट के कारण, न केवल अमेज़ोन डॉट कॉम, पर यू.एस. पेटेंट एन्ड ट्रेड आफिस (यू.एस.पी.टी.ओ.) की बहुत आलोचना की गयी है। लोगों के मुताबिक इस पर पेटेंट नहीं दिया जा सकता था। पीटर कालवेले भी ऐसे लोगों में एक हैं।

पीटर कालवेले, ऑकलैंड न्यूज़ीलैंड में रहते हैं और IGDMLGD नाम से एक चिट्ठा लिखते हैं। उन्होने यू.एस.पी.टी.ओ. के समक्ष इस पेटेंट पर पुनः सुनवायी के लिये ६ फरवरी २००६ को आवेदन पत्र दिया। पेटेंट की पुनः सुनवायी पर बहुत खर्चा लगता है। इसके लिये उनके चिट्ठा पढ़ने वालों ने उनकी मदद की।

अमेज़ोन डॉट कॉम के पास एक क्लिक पेटेंट से संबन्धित २६ पेटेंट थे। यू.एस.पी.टी.ओ. ने पीटर कालवेले की पुनः सुनवायी आवेदन पत्र पर पेटेंट नम्बर ६-१० को छोड़ कर बाकी २१ पेटेंटों को खारिज कर दिया है। इस केस से संबन्धित सारी कार्यवाही पढ़ने के लिये
यू.एस.पी.टी.ओ. की सूचना वेबसाईट पर जा कर कंट्रोल नम्बर (Control Number) के बटन पर 90/007,946 लिख कर चटका लगायें। फैसले को पढ़ने के लिये Image File Wrapper पर जा कर Reexam - Non-Final Action पर चटका लगायें।

अमेज़न डॉट कॉम ने इस सुनवायी में अपना कोई पक्ष नहीं रखा था। यह शायद इसलिये कि उन पर इस पेटेंट के लिये बहुत आलोचना हो चुकी है।

यदि आप पीटर कालवेले के शब्दों में यह सब पढ़ना चाहें तो आप यहां पढ़ सकते हैं। उन्होने उन सब को धन्यवाद दिया है जिन लोगों ने इस लड़ाई में उनकी मदद की। इस जीत के बाद, बहुत से लोग उनके पास पैसा भेज रहें हैं। उनका कहना है कि उन्हें पैसे की जरूरत नहीं है इसलिये वे पैसों को नहीं ले सकते हैं पर यदि उन्हे कोई काम देना चाहे तो उसका स्वागत है।

मैंने
पेटेंट रद्द किये जाने का कारण विस्तार से नहीं लिखा। यह किस कारण है और पेटेंट रद्द किये जाने के कारणों को संक्षेप में जानने के लिये, कुहू जी की टिप्पणी के जवाब पर मेरी टिप्पणी देखें।

पीटर कालवेले के चिट्ठे का नाम IGDMLGD है। इसका क्या मतलब है मेरे समझ में नहीं आया। क्या कोई बतायेगा?


कुहू जी ने टिप्पणी कर सवाल पूछा कि एक क्लिक पेटेंट को रद्द करने के क्या कारण हैं। मैंने इसका जवाब टिप्पणी के द्वारा तो दे दिया पर लगा कि उसे यहां चिट्ठी में भी जोड़ना चाहिये। इसलिये यहां लिख रहा हूं।

एक क्लिक पेटेंट को रद्द करने के कई कारण है। इसको जानने के लिये आप यू.एस.पी.टी.ओ. की सूचना वेबसाईट पर जा कर उनका फैसला देख सकते हैं जैसा कि मैंने चिट्ठी में बताया है। इन कारणों को, मैंने विस्तार से नहीं लिखा। मुझे लगता था कि लोगों को इतनी रुचि नहीं होगी। लेकिन कुहू जी की टिप्पणी से मेरी गलतफहमी दूर हुई। आगे से ध्यान रखूंगा। यह कुहू जी वहीं हैं जिनके बारे में मैंने अपनी चिट्ठी 'अंतरजाल पर हिन्दी कैसे बढ़े' में लिखा था।

पेटेंट रद्द करने का मुख्य कारण है कि इसमें कुछ नया नहीं है। यह उस समय की उपलब्ध तकनीक द्वारा आसानी से सोचा और क्रियावान्तित किया जा सकता था। यदि prior art है या obvious है तो पेटेंट नहीं हो सकता है। पेटेंट कब हो सकता है कब नहीं, इसके लिये मेरे लेख चिट्ठे पर चिट्ठियों को पढ़ सकतीं हैं जिसका जिक्र मैंने चिट्ठी में किया है।

