यह चिट्ठी ई-पाती श्रंखला की कड़ी है। यह श्रंखला, नयी पीढ़ी की जीवन शैली समझने, उनके साथ दूरी कम करने, और उन्हें जीवन मूल्यों को समझाने का प्रयत्न है। सच में बुद्धिमान वह हैं जो दूसरी की गलती से ही सीख ले लेते हैं।
मैंने कुछ दिन पहले 'जिया धड़क धड़क जाये' शीर्षक से चिट्ठी प्रकाशित की थी। इसमें वर्ष २००८ का लेखा जोखा लिखा था। कुछ लोगों को लगा कि मैं इस बात से दुखी हूं कि मुझे टिप्पणियां कम मिलती हैं।
- मुझे इस बात का मलाल नहीं है कि मुझे टिप्पणियां कम मिलती हैं। टिप्पणियां न मिलने के कई कारण हैं। मैं उनसे वाकिफ हूं। मैंने उक्त चिट्ठी पर टिप्पणियों की बात, सांख्यिकी के तौर पर लिखी थी न कि शिकायत के कारण।
- मुझे मालुम है कि मेरी चिट्ठियां पढ़ी जाती हैं। मुझे, वर्ष २००६ में लिखी चिट्ठियों पर, औसतन एक से भी कम टिप्पणियां मिलीं। फिर भी, हिन्दी चिट्टागजत ने, इसी साल के लिये तरकश द्वारा आयोजित चुनाव में रजत कलम दिया। अब जब समीर जी सामने हों तो किसी और को स्वर्ण कलम कैसे मिल सकता है :-)
- मुझे यह भी लगता है कि कुछ लोग मेरा लेखन पसन्द करते हैं। शायद, इसीलिये इस वेबसाइट को शुरू किया होगा।
कौन है यह शख़्स, क्यों शुरू की यह वेबसाइट - कुछ समझ में नहीं आता है। लगता है कि मैं अज्ञात में चिट्ठाकारी करता हूं इसलिये ईश्वर ने मुझे यह सजा दी कि तुम भी इसी सोच में परेशान रहो।
कई लोगों को मेरी यह चिट्ठी, अलग-अलग कारणों से पसन्द नहीं आयी पर मेरे परिवार वालों को यह चिट्ठी अच्छी लगी। मुन्ने की सात समुन्दर पार से लिखी ईमेल और उसे मेरा जवाब यह है।
पापा
मैंने अपने लैपटॉप में मैक का नया सॉफ्टवेयर डलवाया है। इसमें हिन्दी देखने में कोई मुश्किल नहीं है। अब मैं तुम्हारे चिट्ठे का आनन्द ले सकूंगा।
तुम्हारी चिट्ठी 'जिया धड़क धड़क जाये' मन को छूने वाली है। मै अज्ञेयवादी हूं पर यदि ईश्वर है तो सच में, हमारे परिवार को उसका आशिर्वाद प्राप्त है। उसने हमें वह सब कुछ दिया जो आज तक किसी और को दिया है। मैं नहीं समझता कि हमें किसी भी चीज की जरूरत है। हम भाग्यशाली हैं।
तुम्हारी उक्त चिट्ठी को पढ़ने के बाद मुझे रॉबर्ट फ्रॉस्ट की कविता कि यह पंक्तियां याद आयीं,
'The woods are lovely, dark and deep,मुन्ना
But I have promises to keep,
And miles to go before I sleep,
And miles to go before I sleep'
जंगल बहुत सुन्दर और घने हैं
मुझे बहुत से वायदे निभाने हैं,
और मुझे सोने से पहले बहुत दूर जाना है
और मुझे सोने से पहले बहुत दूर जाना है।
बेटे राजा
तुम्हारी प्यारी सी ईमेल मिली। मुझे खुशी है कि मैक के नये सॉफ्टवेयर में हिन्दी देखने में कोई मुश्किल नहीं है। हम तुम इस चिट्ठे के जरिये काफी बात कर पायेंगे।
मैंने अपनी उक्त चिट्ठी में मैंने कुछ पति, पत्नी के सम्बन्धों के बारे में लिखा है। मुझसे कहीं कुछ गलती हो गयी पर तुम्हारी मां से नहीं। एक पुरानी कहावत है,
'Those who learn from the mistakes of others are intelligent; those who are learn from their mistakes are ordinary; and those who even do not learn from their mistakes are fools.'मुझे यह बताने की जरूरत नहीं कि मैं किस श्रेणी में आता हूं। मुझे यह भी बताने की जरूरत नहीं कि हम सब तुम्हें किस श्रेणी में समझते हैं और तुम वास्तव में किस श्रेणी के हो।
जो लोग दूसरे की गलती से सीखते हैं वे बुद्धिमान होते हैं। जो अपनी गलती से सीखते हैं वह सधारण होते हैं और जो अपनी गलती से भी नहीं सीखते वे बेवकूफ होते हैं।
बिटिया रानी का शोध ठीक चल रहा होगा। भौतिक शास्त्र तो मेरा प्रिय विषय रहा है। यदि मेरा बस चलता तो मैं भी भौतक शास्त्री होता पर शायद भाग्य में फाइलें ही ऊधर उधर करना लिखा था। बिटिया रानी ने वायदा किया है कि वह इस साल कार चलाना सीख लेगी। आशा करता हूं कि वह इस पर कायम रहेगी :-)
लिखना कि तुम्हारा शोध कैसा चल रहा है। क्या तुम्हें हरपीस वायरस के कार्य करने के तरीके के बारे में कुछ और पता चला। यह चिट्ठी भी देखो यह तुम्हारे शोध कार्य में सहायता करेगी।
पापा
मिश्र जी ने टिप्पणी कर, रॉबर्ट फ्रॉस्ट की कविता का हरिवंश राय बच्चन के द्वारा किया गया अनुवाद, बताया है। यह मेरे किये गये अनुवाद से कहीं बेहतर है। मैं उसे यहां उद्धरित कर रहा हूं।
'सुन्दर सघन मनोहर वन तरु,
मुझको आज बुलाते हैं।
किये मगर जो वादे मैंने,
याद मुझे आ जाते हैं।
अभी कहाँ आराम मुझे,
यह मूक निमंत्रण छलना है।
और अभी तो मीलों मुझको,
मीलों मुझको चलना है।'
मुझको आज बुलाते हैं।
किये मगर जो वादे मैंने,
याद मुझे आ जाते हैं।
अभी कहाँ आराम मुझे,
यह मूक निमंत्रण छलना है।
और अभी तो मीलों मुझको,
मीलों मुझको चलना है।'
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culture, Family, Inspiration, life, Life, Relationship, जीवन शैली, समाज, कैसे जियें, जीवन, दर्शन, जी भर कर जियो
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