इस चिट्ठी में मानाली के वशिष्ठ मंदिर, राम मन्दिर और गर्म चश्मे की चर्चा है।
वशिष्ट मन्दिर |
मनाली में वशिष्ठ मंदिर है। एक दिन उसे देखने के लिए गये। यहां के पुजारी ने, इस की यह कथा बतायी।
'सतयुग में महाऋषि वशिष्ठ ने मनाली में रह कर पूजा की थी। उनका एक आश्रम अयोध्या में भी था। भगवान राम के समय वे अयोध्या में रह कर उनकी शिक्षा का काम देखते थे। उसके बाद वे पुन: मनाली आ गये थे। पांच हजार साल पहले वे अंतर ध्यान हो गये। तब यह मूर्ति प्रकट हुई। जो इस मंदिर में स्थापित है।'वशिष्ठ जी की मूर्ति में लगी आंखें चमक रही थी। मैंने पुजारी जी से इसका कारण पूछा। इस पर उनका कहना था,
'यह मूर्ति काले रंग की है। आंखों में चांदी जड़ी हैं। इसलिए यह चमक रही है।'इसके बाहर लकड़ी का मंदिर बना हुआ है। जो कि १८०० साल पुराना कहा जाता है।
यहां पर एक गरम पानी का चश्मा है। जिसमें महिलायें और पुरूष को नहाने की अलग अलग सुविधा है। कहा जाता है कि यहां नहाने से सारी थकावट दूर हो जाती है। इस गर्म पानी के चश्मे की कथा कुछ इस तरह है।
रावण की हत्या करने के बाद भगवान राम पर ब्राहम्ण हत्या का पाप लगा। उन्होंने अश्वमेघ यक्ष करके इसको दूर करने की बात सोची। उन्हें सलाह दी गयी कि गुरू वाशिष्ठ को इस पूजा में बैठाया जाए। गुरू वाशिष्ठ तब तक वापस मनाली चले गये थे। लक्ष्मणजी उन्हें ढूंढने के लिए निकले। उन्हें वे मनाली में मिले। यहां पर अपने लक्ष्मण जी के मन में गुरू वशिष्ठ के नहाने के लिए गरम पानी की बात आयी। इसलिए उन्होंने पृथ्वी पर तीर चला कर गर्म पानी का यह चश्मा निकाला।
वाशिष्ठ जी, तपस्वी थे इसलिए उन्हें गर्म पानी की आवश्यक्ता नहीं थी। लेकिन उन्हें लगा कि लक्ष्मणजी कुछ थक गये होगें। इसलिए वशिष्ठ जी, लक्ष्मण जी को उसमें नहाने के लिए कहा और वरदान दिया।,
'जो भी व्यक्ति इस गरम चश्में में नहायेगा उसकी सारी थकान दूर हो जायेगी और चर्म रोग भी नष्ट हो जायेगें।'
राम मन्दिर |
इन दोनों मंदिरों के बीच में एक गली है। इसमें एक जगह उसी गर्म चश्मे का पानी निकल रहा था। वहां का स्थान पक्का कर दिया गया है। उस जगह कुछ महिलाएं अपना कपड़ा और बर्तन धो रही थीं। मैं उनके पास जाकर बात की। उन्होंने बताया,
'हम लोग इसी मोहल्ले की है। यहीं बर्तन और कपड़े धोने का काम करती हैं। क्योंकि यहां पर गरम पानी की सुविधा है।'
जब मैं चित्र ले रहा था तब सबसे दाहिने वाली युवती शर्मा गयी और चेहरा छिपा लिया। हांलाकि बाकी महिलायें उससे कहने लगी कि चित्र क्यों नहीं खिंचवाती। इसीलिये बाकी सबके चेहरे उसकी तरफ हैं। शायद बाकी महिलायें शादी शुदा थीं। केवल वह ही कुंवारी थी, और सबसे सुन्दर। उसकी यह अदा भी भा गयी।
इसको देखने के बाद हम लोग बौद्व तृप्ति मंदिर और वन विहार देखने गये। उसकी चर्चा अगली बार।।
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वह सफेद चमकीला कुर्ता और चूड़ीदार पहने थी।। यह तो धोखा देने की बात हुई।। पाडंवों ने अज्ञातवास पिंजौर में बिताया।। अखबारों में लेख निकले, उसके बाद सरकार जागी।। जहां हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे की बात हुई हो, वहां मीटिंग नहीं करेंगे।। बात करनी होगी और चित्र खिंचवाना होगा - अजीब शर्त है।। हनुमान जी ने दी मजाक बनाने की सजा।। छोटे बांध बनाना, बड़े बांध बनाने से ज्यादा अच्छा है।। लगता है कि विंडोज़ पर काम करना सीख ही लूं।। गाड़ी से आंटा लेते आना, रोटी बनानी है।। बच्चों का दिमाग, कितनी ऊर्जा, कितनी सोचने की शक्ति।। यह माईक की सबसे बडी भूल थी।। भारत में आधारभूत संरचना है ही नहीं।। सुनते तो हो नहीं, जो करना हो सो करो।। रानी मुकर्जी हों साथ, जगह तो सुन्दर ही लगेगी।। उसकी यह अदा भा गयी।। हमने भगवान शिव को याद किया और आप मिल गये।। आप, क्यों नहीं, इसके बाल खींच कर देखते।।
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