ऊचें स्तर की कमप्यूटर भाषाओं में एक प्रोग्राम होता है जिसे कम्पाइलर (complier) कहते हैं| कम्पाइलर के द्वारा सोर्स कोड को जब कम्पाइल किया जाता है तो सोर्स कोड कम्पयूटर की भाषा, यानी 1 या 0 की भाषा में, बदल जाता है| इसको औबजेक्ट कोड या मशीन कोड भी कहते हैं| सौफ्टवेर किस तरह से कानून में सुरक्षित होता है, जानने से पहिले कुछ बात बौधिक सम्पदा अधिकारों की - जिसकी चर्चा अगली बार|
४. ओपेन सोर्स सौफ्टवेर – सौफ्टवेर क्या है
ऊचें स्तर की कमप्यूटर भाषाओं में एक प्रोग्राम होता है जिसे कम्पाइलर (complier) कहते हैं| कम्पाइलर के द्वारा सोर्स कोड को जब कम्पाइल किया जाता है तो सोर्स कोड कम्पयूटर की भाषा, यानी 1 या 0 की भाषा में, बदल जाता है| इसको औबजेक्ट कोड या मशीन कोड भी कहते हैं| सौफ्टवेर किस तरह से कानून में सुरक्षित होता है, जानने से पहिले कुछ बात बौधिक सम्पदा अधिकारों की - जिसकी चर्चा अगली बार|
एक कैमरा हो प्यारा सा
यात्रा विवरण तो बहुत अच्छा है पर अगर साथ में तस्वीरें भी होतीं तो और भी अच्छा हो जाता|
३. ओपेन सोर्स सौफ्टवेर – गलतफ़हमी
अगला चिठ्ठा - सौफ्टवेर क्या होता है|
२. ओपेन सोर्स सौफ्टवेर - चर्चा के विषय
ओपेन सोर्स सौफ्टवेर के निम्न पक्षों के बारे में आगे चर्चा होगी| पर हो सकता है कि चर्चा इस क्रम में न हो जिसमें यह लिखें है|
- ओपेन सोर्स सौफ्टवेर के बारे में क्या गलतफ़हमी है|
- सौफ्टवेर क्या होता है|
- बौधिक सम्पदा अधिकार (Intellectual Property Rights) क्या होते हैं|
- सौफ्टवेर किस तरह से कानून में सुरक्षित होता है|
- मालिकाना (Proprietary) तथा ओपेन सोर्स सौफ्टवेर में क्या अन्तर है|
- लाइसेंस क्या होते हैं|
- कौपीलेफ्ट (Copyleft) और जी.पी.एल. {General Public License (GPL)} क्या है|
- ओपेन सोर्स सौफ्टवेर क्या है|
- ओपेन सोर्स सौफ्टवेर क्यों महत्वपूण है|
- कौन कौन से लोकप्रिय ओपेन सोर्स सौफ्टवेर हैं|
- लिन्कस क्या है इसमें डिस्ट्रीब्यूशन तथा डेस्कटौप क्या होते हैं|
- लिन्कस के बारे में क्या मुकदमे चल रहें हैं|
- ओपेन सोर्स सौफ्टवेर का दृष्टिकोण किस तरह से जीवन और समाज के अन्य पहुलवों को प्रभावित कर रहा है|
- यदि ओपेन सोर्स सौफ्टवेर के लिये पैसा नहीं लिया जा सकता तो कोई इसमे व्यवसाय क्यों करता है| क्या इससे भी पैसा कमाया जा सकता है|
यदि आपको लगता है कि ओपेन सोर्स सौफ्टवेर के किसी और पक्ष के बारे में चर्चा होनी चाहिये तो टिप्पणी करने में सकोंच न करियेगा|
ओपेन सोर्स सौफ्टवेर के बारे में कुछ गलतफ़हमियां हैं, अगला चिट्टा इसी के बारे में|
१. ओपेन सोर्स सौफ्टवेर
इसलिये जाये नहीं एक नज़र इधर भी|
अगली बार ओपेन सोर्स सौफ्टवेर के उन पक्षों के बारे में - जिनकी आगे चर्चा होगी|
खेल - पहेली: क्या कोई सहायता करेगा
आप खेल कर देखिये| इसका जवाब यदि आपके समझ में आये तो क्या मुझे भी बतायेगें|
तीन दिन: भगवान के घर में - तीसरा दिन
