यह पोस्ट ओपन सोर्स और ओपेन फॉर्मैट के महत्व को बताती है। यह हिन्दी (देवनागरी लिपि) में है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें।
इसे आप सुन भी सकते है। सुनने के लिये प्ले करने वाले चिन्ह यहां पर चटका लगायें। यह ऑडियो फाइल ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप,
इसे आप सुन भी सकते है। सुनने के लिये प्ले करने वाले चिन्ह यहां पर चटका लगायें। यह ऑडियो फाइल ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप,
- Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
- Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
- Linux पर सभी प्रोग्रामो में,
सुन सकते हैं। ऑडियो फाइल पर चटका लगायें फिर या तो डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले। डाउनलोड करने के लिये पेज पर पहुंच कर जहां Download फिर अंग्रेजी में फाइल का नाम लिखा है, वहां चटका लगायें।
पापा
मैंने आपके पॉडकास्ट सुने। क्या आप उलझन में हैं?
आप कभी mp3 मानक में तो कभी ogg मानक में पॉडकास्ट करते हैं। यह ठीक नहीं है इससे आपके सुनने वाले उलझन में पड़ सकते हैं और उन्हें सुनने में मुश्किल होती होगी। मेरी सलाह है कि आप एक ही मानक में पॉडकास्ट करें। अच्छा हो कि mp3 मानक में ही करें क्योंकि यह ही प्रारूप प्रचलित है। इसको सुनना आसान है। यह विंडोज पर आसानी से सुना जा सकता है।
मैं आपसे नाखुश हूं। आपने अपने पॉडकास्ट का नाम बकबक क्यों रखा? आप भी अच्छी तरह से जानते हैं कि यह बकबक नहीं है।
घर पर तो दीवाली की तैयारी चल रही होगी - शाम को एक दिया हमारे नाम से भी जलाइयेगा।
आपकी बेटी
बिटिया रानी
यह सच है कि मैं कुछ उलझन में था और कभी mps और कभी ogg प्रारूप में पॉडकास्ट करता था। लेकिन अब बिलकुल नहीं हूं। मैंने यह तय कर लिया है कि ogg प्रारूप में ही पॉडकास्ट करूंगा। मैं तुम्हें यह भी बताना चाहूंगा कि मैंने ऎसा क्यों तय किया है।
साधन, अन्त से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।
पिछली सदी के शुरूआत में, केवल धोती पहने, एक भारतीय अंग्रेजी सत्ता के विरूद्घ उठ खड़ा हुआ। विन्सटन चर्चिल उसे अर्घ-नग्न फकीर कहा करते थे। उसका दर्शन था,
'साधन, अन्त से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं (means are more important than the end)। यदि साधन उचित हैं तो ही इच्छित अंत प्राप्त हो सकता है।'लोगों के यह कहने पर कि 'साधन अंतत: साधन ही हैं पर उसका जवाब होता था कि,
'वास्तव में, साधन ही सब कुछ हैं'।उसका नाम था - मोहनदास करमचंद गांधी। वे दुनिया में महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi), भारत के राष्ट्रपिता, के नाम से जाने गये।
मेरे विचार में, गांधी जी का दर्शन, जीवन के हर क्षेत्र में आज ज्यादा सुसंगत एवं महत्वपूर्ण है।
गांधी जी की न्यू यॉर्क में लगी मूर्ति का चित्र विकिपीडिया से है। यह ग्नू मुक्त प्रलेखन अनुमति पत्र की शर्तों के अन्दर प्रकाशित है।
सूचना एवं समपर्क प्रौद्योगिकी (Information and communication Technology - ICT) के संदर्भ में,
