ताज गार्डन रिट्रीट कुमाराकॉम में मेरी मुलाकात कई लोगों से हुई। इस चिट्ठी में सिख और अंग्रेज दंपत्ति से मुलाकात और महिला सशक्तिकरण के एक दूसरे रुप की चर्चा है।
कुमाराकॉम में, हमारी मुलाकात एक सिख दंपत्ति से भी हुई। वे शिकागो में रहते हैं और अवकाश प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि वे दादा-दादी बन गये हैं और भारत घूमने के लिए आये हुए हैं। सिख महिला ने बताया,
‘हम एल्लपी से आये हैं। यह सफर हमने कल रात नाव पर किया। रात में नाव, झील के बीचो बीच रूक गयी थी। अगले दिन मैं तो सुबह पांच बजे ही उठ गयी थी लेकिन नाव को चलाने वाले ६:३७ पर उठे। इसलिये चलने में देर हो गयी।'मैंने उससे पूछा,
‘उस समय कितने सेकेंड हुए थे।‘पहले तो उस महिला को मज़ाक समझ में नहीं आया कि मैं यह क्यों पूछ रहा हूं। फिर वह समझ गयी कि उसने ६:३७ मिनट कहा था। इसलिए उससे सेकेंड के बारे में पूछा जा रहा है। वह मुस्कुरा कर बोली,
‘उस वक्त ४२ सेकण्ड हुये थे।‘हमें लगा कि रात को नाव से चलना ज्यादा रोमांचकारी होता पर हम तो यात्रा शुरू कर चुके थे और अब उसमें बदलाव संभव नहीं था।
यहां हमारी मुलाकात एक अंग्रेज दंपत्ति से भी हुई। अंग्रेज महिला ने सलवार, कुर्ता पहन रखा था। मैंने उस महिला से कहा कि वे सलवार, कुर्ता में बहुत ही सुन्दर लग रही है। उसने मुस्कुरा कर कहा,
‘मैं १९७२ से लगातार भारत आ रही हूं। यहां इसी वेषभूषा को पहनना सुविधाजनक है। आप दूसरे से अलग नहीं लगते और आप इसे पहनकर किसी भी मंदिर में आसानी से जा सकते हैं।‘मैंने कहा कि क्या लोग आपको देखकर नहीं पहचान पाते हैं क्योंकि आप देखने में भारतीय नहीं लगती हैं। उसने कहा,
‘ऐसी बात नहीं है। एक बार मैंने साड़ी पहनी थी। लोग मुझे कश्मीरी समझ गये थे। लेकिन जब मैं चलने लगी तब वह समझ गये कि मैं भारतीय नहीं हूँ क्योंकि मुझे साड़ी पहनकर चलना नहीं आता है। मैं लम्बे-लम्बे कदम रख रही थी जब कि भारतीय महिलाएं साड़ी पहनकर छोटे-छोटे कदम लेती हैं।‘
उसके पति ने मुझे बताया कि वह एक एरिक्सन कम्पनी में इंजीनियर थे। अब वे अवकाश प्राप्त हो गये हैं। उन्हें भारत से प्रेम हैं इसलिए वे हर साल यहां आते है। मैं, उनसे जीएसएम, सीडीएमए तकनीक और मोबाइल फोन के बारे में के बारे में बात करने लगा। थोड़ी देर बाद उनकी पत्नी ने अपने हाथों की हथेली को अजीब तरह से खोलना और बंद करना शुरू कर दिया मेरी समझ में नही आया कि वह ऐसा क्यों कर रही हैं। लेकिन, उसे देखकर उनके पति चुप हो गये। महिला ने बताया कि,
‘हम लोग एक मस्ती के लिए भारत आये हैं इस समय कोई व्यापार या काम की बात नहीं की जा सकती है। जब मेरे पति व्यापार या काम सम्बन्धी बातें करना शुरू कर देते है तो मै उनको इस तरह से इशारा से मना करती हूं। जब इसके बाद भी वह नहीं मानते तब मैं उन्हें पैर से ठोकर देती हूं। तब उनके समझ में आ जाता है कि इस तरह की बाते नहीं करनी है।‘उनके पति ने इसका प्रतिवाद किया,
‘मैं कोई भी व्यापार या काम की बात नहीं कर रहा था हम तो केवल तकनीक के बारे में सूचना साझा कर रहे थे।‘लेकिन उन्होनें इस विषय पर बात करना बंद कर दिया। महिला सशक्तिकरण का एक रूप यह भी है।
इस श्रंखला की अगली कड़ी में जब हम मिलेंगे तब बात करेंगे ऑस्ट्रेलिया से आयी दो महिलाओं की और महिला सशक्तिकरण के एक और रूप की।
कोचीन-कुमाराकॉम-त्रिवेन्दम यात्रा
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