कॉन-टिकी अभियान के नायक - थूर हायरडॉह्ल

पिछली शताब्दी में अनेकों तरह से यात्रायें की गयीं पर कॉन-टिकी (Kon-Tiki) अभियान, शायद सबसे अनूठी तरह से की गयी यात्रा है।

यह यात्रा, १९४७ में छ: व्यक्तियों द्वारा आदियुग की तरह बालसा लकड़ी से बनी नाव पर, समुद्र में ३७७० नॉटिकल मील (६९८० किलोमीटर) लम्बी की गयी यात्रा है। इसे कॉन-टिकी अभियान कहा गया क्योंकि नाव
का नाम कॉन-टिकी था। इसका नेतृत्व, थूर हायरडॉह्ल (Thor Heyerdahl) ने किया था। इस यात्रा संस्मरण के ऊपर बात करने से पहले, कुछ थॉर के बारे में।

थूर हायरडॉह्ल का जन्म ६-१०-१९१४ को लारविक, नॉरवे (Larvik, Norway) में और मृत्यु १८-४-२००२ को कोल्ला मिकेरी, इटली (Colla Micheri, Italy) में हुई। उनके पिता शराब बनाने वाले और मां वैज्ञानिक थीं। उसे बचपन में प्रांणि-विज्ञान (Zoology) में रूची थी पर बाद में उसने मानव शास्त्र (Anthropology) में काम किया। उसका मन पसन्द काम था नॉरवे के पहाड़ों की वीरानता में विचरना और वे सभ्यता से दूर जगह रहने की बात सोचते थे। वे, जब ऑसलो विश्वविद्यालय में पढ़ते थे तब उन्होंने अपनी महिला मित्र से पूछा,
'क्या तुम प्रकृति में रहना पसन्द करोगी।'
उसने कहा,
'यदि यह पूरी तरह से प्रकृति के बीच हो।'
दोनो ने शादी कर ली और वे पॉलीनीसियन (Polynesia) द्वीपों में से एक द्वीप Fatu Hiva (फातु हिवा) में रहने चले गये।

पॉलीनीसिया अर्थात बहुत सारे द्वीप। प्रशान्त महासागर में लगभग १००० द्वीप हैं। पॉलीनोसिया शब्द पहले इन सब द्वीपों के लिए प्रयोग होता था पर अब मुख्यत: हवाई (Hawai), न्यूजीलैण्ड (आईटीअरोआ Aotearoa) और ईस्टर आइलैण्ड (रापा नूई Rapa Nui) त्रिकोंण के बीच में आने वाले द्वीपों के लिए प्रयोग किया जाता हैं ।

Marguesas Island मार्गयुसा द्वीप समूह पॉलीनीसिया में आते हैं। फातू हिवा, इस द्वीप समूह का सबसे दक्षिणी द्वीप है। वहां के अनुभवों को, उन्होने फातू हिवा बैक टू नेचर (Fatu Hiva Back To Nature) नामक पुस्तक में लिपिबद्ध किया है।

उनका यह प्रयोग सफल नहीं रहा वे एक साल में ही वापस आ गये पर थूर हायरडॉह्ल को वहाँ रहने पर लगा कि पॉलीनीसियन द्वीपों में दो तरह के लोग आये हैं: एक दक्षिण पूर्वी से और दूसरे दक्षिण अमेरिका से। दक्षिण पूर्वी एशिया से लोगों के आने का सबूत था पर दक्षिण अमेरिका से आने वालों के लिये कोई सबूत नहीं था। थूर हायरडॉह्ल ने इस इस बात को सिद्घ करने की ठान ली। इसी को सिद्ध करने के लिये कॉन-टिकी से यात्रा की गयी थी। कैसे की थी यह यात्रा, क्या यह सफल रही - यह अगली बार।

थूर हायरडॉह्ल तथा पॉलीनीसिया के नक़्शे का चित्र विकिपीडिया से है और ग्नू मुक्त प्रलेखन अनुमति पत्र के अंतरगत है। बाकी सारी सामग्री मेरी शर्तों के अन्दर है।

