मैंने पिछली बार बताया था कि ९ अश्वेत लोगों पर, दो श्वेत लड़कियों के साथ बलात्कार करने के लिये तीन बार अलग अलग मुकदमा चला था। पहली बार, यह ऐलाबामा के स्कॉटस्बॉरो शहर में चला था। इसलिये इस मुकदमें को स्कॉटस्बॉरो बॉयज़ ट्रायल के नाम से जाना जाता है। इन आरोपियों पर अलग अलग मुकदमा चला। आज चर्चा का विषय है कि इस मुकदमें में क्या फैसला हुआ।
इस चिट्ठी को, सुनने के लिये यहां चटका लगायें। यह पॉडकास्ट ogg फॉरमैट में है। यदि सुनने में मुश्किल हो तो दाहिने तरफ का विज़िट,
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स्कॉटस्बॉरो बॉयज़ अपने वकील सैमुएल लाइबोविट्ज़ के साथ।
पहली बार एक को छोड़कर आठ को फांसी की सजा सुनाई गयी। एक लड़के को, इसलिए छोड़ दिया गया था क्योंकि उसकी आयु १२ साल थी। ऎलाबामा राज्य के सर्वोच्च न्यायालय ने इस निर्णय की पुष्टि कर दी लेकिन अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला पॉवेल बनाम ऎलाबामा (Powell Vs. Albama 287 US) में उलटते हुए कहा,
'A defendant should be afforded a fair opportunity to secure counsel of his own choice. Not only was that not done here, but such designation of counsel as was attempted was either so indefinite or so close upon the trial as to amount to a denial of effective and substantial aid in that regard.'
आरोपी को अपनी पसन्द का वकील करने का पर्याप्त समय मिलना चाहिए। इस मुकदमे में ऎसा नहीं हुआ। न्यायालय ने जो वकील उन्हें दिया वह न केवल अनियमित था पर उसकी नियुक्ति मुकदमा शुरू होने के इतनी करीब थी कि आरोपियों को कोई भी ठोस एवं प्रभावी कानूनी सहायता नहीं मिल पायी।
रूबी बेटस्, दूसरी बार मुकदमा चलते समय, गवाही देते हुऐ।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से वापस आने के बाद यह मुकदमे अन्य शहर में स्थानान्तरित कर दिए गये। इसमें सबसे पहले पैटरसन पर मुकदमा चला और बचाव पक्ष की तरफ से सैमुएल लाइबोविट्ज़ वकील नियुक्त हुये। इस मुकदमे में रूबी बेटस् ने बचाव पक्ष की तरफ से गवाही दी। उसने कहा,
'अश्वेत लड़कों ने हमें नहीं छेड़ा था। मैंने पहली बार बलात्कार की बात विक्टोरिया प्राइस के कहने पर कही थी। क्योंकि विक्टोरिया ने कहा था कि यदि मैं इस तरह से नहीं कहूंगी तो हमें इस तरह (बिना टिकट, माल गाड़ी पर) राज्य की सीमा पार करने के लिए जेल में रखा जा सकता है।'
इस बार सबूत में यह बात सिद्घ हो चुकी थी कि पैटरसन दोषी नहीं है फिर भी जूरी ने उसे फांसी की सजा सुनाई। इसे परीक्षण न्यायधीश ने रद्द कर दिया। इसके बाद पैटरसन तथा बाकी सब पर पुन: मुकदमा चला। इस बार पुनः, एक को छोड़कर सबको फांसी की सजा हो गयी। ऎलाबामा सर्वोच्च न्यायालय ने इस फैसले पर अपनी मुहर लगा दी। यह मुकदमा दुबारा फिर से अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचा।
सर्वोच्च न्यायालय में, सैमुएल ने जूरी चयन को मुद्दा बनाया। इसने बहस कि,
'वहां एक भी अश्वेत व्यक्ति को जूरी सेवा के लिये नहीं बुलाया गया हालांकि वहां के अश्वेत लोग जूरी सेवा के लिये योग्य थे। जुरी चिट्ठे में जालसाज़ी कर, बाद में अश्वेत लोगों के नाम बढ़ाये गये हैं।'जब अमेरिका सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने सैमुएल से पूछा,
'क्या तुम यह सिद्घ कर सकते हो?'सैमुएल ने हांमी भरी और जुरी चिट्ठा को सर्वोच्च न्यायालय के सामने रखा। जिससे पता चलता ता कि उसमें जालसाज़ी हुई है। यह अमेरिकी इतिहास में पहली, और केवल एक बार हुआ कि उन्होंने तथ्यों को अपनी अदालत में देखा। अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय ने पुन: फैसले को रद्द करते समय (Norris Vs. Albama 294 US 587) कहा,
'Whenever by any action of State, whether through its legislature, through its courts, or through its executive or administrative officers, all persons of the African race are excluded, solely because of their race or color, from serving as grand jurors in the criminal prosecution of a person of the African race, the equal protection of the laws is denied to him, contrary to the Fourteenth Amendment of the Constitution of the United States.
