परिचारिकायें लाल परिधान पहने थीं। युवतियां लाल स्कर्ट, लाल बेल्ट, लाल या सफेद ब्लाउज, लाल जैकेट, लाल कोट, लाल स्टॉकिंग, यहां तक की लाल जूते पहने थीं पर गले में स्कार्फ आसमानी रंग का था। यही हाल युवकों का भी था। वे हमसे तो अंग्रेजी में बात करते थे पर आपस में किसी और भाषा में बात करते थे। मैंने एक परिचारिका से पूछा कि क्या वह जर्मन में बात कर रही है। उसने कहा
'हां। पर हमारा उच्चारण जर्मन के कुछ भिन्न है पर वर्तनी, व्याकरण बाकी सब वही है।'मैंने जवाब दिया डांके शॉन (आपको बहुत धन्यवाद)। वह मुस्कराकर बोली,
'लगता है आपको जर्मन आती है।'मैंने कहा, मैं जर्मनी जा रहा हूं इसलिये कुछ शब्द सीख लिये हैं।
मेरे बगल की महिला इटली जा रही थी और जो महिला मुझसे सीट बदलना चाहती थी वह स्पेन जा रही थी। वे हरियाणा के किसी गांव की लग रही थी। उन्हें अंग्रेजी नहीं आती थी। वे घबरा रही थी। मैंने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है मैं मदद करूंगा। मैंने वियना में उन्हें उस जगह तक पहुंचाया जहां से उन्हें अपनी, अगली फ्लाइट पकड़नी थी। हांलाकि बाहर निकलते समय एक व्यक्ति खड़ा था जो टिकट देखकर लोगों की सहायता कर रहा था।
मैं बर्लिन जाने के लियें, हाथ का सामान चेक करने के लिये देने लगा। एक व्यक्ति ने मुस्कराकर पूछा कि क्या लैपटॉप हैं? मैंने कहा नहीं। उसने कहा कि क्या नोटबुक है ? मैंने कहा
'नहीं, इसमें मेरे कपड़े हैं।'उसे बहुत आश्चर्य हुआ, मानो कह रहा हो कि क्या कोई भारतीय बिना लैपटॉप के यात्रा कर सकता है। शायद सूचना प्रौद्योगिकी, भारतीयों की पहचान बन गयी है।
वियाना हवाई अड्डे और बर्लिन में मुझे एक परेशानी हुई पर उसका कारण मैं खुद था न कि वियाना हवाई अड्डा या बर्लिन शहर - यह अगली बार।
बर्लिन-वियाना यात्रा
जर्मन भाषा।। ऑस्ट्रियन एयरलाइन
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