सैर सपाटा - विश्वसनीयता, उत्सुकता, और रोमांच
भूमिका।। विज्ञान कहानियों के जनक जुले वर्न।। अस्सी दिन में दुनिया की सैर।। पंकज मिश्रा।। बटर चिकन इन लुधियाना।। कॉन-टिकी अभियान के नायक - थॉर।।

ओपेन सोर्स की पाती - बिटिया के नाम

पापा,
उत्तरी पश्चिमी कॅनाडा से दक्षिणी मध्य अमेरिका की यात्रा तो सुखद थी पर दोनो जगह के मौसम में अन्तर है। इसलिये ठीक तरह से व्यवस्थित होने में कुछ समय लगेगा।

यहां मुझे एक बढ़िया लैपटाप मिला है । मैने इसमें लिनक्स फेडोरा और विन्डोज एस.पी. दोनो डाले हैं पर मैं काम फिडोरा में ही करती हूं। विंडोज तो इसलिए डाला है कि यदि कभी जरूरत पड़े तो इसका प्रयोग कर सकूं। मुझे मालुम है कि आपको यह पढ़ कर अच्छा लगेगा,
इसलिये मैंने यह ई-मेल में लिखा है।

मेरा समय ज्यादातर काम में लग जाता है और मुझे अपना काम पसन्द है लेकिन मैं उपन्यास के लिये समय निकालना चाहती हूं। मैं सोने जाने से पहले हमेशा थोड़ा पढ़ती हूं - कुछ साहित्य से सम्बन्धित।

मैंने अभी दास्तोवेस्की (Dostoevsky) की क्राइम एण्ड पनिशमेंट (Crime and Punishment) पढ़ी है। मैं सोचती हूं
कि यह रोचक उपन्यास है। क्या आपने इसे पढ़ा है? यदि नहीं, तो पढ़ें - यह आपको पसन्द आयेगी। उसमें एक जगह लेखक, अपराध और अपराधी का वर्णन करता है और मेरे विचार से यह पुस्तक का सबसे अच्छा भाग है।

मां ने आपको, मेरी जर्मन सहेली के बारे में बताया होगा। वह मेरे साथ कॅनाडा में थी और अब वापस म्यूनिख चली गयी है। वह भारत में है और मैंने उसे आपका फोन और पता दे दिया है। शायद, उसे कभी आपकी जरूरत पड़े।

आप और मम्मी अच्छे होंगे। अपना ख्याल रखियेगा।
आपकी बेटी


बिटिया रानी
मां तुमसे फोन पर बात कर लेती हैं पर मुझे तो तुम्हारे ई-मेल का इंतजार रहता है। मैं तुम्हें बता नहीं सकता कि तुम्हारा यह ई-मेल पा कर मुझे कितना अच्छा लगा ।

मेरे विचार से ओपेन सोर्स सॉफटवेयर का भविष्य उज्जवल है। तुम लिनेक्स पर ही काम करो। इसके बारे में विस्तार से तुम ओपेन सोर्स सॉफ्टवेर और लिनेक्स की कहानी पर पढ़ सकती हो।

मालुम नहीं, मुन्ने का मैक प्रेम कब भंग होगा। हो सके तो उसे मेरी चिट्ठी लिनेक्स बनाम वीस्टा एवं मैकिन्टॉश पढ़ने को कहो। वह मेरी बात नहीं सुनता है तुम्हारी बात तो सुनता है।
देखो, कि वह, कम से कम हिन्दी का समर्थन अपने लैपटॉप पर स्थापित कर ले।

फेडोरा-७ एक बेहतरीन वितरण है। मेरे डेस्कटॉप पर फिडोरा-७ ही है - इसमें सूरत भी है और खूबसूरत भी। यदि कोई समस्या आये तो मुझे लिखो।

लिनेक्स में कई डेस्कटॉप रहते हैं पर इसमें दो, KDE और Gnome डेस्कटॉप मुख्य हैं। यह दोनो, लिनेक्स के हर वितरण के साथ आते हैं। KDE प्रोग्राम user friendly है पर ज्यादा RAM लेता है। Gnome ज्यादा स्थायी है। मैं Gnome पर ही काम करता हूं। Gnome डेस्कटॉपका प्रयोग करते समय भी, तुम KDE का कोई प्रोग्राम प्रयोग कर सकती हो। इसलिये कोई मुश्किल नहीं है - तुम जिस पर चाहो उस पर काम करो।