- अंत है, सब तक सूचना पहुंचाना है; और
- साधन हैं, कि यह किस प्रकार से किया जाय, किस प्रकार के मानक प्रयोग करें, किस प्रकार के प्रारूपों को अपनाया जाय, किस प्रकार के साफ्टवेयर का इस्तेमाल हो।
इस सदी में सबसे ज्यादा समस्यायें बौद्घिक संपदा अधिकार से जुड़ी होंगी।
- मुक्त मानकों या प्रारूपों (Open Standards and Formats) में न केवल सूचना का संचार सबसे अच्छा है पर बौद्घिक संपदा अधिकारों के विवाद नहीं है। कोई भी मानक तब तक मुक्त मानक या प्रारूप नहीं हो सकता जब तक कि उसमें सारे बौद्घिक संपदा अधिकार छोड़ न दिये जांय।
- मुक्त साफ्टवेयर (Open Source Software) में बौद्घिक संपदा अधिकार की समस्यायें तो हैं पर वे सबसे कम हैं।
mp3 मानक, मालिकाना है और ogg मानक मुक्त है। ogg फॉरमेट के बारे मे विस्तृत जानकारी यहां देख सकती हो। यही कारण है कि मैं अब मुक्त मानक, मुक्त प्रारूप में ही पॉडकास्ट करने की सोचता हूं। आज नहीं तो कल लोग इसको समझेंगे। मैं मुक्त साफ्टवेयर की भी वकालत इसलिये करता हूं।
यह सच है कि इस समय कुछ लोगों को ogg मानक की फाइलों को सुनने में मुश्किल होती है पर यह सारे ऑपरेटिंग सिस्टम में सुनी जा सकती हैं। यह,
- लिनेक्स (Linux) पर सभी प्रोग्रामो में;
- मैक (Mac-OX) पर कम से कम Audacity, MPlayer, एवं VLC media player में; और
- विंडोज़ (Windows) में इसे कम से कम Audacity MPlayer, VLC media player एवं Winamp में,
इसके बाद भी, कुछ लोगों को ogg मानक की फाइलों को विंडोज़ में सुनने में मुश्किल होती है। इसके लिये यदि ऑडियो फाइल पर चटका लगाने के बाद सुनायी न पड़े तो उसे डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुनना चाहिये या फिर ऊपर लिखे प्रोग्रामों में से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर लेना चाहिये।
जीवन में सफल होना, प्रसिद्घि पा लेना, पैसा कमा लेना - सबको अच्छा लगता है। मुझे भी अच्छा लगेगा यदि तुम और मुन्ना उस उंचाई पर पहुंचों जहां मैं और तुम्हारी मां नहीं पहुंच पाये पर उसे प्राप्त करने के साधनों पर भी ध्यान देना। यदि साधन अच्छे नहीं है तो न तुम्हें ही शान्ति मिलेगी न हमें ही खुशी होगी। यह बात, तुम्हें अपने बच्चों को, हमारी आने वाली पीढ़ी को, भी बताने की जरूरत है।
सब कहते हैं कि मैं हमेशा बकबक करता रहता हूं, कभी चुप नहीं रहता :-) बस इसलिये इसका नाम बकबक रख दिया। शायद, अब इसका नाम बदलने के लिये देर हो चुकी है।
दीवाली की तैयारी हो रही है। एक दिया क्यों, सारे ही दिये तुम सब के नाम हैं।
पापा
(मैं अक्सर ई-मेल द्वारा अपने मित्रों के बच्चों और विद्यार्थियों से बात करता हूं। बिटिया रानी के साथ पिछले ई-मेल के बाद मुझे लगा कि मैं कुछ और भी ई-मेल प्रकाशित करूं। यह इसी संदर्भ में है। आने वाले समय में, मैं कुछ और ईमेल भी प्रकाशित करूगां। यह सारी ई-मेल अंग्रजी में है। मैं अनुवाद करके प्रकाशित करूंगा।)
ई-पत्राचार
ओपेन सोर्स की पाती - बिटिया के नाम।। पापा, क्या आप उलझन में हैं।।सांकेतिक चिन्ह
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