- रोज़ जगंल के अलग अलग हिस्से पर एक निश्चित दूरी चल कर टाईगरों के पजों के निशान देखे जाते हैं|
- रोज़ जगंल के अलग-अलग हिस्से पर एक निश्चित दूरी चल कर टाईगरों के मल के सैम्पल को लेकर उसकी डी. एन. ए. (DNA) टेस्टिन्ग की जाती है पर अभी यह तक्नीक अपने देश में बहुत विकसित नही है|
- जगंल के अलग अलग हिस्से पर एक निश्चित दूरी पर दो तरफ कैमरे लगायें जाते हैं तथा जब कोई जानवर इनके बीच आता है तो उसकी दोनो तरफ से फोटो ले ली जती है| हर टाईगर की धारियां अलग-अलग होती हैं इससे टाईगरों की पहचान की जा सकती है| यह कैमरे केवल रात मे ही चलते क्योंकि टाईगर रात मे निकलता है| वह इसी प्रकार से शोध कर रहा था|
तीन दिन: ईश्वर के देश में - दूसरा दिन
कुजं अबदुल्ला इस स्कूल में अरेबिक पड़ाते हैं उन्होने बताया कि कुछ स्कूलों में उर्दू तथा कुछ में सस्कृंत पड़ायी जाती है| वही गीत बच्चों के साथ गा रहे थे| उन्होने वह गाना फिर से सुनाया और उसका मतलब भी बताया| यह गीत मछुवारे जब मछली पकड़ने जाते हैं तो गाते हैं इसमें वे, मुथपन्न, जिसे वे भगवान मानते हैं की स्तुति की गयी है वे उससे प्रार्थना करते हैं कि वह उन्हे स्वस्थ रखे, सलामत रखे, और उन्हे समृधि दे| मेरे पास टेप-रिर्कौडर नही था वरना उस गाने को टेप करके आप तक पहुंचाता| क्या उस स्कूल के टीचर यदी इस ब्लौग को पड़ रहें हो तो उस गीत को टेप करके क्या मेरे पास भेज सकते ताकि मैं उसे लोगों तक पहुंचा सकूं| या कोई अन्य पाठक मेरी मदद करेगा|
मेरा पूकोड झील से बिलकुल जाने का मन नही था पर शाम के पहिले वायनाड वाईल्ड लाईफ सैक्चुंरी पहुचना था इसलिये मन मार कर वहां से चलना पड़ा| मन में यही इच्छा थी कि यदि सारे पिक्निक स्पौट इतने साफ हो जायें तो क्या बात है|
जगंल या तो सुबह देखने जाया जाता है या शाम को| शाम होने वाली थी और हम लोग वायनाड वाईल्ड लाईफ सैक्चुंरी - मुतंगा रेजं देखने निकल पड़े| मैं मध्य-प्रदेश के कुछ जगंलो में गया हूं| मुझे यह जगंल, मध्य-प्रदेश के जगंलो से कम घना लगा| हिरण, चीतल, साम्भर के कुछ झुन्ड दिखायी पड़े| कुछ जगंली भैसें (Bison) भी दिखायी पड़े| पर हाथी का कोई झुन्ड नहीं दिखायी पड़ा| एक जगह घास ऊचीं ऊचीं थी वहां पर हाथी की चिंघाड़ सुनायी पड़ी; वहां देखने पर सूंड़ फिर हाथी का सिर दिखायी पड़ा| हम लोग जीप के ऊपर चड़ कर देखने लगे| थोड़ी देर बाद वह सूड़ हम लोगों की तरफ आने लगी| हमारा एक साथी चिल्लाया, भगो और हम सब गाड़ी पर तेज़ी से भाग कर बैठे और वहां से रफू-चक्कर| रात को जब हम जब अपने कमरे में आये तो बहुत थके हुऐ थे, पता ही नही चला कि कब निद्रा देवी की गोद में चले गये|
तीन दिन: पहला/ दूसरा/ तीसरा
तीन दिन: ख़ुदा के वत़न में - पहला दिन
प्लेन कालीकट (नया नाम कोज़ीकोड) देर से पहुंचा, सुबह कोहरा था इसीलिये उड़ने में देर हुई। प्रकति में सब रगं हैं पर उसके सबसे प्यारे रगं हैं: हरा तथा नीला। इसी लिये पेड़ों को उसने हरा तथा आकाश एवं समुद्र को नीला रगं दिया। केरल में उतरते सब जगह पेड़ पौध हरे रगं में दिखे, उसके पीछे नीला आसमान और नीला समुद्र। दृश्य देख कर एक पुराना पिक्चर का गाना याद आया,