मेरे विचार से तुम्हे उन प्रोग्रामों का प्रयोग करना चाहिए जो सब आपरेटिंग सिस्टम में चलते हैं ताकि यदि किसी कारण तुम्हे कोई दूसरे आपरेटिंग सिस्टम में काम करना पड़े तो कोई परेशानी न हो । इस तरह के प्रोग्रामों में फायरफॉक्स, ऑपरा (वेब ब्राउसर), थण्डरबर्ड ( ई-मेल के लिये), सनबर्ड ( ई मैनेजर तुम्हें जन्म-दिन की याद दिला सकता है), ऑडेसिटी (ऑडियो फाइलों को संपादित वा सुनने के लिये),
एमप्लेयर (ऑडियो और विडियो फाइलों को सुनने वा देखने के लिये), जिम्प (चित्रों को संपादित करने के लिये), और ओपेन ओफिस डाट काम का आफिस सूट प्रमुख प्रोग्राम है। यह सभी आपरेटिंग सिस्टम में चलते हैं और वेहतरीन प्रोग्राम है। तुम्हे कोई कठिनाई नही होगी। विंडोज़ पर काम करते समय इन्हीं प्रोग्राम पर काम करो।

यह सारे प्रोग्राम न केवल मुफ्त हैं पर मुक्त भी। इनको प्रयोग करने के लिये न कोई पैसा देना पड़ता है न ही कोई चोरी करनी पड़ती है :-)

सनबर्ड, थंडरबर्ड में शामिल किया जा सकता है। मैं इसका इसी तरह से प्रयोग करता हूं।

थंडरबर्ड में तुम फीड स्थापित कर सकती हो। ऎसे भी फीड स्थापित करने के लिये वेब ब्राउसर में कोई प्रोग्राम स्थापित करने के लिये प्रयोग कर सकती हो जैसे गूगल रीडर, माई याहू या फिर न्यूज़गेटर में। यह फायरफॉक्स या ऑपरा में भी स्थापित की जा सकती है।

मैने पिछले साल ऑपरा का प्रयोग किया था पर लिनेक्स पर, इसमें हिन्दी दिखने में कुछ मुश्किल होती थी। इसलिये मैंने इसका प्रयोग करना छोड़ दिया था। तुम प्रयोग कर बताओ कि क्या यह ठीक हो गया है।

मुझे ऑडिसिटी प्रोग्राम अच्छा लगता है। ऐसा क्यों है यह तुम मेरी चिट्ठी ऑडियो फाइल सम्पादक और अरुणा जी का दूसरा सवाल पर पढ़ सकती हो। मैं इसी पर अपना पॉडकास्ट बकबक रिकॉर्ड करता हूं।

मैं पहले अपना पॉडकास्ट ogg फॉरमैट पर रखता था पर आजकल mp3 पर रख रहां हूं। ऐसा मैं क्यों करता था या क्यों कर रहा हूं - यह तुम मेरी चिट्ठी, शून्य, जीरो, और बूरबाकी, और हमें आसान लगने वाली बात, अक्सर किसी और को मुश्किल लगती है, पर पढ़ सकती हो। यह तो तुम्हें मालुम है कि मैंने पॉडकास्ट क्यों करना शुरू किया

एम.पी.-३ मालिकाना फॉरमेट है इसलिए लिनेक्स के प्रोग्राम इसका समर्थन नहीं करते हैं। इसके लिए एमप्लेयर का प्रयोग करो। यदि तुम आडियो फाइल संपादित करना चाहती हो तो ऑडेसिटी का प्रयोग करो पर ऑडेसिटी में एम. पी.-३ फॉरमैट की फाइल में काम करने के लिए इसका प्लग-इन डाउनलोड करना पड़ेगा।


ओपेन ओफिस के डिफॉल्ट फॉरमैट, ओपेन स्टैण्डर्ड पर है और इसी फॉरमेट में काम करना सबसे अच्छा है। एम. एस. वर्ड इस फॉरमैट की फाइलों को अभी खोल नहीं सकता है पर सन माइक्रोसिस्टम ने इसके लिये बेहतरीन प्लगइन निकाला है तुम इसे विंडोज में एम. एस. वर्ड के लिए डाउनलोड कर लो।

ऎसे विन्डोज में भी Open Office.org का प्रयोग करना चाहिये। यह एम. एस. वर्ड के डिफॉल्ट फॉरमैट की फाइलों को खोल सकता है और उसी में सुरक्षित कर सकता है पर कभी-कभी फॉरमैटिंग में गड़बड़ हो जाती है। मैं अपने सारे लेख और प्रस्तुतिकरण (presentation) इसी पर तैयार करता हूं और यह मुझे किसी तरह से किसी और प्रोग्राम पर तैयार किये गये लेख या प्रस्तुतिकरण से कम नहीं लगते।

