सृजनवादियों के अनुसार, विकासवाद उष्मागति के दूसरे नियम का उल्लंघन करता है। इस चिट्ठी इसी की चर्चा है।
इस चिट्ठी को आप सुन भी सकते है। सुनने के लिये यहां चटका लगायें। यह ऑडियो फाइल ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप,
इस चिट्ठी को आप सुन भी सकते है। सुनने के लिये यहां चटका लगायें। यह ऑडियो फाइल ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप,
- Windows पर कम से कम Audacity, MPlayer, VLC media player, एवं Winamp में;
- Mac-OX पर कम से कम Audacity, Mplayer एवं VLC में; और
- Linux पर सभी प्रोग्रामो में,
सुन सकते हैं। ऑडियो फाइल पर चटका लगायें। यह आपको इस फाइल के पेज पर ले जायगा। उसके बाद जहां Download और उसके बाद फाइल का नाम लिखा है वहां चटका लगायें। इन्हें डाउनलोड कर ऊपर बताये प्रोग्राम में सुने या इन प्रोग्रामों मे से किसी एक को अपने कंप्यूटर में डिफॉल्ट में कर ले।
सृजनवाद सारे मज़हबों में है। शायद यह इसलिए कि पुराने समय में प्राणियों की उत्पत्ति समझाने के लिए यह सबसे आसान तरीका था। सृजनवाद के अनुसार मनुष्यों की उत्पत्ति किसी विकासवाद से नहीं, पर किसी अदृश्य शक्ति के द्वारा सृजन किये जाने पर हुई है। लेकिन यदि डार्विन का विकासवाद का सिद्धांत सही है तब इसमें ईश्वर की, अदृश्य शक्ति की जरूरत नहीं है। यही दोनो में मतभेद है, विरोध है।
डार्विन के सिद्धांत पर मज़हबी लोगों की दो आपत्तियां हैं
- पहली, यह उष्मागति के दूसरे नियम का उल्लंघन करता है।
- दूसरी, यदि किसी समय, बन्दर और मनुष्य के पूर्वज एक ही थे तब इस समय वह पूर्वज कहां है, उसके बारे में क्या सबूत है? यह उनकी मुख्य आपत्ति है।
'In any closed system, entropy always increases'इसका मोटे तौर पर अर्थ यह है;
किसी भी बन्द सिस्टम में एंट्रॉपी (उत्क्रम माप) बढ़ती है।
'In a closed system, things go from order to disorder'
कोई भी बन्द सिस्टम व्यवस्था से अव्यवस्था की तरफ बढ़ता है।
यह चित्र मेरा नहीं है। मैंने इसे यहां से लिया है।
सृजनवादियों का कहना है कि विकासवाद में प्राणि जगत जीवन के निचले भाग में ऊँचे भाग की तरफ (from lower life form to higher life form) जा रहा है। अर्थात एंट्रॉपी घट रही है। यह नहीं हो सकता है।
सच तो यह है कि यह आपत्ति इस नियम को न समझने की भूल करती है। यह नियम किसी बन्द सिस्टम में ही लागू होता है। यदि कहीं एंट्रोपी घट रही है तो उस सिस्टम में कहीं पर बढ़ रही होगी ताकि पूरे सिस्टम में दोनो का जोड़ बढ़े।
हम सब जानते हैं कि जीवन की उत्पत्ति, इसके विकासवाद, में सूरज के प्रकाश और उष्मा का खास महत्व है। यदि सूरज न होता तो यह जीवन भी नहीं होता। सूरज से प्रकाश और उष्मा, पदार्थ की संहति (mass) का ऊर्जा में बदलने के कारण हो रहा है। इस कारण, वहां एंट्रोपी बढ़ रही है। यह पृथ्वी पर एंट्रोपी में आयी कमी से कहीं अधिक है। इन दोनो का जोड़, उष्मागति के दूसरे सिद्धांत का किसी प्रकार उल्लंघन नहीं करता है।
यह कार्टून मेरा बनाया नहीं है। फ्लोरिडा सिटिज़न फॉर साइंस (Florida Citizen for Science) ने लोगों के बीच विज्ञान को लोकप्रिय बनाने, उसे आसानी से समझाने के लिये स्टिक साइंस कंटेस्ट (Stick Science Contest) किया। यह उसके बेहतरीन दस कार्टूनो में से एक है। मैंने यह वहीं से लिया है।
अगली बार मिलेंगे तब बात करेंगे सृजनवादियों की दूसरी और उनकी मुख्य आपत्ति पर।
डार्विन, विकासवाद, और मज़हबी रोड़े
भूमिका।। डार्विन की समुद्र यात्रा।। डार्विन का विश्वास, बाईबिल से, क्यों डगमगाया।। सेब, गेहूं खाने की सजा।। भगवान, हमारे सपने हैं।। ब्रह्मा के दो भाग: आधे से पुरूष और आधे से स्त्री।। सृष्टि के कर्ता-धर्ता को भी नहीं मालुम इसकी शुरुवात का रहस्य।। मुझे फिर कभी ग़ुलाम देश में न जाना पड़े।। ऐसे व्यक्ति की जगह, बन्दरों से रिश्ता बेहतर है।। विकासवाद उष्मागति के दूसरे नियम का उल्लंघन करता है।।सांकेतिक चिन्ह
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