ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके
पहली पोस्ट: भूमिकादूसरी पोस्ट: तारे और ग्रह
तीसरी पोस्ट: प्राचीन भारत में खगोल शास्त्र
चौथी पोस्ट: यूरोप में खगोल शास्त्र
पांचवीं पोस्ट: Hair Musical हेर संगीत नाटक
छटी पोस्ट: पृथ्वी की गतियां
सातवीं पोस्ट: राशियां Signs of Zodiac
आठवीं पोस्ट: विषुव अयन (precession of equinoxes): हेयर संगीत नाटक के शीर्ष गीत का अर्थ
नवीं पोस्ट: ज्योतिष या अन्धविश्वास
दसवीं पोस्ट: अंक विद्या, डैमियन - शैतान का बच्चा
ग्यारवीं पोस्ट: अंक लिखने का इतिहास
यह बारवीं तथा अन्तिम पोस्ट: हस्तरेखा विद्या
इरविंग वैलेस कल्पित (fiction) उपन्यास के बादशाह हैं, पर उनका मन हमेशा अकल्पित (non-fiction) लेख लिखने में रहता है। उनके अनुसार वे कल्पित उपन्यास इसलिये लिखते हैं क्योंकि उसमें पैसा मिलता है। उन्होंने बहुत सारे अकल्पित लेख लिखे हैं। इन लेखों को मिलाकर एक पुस्तक निकाली है, उसका नाम है, The Sunday Gentleman यह पुस्तक पढ़ने योग्य है। इसमें एक लेख The Incredible Dr. Bell के नाम से है। यह लेख डा. जोसेफ बेल के बारे में है।
डा. जोसेफ बेल वे 19वीं शताब्दी के अंत तथा 20वीं शताब्दी के शुरू में, एडिनबर्ग में सर्जन थे और एक वहां के विश्वविद्यालय में पढ़ाते थे। वे हमेशा अपने विद्यार्थियों को कहते थे कि लोग देखते हैं पर ध्यान नहीं देते। यदि आप किसी चीज को ध्यान से देखें तो उसके बारे में बहुत कुछ बता सकते हैं। उन्होंने बहुत सारे विद्यार्थी को पढ़ाया, उनमें से एक विद्यार्थी का नाम था आर्थर कैनन डॉयल, जो कि शर्लौक होल्मस के रचयिता हैं।
इस लेख में डा. बेल के बहुत सारे उदाहरण बताये गये हैं जब उन्होंने किसी व्यक्ति को देखकर उसके बारे में बहुत कुछ बता दिया। शर्लोक होल्मस एक जासूस थे और कहानियों में ध्यान पूर्वक देखकर बहुत कुछ सुराग ढूढ कर हल निकालते थे। आर्थर कैनन डॉयल ने जब शर्लोक होल्मस की कहानियां लिखना शुरू किया तो उसका चरित्र डा. बेल के चरित्र पर ढाला और डा. वाटसन का चरित्र अपने ऊपर ढाला।
यदि आप किसी कागज को मोड़ें तो हमेशा पायेंगे कि उस कागज को जहां से मोड़ा जाता है, उसमें चुन्नट (Crease) पड़ जाती है। इस तरह से जब हम हंथेली को मोड़ते हैं तो जिस जगह हमारी हथेली मुड़ती है, उस जगह एक चुन्नट, रेखा के रूप में पड़ जाती है। हथेलियों की रेखायें, हाथ के मुड़ने के कारण ही पड़ती हैं।
हम किसी के हाथ को ध्यान से देखें तो कुछ न कुछ उस व्यक्ति के बारे में पता चल भी सकता है। शायद यह भी पता चल जाय कि वह व्यक्ति बीमार है या नहीं। पर उसकी हंथेली की रेखाओं को देखकर यह बता पाना कि उस व्यक्ति की शादी कब होगी, वह कितनी शादियां करेगा, कितने बच्चे होंगे, या नहीं होंगे। यह सब बता पाना नामुमकिन है। यह सब भी ढकोसला है।
निष्कर्ष
मैंने पिछली पोस्टों पर यह बताने का प्रयत्न किया कि ज्योतिष, अंक विद्या, और हस्त रेखा विद्या में कोई भी तर्क नहीं है, फिर भी हमारे समाज में बहुत सारे काम इनके अनुसार होते हैं। बड़े से बड़े लोग इन बातों को विचार में रख कर कार्य करते हैं।
इनका एक कारण मुझे यह समझ में आता है कि यह सब कभी कभी एक मनश्चिकित्सक (psychiatrist) की तरह काम करते हैं। आप परेशान हैं कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें। मुश्किल तो अपने समय से जायगी पर इसमें अक्सर ध्यान बंट जाता है और मुश्किल कम लगती है। पर इसका अर्थ यह नहीं कि इनमें कोई सत्यता है या यह अन्धविश्वास नहीं है या फिर टोने टुटके से कुछ अलग है।
मैं इन सब बातों पर विश्वास तो नहीं करता पर कोई मेरे बारे में अच्छी बात करे, तो सुन लेता हूं। कोई खास व्यक्ति हाथ पकड़ कर बताये तो क्या बात है। हां कभी मेले में आप मुझे किसी चिड़िया से अपना भाग्य बंचवाते भी देख सकते हैं जैसा कि यहां पर हो रहा है :-)
मैनें यह सब कुछ लोगो के द्वारा टोने टुटके के चिट्ठे पर की गयी आपत्ति के कारण लिखना शुरु किया। अधिकांश लोग टोने टुटके पर कुछ अंश तक विश्वास करते हैं इसलिये यदि कोई टोने टुटके के बारे में लिखे तो लिखे, जिसे पढ़ना हो पढ़े, जिसे न पढ़ना हो वह न पढ़े। हमसे किसी ने भी, किसी और के दिमाग ठेका नहीं ले रखा है।
इसी चिट्ठी के साथ यह श्रंखला भी समाप्त होती है।
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