यह पोस्ट आईसेक एसीमोव के द्वारा लिखी पुस्तक फैंटास्टिक वॉयेज की समीक्षा है। यह हिन्दी (देवनागरी लिपि) में है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें।
yah posT Isaac Asimov ke dvaara likhee pustak Fantastic Voyage kee sameekSha hai. yah hindee (devanaagaree lipi) me hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me paDh sakate hai. isake liye daahine taraf, oopar ke vijiT ko dekhe.
This post is a book review of the book 'Fantastic Voyage' by Isaac Asimov. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.
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This post is a book review of the book 'Fantastic Voyage' by Isaac Asimov. It is in Hindi (Devnagri script). You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.
१९६० के दशक में फैंटास्टिक वॉयेज (Fantastic Voyage) नामक एक फिल्म बनी थी। इसकी फिल्म कहानी में, लेखक के तौर पर कई लोग जुड़े थे लेकिन इसे अंतिम रूप दिया, पिछली शताब्दी में विज्ञान को सबसे ज्यादा लोकप्रिय बनाने वाले व्यक्ति, आईसेक एसीमोव (Isaac Asimov) ने। इस पर फिल्म भी बनी और यह यह पुस्तक के रूप में भी प्रकाशित हुई है।
इसकी कहानी कुछ इस प्रकार है कि भविष्य में किसी भी वस्तु को छोटा किया जा सकता है पर उसे जितना छोटा किया जायेगा वह उस हाल में उतने कम समय के लिये ही रहेगी और समय पूरा हो जाने पर वापस, अपने आकार पर, आ जायेगी।
एक वैज्ञानिक इस सिद्घान्त की काट निकाल लेता है और वह अपने देश से भाग कर दूसरे देश में जाना चाहता है। यह कहानी तब लिखी गयी थी जब अमेरिका और रूस के बीच में शीत युद्घ (cold war) चल रहा था। हालांकि इस कहानी में यह नहीं लिखा है कि वह वैज्ञानिक रूस से भाग कर अमेरिका जा रहा है पर कहानी पढ़ने से, ऎसा ही लगता है।
इस वैज्ञानिक के देश के लोग यह नहीं चाहते हैं कि वह दूसरे देश में पहुंच जाय इसलिए उसे मारने का प्रयत्न करते हैं। इसी दुर्घटना में वह वैज्ञानिक अस्वाभाविक निद्रा (Coma) में चला जाता है क्योंकि र्दुघटना में उसके मस्तिष्क में, खून का कतरा (clot) जम जाता है। यदि को जल्द न हटाया गया तो वह मर जायगा। डक्टरों के पास, इस कतरे (clot) को हटाने के लिये, थोड़ा ही समय है। उनकी समझ में नहीं आता है कि यह कैसे किया जाय - शायद ऑपरेशन नहीं किया जा सकता है।
डाक्टर इसके लिये एक नायाब तरीका सोचते हैं। यह कुछ इस प्रकार का है कि कुछ लोगों को एक सबमैरीन में बैठा कर छोटा कर दिया जायेगा फिर उन्हें मस्तिष्क में भेजा जायेगा। वहां कतरे को लेसर किरणों से से जला दिया जायगा। यह इसी यात्रा की कहानी है।
डाक्टरों की योजना थी कि सबमैरीन के गले की एक धमनी (artery) में डालकर मस्तिष्क में ले जाया जायेगा। कतरे को, लेसर किरण से नष्ट किया जायगा और सबमैरीन के अपने वास्तविक रूप में आने के पहले उसे बाहर निकाल लिया जायगा। लेकिन जो लोग सबमैरीन में हैं उनमे से एक व्यक्ति यह नहीं चाहता था। उसके कारण, वे धमनी से, शिरा (Vein) में पहुंच जाते हैं, फिर शरीर के अन्य अंगों में पहुंचते हैं। इस कहानी के द्वारा, शरीर के अलग-अलग अंगों के काम करने के तरीकों को बताया गया है। शरीर के अंग किस प्रकार से काम करते हैं, बताने का यह अनोखा तरीका है।
शीत युद्घ समाप्त हो जाने के बाद एसीमोव, ने इस कहानी को पुन: लिखा और इसका नाम फैंटास्टिक वॉयेज-II (Fantastic Voyage-II: Destination Brain) रखा। इसमें रूस तथा अमेरिका के वैज्ञानिक एक साथ सबमैरीन से जाते हैं। इसकी कथा कुछ भिन्न है। दोनों ही कहानियां पढ़ने योग्य हैं पर मुझे तो पहले वाली पुस्तक ही अच्छी लगती है।
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