Don’t you have time to think?
पहली पोस्ट: पुस्तक - Don’t you have time to think?दूसरी पोस्ट: पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा
तीसरी पोस्ट: गायब
चौथी पोस्ट: मानद उपाधि
पांचवीं पोस्ट: खेलो, कूदो और सीखो
छटी पोस्ट: अधिकारी, विशेषज्ञ
यह पोस्ट: काम से ज्यादा महत्व, उसे करने में है
हम सब के जीवन में कोई न कोई आदर्श रहा है। मेरे जीवन में - एक नहीं, कई रहे। उन्होने अलग अलग तरह से मेरे जीवन, मेरी विचारधारा पर असर डाला। इनमे से कईयों से कभी नहीं मिला। फाइनमेन उनमें से एक थे। उनके मुताबिक काम से ज्यादा महत्व उसे करने में है: जो अच्छा लगे, जिसमें मन लगे - वह करो पर करो उसे बढ़िया।
एक बार कोची नामक एक विद्यार्थी ने फाइनमेन को पत्र लिखा कि वह भौतिक शास्त्र के साधारण विषय पर काम कर कर रहा है और नामरहित है। इस पत्र ने फइनमेन को दुखी किया। उन्हें लगा कि कोची के अध्यापक ने उसे ठीक से नहीं बताया कि क्या महत्वपूर्ण है और क्या नहीं है। फाइनमेन ने कोची को पत्र लिखा कि,
'The worthwhile problems are the once you can really solve or help solve, the ones you can really contribute something to. A problem is grand in science if it lies before us unsolved and we see some way for us to make a little headway into it.'
फाइनमेन का सुझाव था कि पहले छोटी छोटी और आसान मुश्किलों का हल खोजो जो कि आसानी से मिल सकता है। उनके मुताबिक,
'You will get the pleasure of success, and of helping your fellow man, even if it is only to answer a question in the mind of a colleague less able than you. You must not take away from yourself these pleasures because you have some erroneous idea of what is worthwhile.'फाइनमेन ने पत्र में यह भी बताया कि उन्होने स्वयं,
'I have worked on innumerable problem that you would call humble, but which I enjoyed and felt very good about because I sometimes could partially succeed.'
फाइनमेन का मानना था कि,
'You do any problem that you can, regardless of field.'न तो सरदर्द लेने की जरूरत है न ही घबराने की - कयोंकि,
'In no field is all the research done. Research leads to new discoveries and new questions to answer by more research.'उनके अनुसार,
'No problem is too small or too trivial if we can really do something about it.'
पत्र में फानमेन, आगे लिखते हैं कि,
'You say you are a nameless man. You are not to your wife and to your child. You will not long remain so to your immediate colleagues if you can answer their simple question when they come into your office. You are not nameless to me. Do not remain nameless to yourself — it is too sad a way to be. Know your place in the world and evaluate yourself fairly, not in terms of the naïve ideals of your own use, nor in terms of what you erroneously imagine your teacher’s ideals are.'
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