पर नीला, नीला यह गगन।
दिशायें देखो रगं भरी
चमक रही उमगं भरी।
वह कौन चित्रकार है,
वह कौऽऽऽन चित्रकार है।
एक ठेलेवाला चाय बेच रहा था केरल में चाय, चाय की पत्ती से नही, पर चाय के बुरादे से बनती है, थोड़ी अजीब सी लगी। कुछ और लोग भी चाय पी रहे थे मैने उनसे बात करने के लिये कहा कि वास्को डिगामा यहां उतरा था यह ऐतिहासिक समुद्र-बीच है केवल समुद्र-बीच के पहिले एक टूटे-फूटे पत्थर पर यह लिखा है यह तो टूरिस्ट स्पौट है कुछ अच्छा बना कर लिखना चाहिये था। उसने कहा कि वासको डि-गामा बहुत क्रूर व्यक्ती था उसके बारे में क्यों लिखा जाय। मैने बहस को बड़ाने के लिये कहा कि फिर भी यह इतिहास की बात है कि योरप से सबसे पहिले उसी ने भारत का रास्ता खोजा था इसलिये इस जगह को इतिहासिक जगह के रूप में देखें तथा यदी वह क्रूर था तो उस बात को भी लिखें। उसने कहा हमलोग कुछ नहीं सुनना चाहते यदि वास्को डि-गामा कि यहां मूर्ती बनायी जायगी या कुछ लिखा जायगा तो हम उसे तोड़ देंगे नष्ट कर देगें। मुज्ञे लगा कि उसका पारा गरम हो रहा है, इसके पहिले कोई अप्रिय घटना हो जाय मेने विषय बदलना ही ठीक समझा। बी.बी.सी. की वेब-साईट पर वास्को डि-गामा का ईतिहास देखें तो इन लोगों का गुस्सा समझा जा सकता है।
समुद्र पर दूर रोशनी दिखायी पड़ रही थी मैने पूछा यह रोशनी कैसे है। उसने कहा कि यह मछुहारों के नाव की रोशनी है जो बैटरी से जल रही है उसने यह भी बतया कि मछुहारों के पास मोबाईल फोन रहता है और वे मछली पकड़ने के बाद मोबाईल फोन से व्यापारियों से बात करते रहते हैं जो सबसे अच्छा पैसा देने की बात करता है वहीं सौदा पक्का कर लेते हैं मोबाइल क्रान्ती का एक और फायदा। रात हो रही थी हम लोग वापस लौट आये। दूसरे दिन हमें पश्चिम की ओर वायनाड ज़िले में वायनाड वाईल्ड लाईफ सैक्चुंरी देखने जाना था। दूसरे दिन का किस्सा अगली बार।
डैनिश व्यंगकार – कार्टून
'धार्मिक नहीं, इसे साम्प्रदायिक उन्माद कहना चाहिए। धर्म और सम्प्रदाय में तो फ़र्क है।'मुझे भाषा का बहुत अच्छा ज्ञान नहीं है शायद आलोक जी का शब्द चयन सही है।
मैंने यह चिट्ठी, एक मिनिस्टर के द्वारा विवादित कार्टून के बारे की गयी टिप्पणी पर लिखा था। इस कार्टून के बारे में रोनॉल्ड ड्वॉरकिन (Ronald Dworkin) के एक लेख के बारे में आपका ध्यान आकर्षित करना चहता हूं जो कि मुझे, आप जैसे, किसी एक ने भेजा है। यह लेख न्यू यॉर्क बुक रिवियू में यहां छपा है।
रोनॉल्ड ड्वॉरकिन अमेरिका के जाने माने कानून के विशेषज्ञ हैं। यह बहुत समय तक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में कानून के अध्यापक रहे तथा अब न्यू यॉर्क विश्वविद्यालय में कानून के अध्यापक हैं। यह लेख मुझे सारे विचारों को समन्वित करते हुये लगता है, आपका क्या विचार है।
ओपेन सोर्स सौफ्टवेर एवं हिन्दी ब्लौगिंग
