Don’t you have time to think?
पहली पोस्ट: पुस्तक - Don’t you have time to think?दूसरी पोस्ट: पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा
तीसरी पोस्ट: गायब
चौथी पोस्ट: मानद उपाधि
पांचवीं पोस्ट: खेलो, कूदो और सीखो
छटी पोस्ट: अधिकारी, विशेषज्ञ
सातवीं पोस्ट: काम से ज्यादा महत्व, उसे करने में है
यह आठवीं वा इस विषय पर अन्तिम पोस्ट: गणित
भौतिक शास्त्र मेरा प्रिय विषय था। मुन्ने की मां को गणित अच्छी लगती है। मैं हमेशा कहता हूं कि भौतिक शास्त्र तो रानी है और गणित नौकरानी - जहां चाहो लगा लो। गणित के यही गुण गणित को राजरानी बनाते हैं क्यंकि विज्ञान में इसके बिना ठौर नहीं।
फ्रेड्रिक हिप्प १६ साल के नवयूवक ने १९६१ में फाइनमेन को पत्र लिख कर बताया कि भौतिक शास्त्र उसे अच्छा लगता है पर गणित पसंद नहीं आती है। वह क्या करे। फाइनमेन ने उसे लिखा कि,
'To do any important work in physics a very good mathematical ability and aptitude are required. Some work in applications can be done without this, but it will not be very inspired.मुझे तो मालुम है कि मुन्ने की मां तो हमेशा सही रहती है, उससे जीत पाना संभव नहीं।
If you must satisfy your “personal curiosity concerning the mysteries of nature” what will happen if these mysteries turn out to be laws expressed in mathematical terms (as they do turn out to be )? You cannot understand the physical work in any deep or satisfying way without using mathematical reasoning with facility.'
इसी पोस्ट के साथ 'Do you have time to think?' पुस्तक की समीक्षा समाप्त होती है। बच्चन जी की जीवनी के चारों भाग की समीक्षा अपने अन्तिम चरण में है, इसकी भी आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण कड़ी लिखनी है जिसमें जिक्र रहेगा पन्त जी बच्चन जी विवद पर चर्चा।शीघ्र ही कोई दूसरी पुस्तक पढ़ कर आपके सामने प्रस्तुत करूगां तब तक चलिये चुनाव की सरगर्मी में भाग लेते हैं।
चुनाव प्रचार
भाईयों और बहनो (मुन्ने की मां को छोड़ कर)मैं भी २००६ के सर्वश्रेष्ठ उभरते हुऐ चिट्ठाकार चुनाव का उम्मीदवार हूं, कृपा दृष्टि बनाये रखियेगा। जीतने पर मेरा वायदा:
- मैं २००७ में, साल भर आपको पोस्ट लिख कर बोर करूगां;
- यदि आपको नींद नहीं आती है नींद आने की शर्तिया दवा। कुछ और करने की जरूरत नहीं - बस केवल मेरी पोस्टें पढ़िये, नींद तुरन्त आयेगी;
- मैंने एक कैमरा भी खरीद लिया है २००७ में चित्रों से भी बोर करूंगा।
आजकल, मुन्ने की मां का मूड ऑफ है। उसने भी २००६ में लिखना शुरू किया। आप में किसी ने मेरा तो नॉमिनेशन कर दिया पर उसका नहीं किया। कह रही है कि मैं अब कोई पोस्ट नहीं लिखूंगी। चिट्ठेकार भैइया लोग तो मुझे मानते ही नहीं, किसी ने मेरा नॉमिनेशन नहीं किया।
उसका मूड ठीक करने के लिये, मैंने ही चुपके से उसके नाम से अभी, अभी नॉमिनेशन कर दिया है। देर हो गयी है - चुनाव कानून सख्त होता है। मुझे मालुम है कि उसका नामांकन इसी बात पर खारिज हो जायगा पर मूड तो ठीक होगा। कम से कम चाय तो नसीब होगी, देखिये अभी बता कर हलवा बनवाता हूं।
No comments:
Post a Comment