We think that the evidence that for a generation or longer no negro had been called for service on any jury in Jackson County, that there were Negroes qualified for jury service, that according to the practice of the jury commission their names would normally appear on the preliminary list of male citizens of the requisite age but that no names of Negroes were placed on the jury roll, and the testimony with respect to the lack of appropriate consideration of the qualifications of negroes, established the discrimination which the Constitution forbids. The motion to quash the indictment upon that ground should have been granted.'अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय से वापस आने पर पाँच लोगों के खिलाफ मुकदमा समाप्त कर दिया गया। एक को फांसी की सजा दी गयी पर उसे गवर्नर ने आजीवन कारावास में बदल दिया। इस समय सब मानते है कि वे अश्वेत लड़के दोषी नहीं थे। उन्हें यह सजा गलत तरीके से दी गयी।
जब अफ्रीकन मूल लोगों को उनके रंग या कुल के कारण अफ्रीकन मूल पर चल रहे मुकदमे में रखने से वंचित किया जाता है तो यह १४ वें संशोधन का उल्लंघन है।
जब पीढ़ी दर पीढ़ी से किसी भी अश्वेत को न तो जूरी सेवा के लिए बुलाया जाए, न ही उनका नाम जूरी चिट्ठे पर हो जब कि वे इसके लिए उपयुक्त हों तब यह भेदभाव, संविधान के विरूद्व है और इस अभियोग को अपास्त करने के लिए पर्याप्त है।
इस मुकदमे पर कई फिल्म और प्रलेखी बनी हैं। १९७६ में एनबीसी ने जज हॉरटन एण्ड द स्कॉटस्बॉरो बॉयज़ (Judge Horton and the Scottsboro Boys) नाम से टीवी फिल्म, १९९८ में कोर्ट टीवी (नया नाम ट्रूटीवी) ने इसी पर ग्रेटेस्ट ट्रायल ऑफऑल टाइमस् श्रंखला (Greatest Trials of All Time series) के लिये प्रलेखी, २००१ में स्कॉटस्बॉरो बॉयज़ ट्रायल (Scottsboro: An American Tragedy) के नाम से प्रलेखी, और २००६ में हैवेनस् फॉल (Heavens Fall) फिल्म बनी है।
इस श्रंखला की अगली कड़ी में चर्चा करेंगे कि इस मुकदमे ने किस तरह से हारपर ली पर असर डाला और उन्हें 'टु किल अ मॉकिंगबर्ड' लिखने के लिये प्रेरित किया।
चित्र विकिपीडिया के सौजन्य से।
बुलबुल मारने पर दोष लगता है
भूमिका।। वकीलों की सबसे बेहतरीन जीवनी - कोर्टरूम।। सफल वकील, मुकदमा शुरू होने के पहले, सारे पहलू सोच लेते हैं।। कैमल सिगरेट के पैकेट पर, आदमी कहां है।। अश्वेत लड़कों ने हमारे साथ बलात्कार किया है।। जुरी चिट्ठे में जालसाज़ी की गयी है।।सांकेतिक शब्द
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