ज़ाइन (Xine) वीडियो, सी.डी. और डी.वी.डी. के लिये एक बहुत अच्छा प्रोग्राम है, यद्यपि यह केवल लिनेक्स पर काम करता है। एमप्लेयर दोनो पर काम करता है और अच्छा प्रोग्राम है। यह भी सारी फाईलों को प्ले कर सकता है।

लिनेक्स, हिन्दी
पर काम करने के लिये बहुत अच्छा है। इसमें हिन्दी के लिये समर्थन, विन्डोज़ से बेहतर है। लिनेक्स में हिन्दी टाइप करने के लिये SCIM स्थापित करो। इसमें फोनेटिक की बोर्ड भी है। तुम अंग्रेजी टाइपिंग जानती हो - बहुत आसानी से हिन्दी टाइप कर लोगी।

तुम्हारी हिन्दी अच्छी है और आगे से हिन्दी में ही ई-मेल लिखो। इससे तुम्हारी हिन्दी अच्छी बनी रहेगी। घर में हिन्दी में बात करो ताकि तुम्हारे बच्चों और हमारी आने वाली पीढ़ी का हिन्दी प्रेम बना रहे और वे अपनी सभ्यता, संस्कृति से जुड़े रहें।

यदि तुम्हारे पास समय हो तो हिन्दी में एक चिट्ठा लिखना शुरू करो। हालांकि यह समय लेता है। तुम्हारी मां, मुन्ने के बापू के नाम से चिट्टा लिखती है पर मुझे उसमें उससे चिट्ठी पोस्ट करवाने के लिये नानी याद आ जाती है - तुम्हारी मां के पीछे लगना पड़ता है :-)

तुम्हारी मां को भी, काम की जगह एक डेस्कटाप और एक लैपटाप मिला है पर वह विंडोज पर है। मैने उसमे वह सारे प्रोग्राम डाले हैं जो कि लिनेक्स पर चलते हैं ताकि उसे मुश्किल न हो। तुम तो जानती हो कि घर के सारे कम्प्यूटर लिनेक्स पर हैं।

आशा है कि तुमने मेरे तीनो चिट्ठे उन्मुक्त, छुटपुट, लेख और अपनी मां का चिट्ठा मुन्ने के बापू, मेरा पॉडकास्ट बकबक की फीड अपने लैपटॉप पर स्थापित ली होगी। फीड के बारे में कुछ जानना है तो तुम मेरी चिट्ठी, आर.एस.एस. क्या बला है, और यहां देखो। ऐसे लिनेक्स में फीड पढ़ने का सबसे अच्छा प्रोग्राम एक्रेगेटर है। यह
KDE डेस्कटॉप का प्रोग्राम है।

मुझे अच्छा लगा कि तुम्हें पुस्तकों से अब भी प्यार है। पुस्तकें हमारी सबसे अच्छी मित्र हैं।

मैंने दास्तोवेस्की (Dostoevsky) की क्राइम एण्ड पनिशमेंट (Crime and Punishment) नहीं पढ़ी है अब इसे पढूंगा, उसके बाद हम इस पर चर्चा करेंगे। हांलाकि इसमें कुछ मुश्किल है। अपराध क्या है और अपराधी कौन है - यह दर्शन से जुड़ा विषय है। मुझे दर्शन शास्त्र से घबड़ाहट लगती है।

तुम्हारी जर्मन सहेली का स्वागत है। उससे कहो कि वह हमारे साथ कुछ दिन रहे। तुम्हारी कमी दूर हो जायगी। अब यह मत कहना कि मेरे पास समय नहीं है।

हो सकता है कि मैं, काम के सिलसिले से, जर्मनी जाऊं। इसके बारे में, मैं तुम्हे बाद में ईमेल करूंगा।
पापा

(यह ई-मेल और मेरा जवाब अंग्रेजी में था। इसमें कुछ ओपेन सोर्स के लोकप्रिय प्रोग्रामों के बारे में चर्चा है जिसका उपयोग और लोग कर सकते हैं। इसलिये मैंने हिन्दी में अनुवाद कर यहां इस चिट्ठी में डाला है।)
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