आभार, धन्यवाद, बधाई

आप सबका आभार और धन्यवाद। आपने मुझे इस लायक समझा कि उदियमान चिट्ठाकार २००६ में एक पदक मेरे हाथ भी लग गया। मेरा प्रयत्न रहेगा कि मैं और अच्छा लिखूं ताकि इन्टरनेट पर हिन्दी के विस्तार में कुछ योगदान कर सकूं।

मैं उस अज्ञात बन्धु का भी आभार प्रगट करना चाहता हूं, जिसने मुझे इस चुनाव के लिये नामांकित किया। क्योंकि उसके बिना तो मैं यहां तक नहीं पहुंच सकता था।

मेरे चिट्ठियों पर बहुत कम टिप्पणियां रहती हैं। मेरी अधिकतर चिट्ठियां बिना किसी टिप्पणी के हैं। इसलिये मैं कभी नहीं सोचता था कि मेरी चिट्ठियों को लोग पसन्द करते होंगे। तरकश पर अनूप जी ने मेरा परिचय देते समय लिखा कि मैं टिप्पणियां कम करता हूं। टिप्पणियों के बारे में पर तरुन जी ने यहां बताया कि इन पर 'इस हाथ ले उस हाथ दे' का सिद्धान्त लगता है। मैं सबके चिट्ठे तो अवश्य पढ़ता हूं पर यह सच है कि टिप्पणियां कम कर पाता हूं। कभी समय कि कमी, तो कभी यह न समझ पाने की इतनी सुन्दर चिट्ठी पर क्या लिखूं कि इसकी सुन्दरता बढ़ जाये। आने वाले समय पर मेरा यह भी प्रयत्न रहेगा कि मैं चिट्ठेकार बन्धुवों कि चिट्ठियों पर अधिक से अधिक टिप्पणी करूं।

मेरी तरफ से समीरलाल जी, शुऐब जी, और सागर चन्द जी को पुरुस्कार जीतने की बधाई।

सबको बधाई, जिन्होने इस चुनाव में वोट दिया। हांलाकि मैंने स्वयं या फिर मुन्ने की मां ने इस चुनाव में कोई वोट नहीं दिया। यह इस कारण से नहीं कि हमें इस चुनाव में कोई दिलचस्पी नहीं, पर इसलिये कि हम इस चुनाव में निष्पक्ष रहना चाहते थे। मैं तो मुन्ने की मां के अलावा किसी और को वोट दे ही नहीं सकता था, न ही देने की हिम्मत थी
:-)

मेरी तरफ से तरकश टीम को भी बधाई। उन्होने न केवल इस तरह के आयोजन की बात सोची पर इसका इसका सफल आयोजन भी कराया। मैं आशा करता हूं कि वे न केवल इसका आयोजन हर साल करेंगे पर इस तरह के अन्य आयोजन भी करते रहेंगे जिससे लोगो में जोश बना रहेगा। आने वालो सालो में अलग अलग श्रेणियों में भी आयोजन कराने की बात सोची जा सकती है या फिर कुछ इस तरह के आयोजन की जिसमें न केवल किसी साल में शुरु किये गये चिट्ठेकार पर सारे चिट्ठेकार भाग ले सकें।

मुझे एक बात का दुख भी है। हमारे साथ कोई महिला चिट्ठाकार नहीं है।

मुझे मुन्ने की मां को कई बार कहना पड़ता है तब वह कोई चिट्ठी पोस्ट करती है। जब मैं उससे पूछता हूं कि वह और चिट्ठियां क्यों नहीं पोस्ट करती, तो उसका जवाब रहता है कि,
  • कंप्यूटर तुम्हारा ज्यादा अच्छा मित्र है; या
  • घर का काम कौन करेगा; या
  • मुझे कंप्यूटर कम समझ में आता है।
कभी कभी वह कुछ मुश्किल में पड़ जाती है और मेरे पास उसे बताने का समय नहीं होता। शायद महिलाओं कि एक अलग श्रेणी भी रखी जानी चाहिये।

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