क्या एक शब्द आपका जीवन बदल सकता है? क्या एक शब्द आपको हीरो से जीरो या जीरो से हीरो बना सकता है? जी हां, और यह शब्द है मकाका। इसने कम से कम दो व्यक्तियों का जीवन बदल दिया: एक हैं भारतीय मूल के अमेरीकी निवासी एस.आर. सिद्धार्थ और दूसरे हैं अमेरिका के ही निवासी जौर्ज ऐलेन पर यह कैसे हुआ?
जौर्ज ऐलेन अमेरिका में सेनेटर हैं। ये फिर से चुनाव लड़ रहे हैं और रिप्बलिकन पार्टी की तरफ से अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने का सपना देखते हैं। यह जगह जगह अपनी मीटिंगे कर रहे थे। इनकी हर मीटिंग में भारतीय मूल के अमेरीकी निवासी सिद्धार्थ रहते थे। सिद्धार्थ, डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक हैं। एक मीटिंग में भाषण के दौरान ऐलेन ने, सिद्धार्थ को मकाका कह कर सम्बोधित किया और यही कह कर अमेरिका में स्वागत किया। सिद्धार्थ के पास वीडियो कैमरा था जिससे वह इस भाषण की क्लिप खींच रहा था उसने इसे वेब में डाल दिया। फिर तो इतना बवाल मचा कि पूछो मत।
वाशिंगटन पोस्ट ने, ऐलेन के खिलाफ एक सम्पादकीय लिखा। ऐलेन को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी। फिर भी तूफान थमा नहीं। उनका चुनाव प्रचार टूट गया, वे हीरो से जीरो हो गये और उनकी मीटिंगे होना बन्द हो गयीं। सिद्धार्थ जिसे कोई नहीं जानता था वह जीरो से हीरो हो गया। सेलन डाट कॉम ने सिद्धार्थ को २००६ का व्यक्ति (person of the year) मान लिया।
आखिरकार मकाका कहने से क्या हो गया? ऐसा क्या है, इस शब्द में?
अपने देश में साधारणतया बन्दर (rhesus monkey) पाये जाते हैं। पुरानी फ्रेन्च कॉलोनियों में, इन्ही बन्दरों के लिये मकाका शब्द का प्रयोग किया जाता है। यदि इस शब्द को व्यक्तियों के लिये प्रयोग किया जाय तो, यह जातीय निन्दा के रूप में देखा जाता है। अमेरिकियों ने इसे भारतीय मूल के लोगों के खिलाफ, जातीय निन्दा के रूप में देखा। बस, इसीलिये इतना बवाल मच गया।
यह हादसा अगस्त २००६ के महीने में हुआ था। काफी दिन बीत गये हैं। फिर मैं, इतने दिन बाद क्यों इसके बारे में लिख रहा हूं?
कुछ समय से हिन्दी चिट्ठे-जगत में बन्दर की कथा सुन रहा हूं। बस इसी से इसकी याद आयी।
मैं क्षमा प्रार्थी हूं। मेरे विचार से हिन्दी चिट्ठे जगत में बन्दर के अलावा भी कई अन्य रोचक विषय चर्चा के लिये हैं।
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