न्यायमूर्ति किरबी
२१ फरवरी २००८ को, इंटरनेट इंडस्ट्री एसोसिएशन का वार्षिक रात्रि-भोज था। न्यायमूर्ति किरबी वहां मुख्य अथिति थे। वहां पर भाषण देते समय उन्होने इस बात पर गौर किया कि सुनने वालों में अधिकतर व्यक्ति पुरुष थे। उनके मुताबिक यदि वे किसी और पेशे के लोगों के बीच भाषण दे रहे होते तो उसमें पुरुषों और महिलाओं की संख्या लगभग बराबर होती। वे आगे कहते कि,
'My conversationalist said, it all goes back to the fact that to be good in this type of technology, you have got to have that very strange mental quirk. And that’s a male phenomenon. It’s on the Y chromosome, in the male genes. That’s probably why they are mostly men here.इसे आप स्वयं सुन सकते हैं। यह उनके भाषण का आखरी भाग है। यह बात इसके अन्त में है। यदि आप इसके पहले भाग भी सुनना चाहें तो यहां, यहां, यहां, यहां, और यहां सुन सकते हैं।
I don’t know that I accept that.
...
But it’s a thing for you to look to. Women are the great networkers. And toilers in the Internet are in the business of the greatest network of them all.'
लोगों का कहना है कि इस तकनीक में अच्छा होने के लिये एक खास तरह का दिमाग होना चाहिये और यह पुरुषों के पास - वाई क्रोमोसोम के कारण - है। शायद इसी लिये आज अधितर व्यक्ति, पुरुष हैं।
मै इस बात को नहीं मानता हूं।
...
लेकिन इस पर गौर करने की जरूरत है क्योंकि महिलायें बहुत बेहतरीन नेटवर्कर होती हैं और आप दुनिया के सबसे बड़े नेटवर्क में काम काम करते हैं।
मैं न्यायमूर्ति किरबी की बात से सहमत हूं। मुझे भी यह बात सही नहीं लगती की अंतरजाल की तकनीक में अच्छा होने के लिये वाई क्रोमोसोम का कोई महत्व है पर यह भी गौर करने की बात है कि इस पेशे में पुरुषों की संख्या अधिक है। यह नहीं होना चाहिये।
कुछ दिन पहले शोभा डे ने एक लेख लिखा था कि कैसे एक पत्रकार यूवक ने, अपनी मां को, अपने समलैंगिक होने के बारे में बताया था। मेरे विचार से वह सही नहीं कह रही थी क्योंकि कोई यूवक इतना क्रूर नहीं हो कता। मैंने इस पर, आक्रोशवश, अपने चिट्ठे छुटपुट पर, मां को दिल की बात कैसे बतायें नामक चिट्ठी लिखी थी। आप यह सब वहां जा कर पढ़ सकते हैं।
न्यायमूर्ति किरबी भी समलैंगिक हैं। उनहोने अपनी मां को कभी नही बताया कि वे समलैंगिक हैं। उनके मुताबिक वे जो हैं, जैसे हैं, वह ईश्वर के कारण है। इसमें उनका कोई दोष नहीं पर उनकी मां यह नहीं समझ पाती और यह पता चलने पर उन्हे बहुत दुख होता। उनकी मां अपने को ही दोषी ठहरातीं। चूंकि वे अपनी मां को दुख नहीं देना चाहते थे इसलिये यह बात गुप्त रखी। आज उनकी मां जीवित नहीं हैं। इसलिये वे सच बात को छुपाने का कोई औचित्य नहीं समझते है।
मेरे विचार से, जो व्यक्ति दूसरे की भावनाओं को समझता है, आदर करता है, परिपक्व होता है - वही इस तरह की बात कह सकता है।
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(सुनने के लिये चिन्ह शीर्षक के बाद लगे चिन्ह ► पर चटका लगायें यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम अंग्रेजी में लिखा है वहां चटका लगायें।: Click on the symbol ► after the heading. This will take you to the page where file is. Click where 'Download' and there after name of the file is written.)- अंतरजाल की माया नगरी की नवीनतम कड़ी: नैपस्टर केस ►
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- Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
- Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
- Linux पर सभी प्रोग्रामो में - सुन सकते हैं।
इस चिट्ठी का चित्र विकीपीडिया से है और ग्नू स्वतंत्र अनुमति पत्र की शर्तों के अन्तर्गत प्रकाशित किया गया है।
इस पोस्ट पर न्यायमूर्ति माइकेल किरबी के द्वारा २१ फरवरी २००८ को इंटरनेट इंडस्ट्री एसोसिएशन का वार्षिक रात्रि-भोज दिये गये भाषण की चर्चा है। यह हिन्दी (देवनागरी लिपि) में है। इसे आप रोमन या किसी और भारतीय लिपि में पढ़ सकते हैं। इसके लिये दाहिने तरफ ऊपर के विज़िट को देखें। is post per justice miachael kirby ke dvaraa 21 February 2008 ko internet industry association ke ratri bhoj per diye gaye bhaashan ki charchaa hai. yah hindi (devnagri) mein hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen. This post is about - a cooment made by by Justice Miachael Kirby on 21st February before Internet Industry associatio. It is in Hindi. You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script. |
सांकेतिक शब्द
Family, Justice Michael Kirby, Life, Sex education, दर्शन, यौन शिक्षा, विचार,
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