इस चिट्ठी में, मनाली से रोहतंग पाइंट जाने की यात्रा और वहां मिले लोगों की चर्चा है।
रोहतांग पांइट जाने के लिए, हम लोग सुबह साढ़े सात बजे मनाली से निकले। रास्ते का नज़ारा बहुत सुन्दर था। दिखने वाली चोटियां बर्फ से ढ़की थीं, धूप तेज निकली थी लेकिन गाड़ी में ठंड लगने लगी। पिछले दिनो गर्मी थी। पूरी आस्तीन की शर्ट पहनने में पसीना निकल रहा था। इसी सोच में, मैंने ऊनी पैंट नहीं पहनी। लेकिन यह भूल थी। मुझे दुख हुआ कि मैं ऊनी पैंट लाने के बाद उसे क्यों नही पहना। रास्ते में पर्यटक जगह-जगह रूक कर गरम कपड़े और स्नो बूट ले रहे थे। यह वहां पर किराये पर मिल रहे थे।
रोहतागं पाइट पर मेरी मुलाकात सुरेश से हुयी। वे अपनी पत्नी के साथ बंगलौर से आये थे। इन्होंने एक बहुत ही रूमानी अंदाज में चित्र खिचवाया। वे बंगलौर से थे। वहां वे माइसेस नाम की आइटी कंपनी में काम करते हैं। यह बैकिंग सॉफ्टवेयर को टेस्ट करती हैं। मैंने जानना चाहा कि यह जो बैकिंग सॉफ्टवेयर है वह ओपेन सोर्स में है या मालिकाना लेकिन वे इसे स्पष्ट नहीं कर पाये। शायद मालिकाना है।
यहां पर मेरी मुलाकात एक अन्य दम्पत्ति से हुई। मुझे बहुत खुशी हुई कि वह ओपेन सोर्स में काम करते है और यूनिक्स (UNIX) एडमिनीस्ट्रेटर है। वे पुणे से आये थे। उन्होंने बताया, मैं पहले रेडहैट में काम करता था। अब संग्राम नामक कम्पनी में काम करते हैं। मैं उनके साथ कुछ और समय व्यतीत करता लेकिन उनके साथ जो घोड़े वाले थे। वे जल्दबाजी कर रहे थे। इसलिए उनसे विस्तार में बात नहीं हो पायी।
वहां पर मेरी मुलाकात जापानी युवती से हुई। वह नीपो एक्सप्रेस नामक कम्पनी में काम करती थी। उसके साथ दो अन्य महिलायें उसके बॉस की पत्नी और उनकी सास थीं।
नीपो कंपनी लॉजिस्टिक कम्पनी है। इस तरह की कम्पानियां बहुत तेजी से बढ़ रही है पर हिन्दुस्तान में इतनी तेजी से नहीं बढ़ रही है। जापानी युवती का कहना था,
'भारत में आधारभूत संरचना (Infrastructure) है ही नहीं, इस तरह की कंपनी बढ़ेंगी कैसे?'
हमारे पास आधारभूत संरचना तो है, नयी बनती भी हैं लेकिन उससे कहीं तेजी से हमारी जन संख्या बड़ रही है जो उसे नगण्य कर देती है। काश सरकार, यह हम इसे समझ पाते और इसे रोकने का तुरन्त उपाय करते। इसकी प्राथमिकता प्रथम है पर सरकार वोट से बनती है उसे इसकी क्या चिन्ता।
रोहतांग पॉइंट पर हिम |
इस श्रृंखला की अगली कड़ी में, पैरा ग्लाइडिंग का आनन्द लेंगे।
देव भूमि, हिमाचल की यात्रा
वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।। यह तो धोखा देने की बात हुई।। पाडंवों ने अज्ञातवास पिंजौर में बिताया।। अखबारों में लेख निकले, उसके बाद सरकार जागी।। जहां हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की बात हुई हो, वहां मीटिंग नहीं करेंगे।। बात करनी होगी और चित्र खिंचवाना होगा - अजीब शर्त है।। हनुमान जी ने दी मजाक बनाने की सजा।। छोटे बांध बनाना, बड़े बांध बनाने से ज्यादा अच्छा है।। लगता है कि विंडोज़ पर काम करना सीख ही लूं।। गाड़ी से आंटा लेते आना, रोटी बनानी है।। बच्चों का दिमाग, कितनी ऊर्जा, कितनी सोचने की शक्ति।। यह माईक की सबसे बडी भूल थी।। भारत में आधारभूत संरचना है ही नहीं।। हमने भगवान शिव को याद किया और आप मिल गये।। आप, क्यों नहीं, इसके बाल खींच कर देखते।।
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