मैने हिन्दी में ब्लौगिंग अभी अभी शुरू की है, कुछ पोस्ट भी किया| कुछ लोगों ने उसकी कमी को बताया|
पहली कमी तो यह है की इ की छोटी मात्रा गलत लगी है| यह गलती फायरफौक्स पर काम करने के कारण हुई| यदी लिन्कस में फायरफौक्स में हिन्दी का कोई पेज़ देखें तो आपकी समझ में आयेगा| उसमें 'दिन' देखने में 'दनि' लगता है| मैनें इसे हटाने के लिये 'िदन' करके लिखा, यह लिन्कस फायरफौक्स में तो ठीक दिखायी पड़ने लगा पर किसी और वेब ब्राउसर में उसी तरह से दिखा जैसा लिखा है|
दूसरी कमी आधे अक्षर की है आधे अक्षर तो बाकी वेब ब्राउसर पर तो ठीक लगतें हैं पर लिन्कस के फायरफौक्स में पूरे अक्षर के नीचे हलन्त लगा दिखायी पड़ता है|
यह दोनो कमी लिन्कस में ओपरा में भी है पर लिन्कस के दूसरे वेब ब्राउसर कौनकरर पर नही है| फायरफौक्स पर काम करने का फायदा यह है कि यह सब तरह के औपरेटिंग सिस्टम पर काम करता है तथा सारे वेब ब्राउसरों में सबसे स्थिर है|
तीसरी कमी तो नही कहनी चाहिये पर तीसरी बात यह है कि लिन्कस तथा विन्डोस की मशीन में यदी फायरफौक्स में भी देखें तो अन्तर है अभी मेरी समझ मे नही आ रहा है कि इसे कैसे दूर करें|
वेलेंटाईन दिन
हमने ग्लोबलीकरण स्वीकार किया है, केबल टीवी आता ही है, पिक्चरों में यही सभ्यता दिखायी जाती है: जब उसे हम मना नहीं कर पा रहे तो उस स्भयता को मना कर पाना मुशकिल है। यह शायद सम्भव नहीं कि हम ग्लोबीकरण तथा केबल टीवी को तो स्वीकार कर लें पर उसमें दिखायी जाने वाली सभ्यता को नहीं। इन दोनो में बीच का रास्ता नहीं है: कम से कम आसान या व्यवहारिक तो नहीं लगता। एक को स्वीकार करना तथा दूसरे पर तोड़-फोड़, अभद्रता: है। यह मेरी समझ से बाहर है।
इसका एक पहलू और भी है यदि लड़की तथा लड़के या उनके माता पिता को कोई आपत्ति न हो तो तीसरे को बोलने का क्या अधिकार।
धार्मिक उन्माद
कुछ लोग अपने देश भारतवर्ष को धर्म निर्पेक्ष कहते हैं तो कुछ पंथ निर्पेक्ष। मैं इस विवाद में नही पड़ना चाहता कि क्या सही शब्द है पर मै इतना जानता हूं कि हमारा संविधान सब धर्मो का आदर करता है। पर फिर भी इतने सालो बाद हमें धार्मिक उन्माद या धार्मिक पागलपन के अलावा क्या मिला। यदी मैं हुसैन होता तो सरस्वती का वह चित्र न बनाता जिस पर इतना बवाल हुआ। पर यदी चित्र बन गया था तब उस पर इतना बवाल बेकार था लोग अक्सर लीक से हट कर इसलिये काम करते हैं कि वे चर्चा में आ जायें या चर्चा में बने रहें। बवाल करके हुसैन को उससे ज्यादा महत्व दे दिया जितना उन्हे मिलना चाहिये था। इसी तरह से डैनिश व्यंगकार को पैगम्बर का कार्टून नहीं बनाना चाहिये था पर यदी बन गया तो उस पर यह पागलपन बेकार है तथा किसी सरकार के मिनिस्टर के व्दारा उस व्यंगकार के सर पर इनाम रखना; उस मिनिस्टर का सरकार में बने रहना: इस पर न तो मेरे पास उस मिनिस्टर के लिये, न ही उस सरकार के लिये कोई शब्द है।

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