पहला भाग: पेटेंट
दूसरा भाग: पेटेंट और कंप्यूटर प्रोग्राम
तीसरा भाग: पेटेंट पौधों की किस्में एवं जैविक भिन्नता
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तीसरा भाग: पेटेंट पौधों की किस्में एवं जैविक भिन्नता
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यह पोस्ट: नीम पर कड़ुवाहट
नीम (Azadirachta Indica) सर्व रोग निर्वारणी है। बहुत सारी कम्पनियों को नीम के गुण का प्रयोग करने वाले उत्पादों पर पेटेंट दिया गया है। इनमें से कई भारतीय कम्पनियां भी हैं। इनमें से केवल एक पेटेंट को रद्द किया गया है। यह पेटेट डब्लू.आर. ग्रेस तथा यू.एस. कृषि विभाग को नीम तेल के जीवन (Self life) बढाने के लिए मंजूर किया गया था।
नीम के तेल की शेल्फ लाइफ (Shelf life) को बढ़ाने के लिये इसे एप्रॉटिक सालवेन्ट (aprotic solvent) में कुचला जाता है। मोटे तौर एप्रॉटिक सालवेन्ट, अपने में घुले पदार्थो के साथ हाइड्रोजन आयन (प्रोटान) का आदान-प्रदान नहीं करते हैं। वे हाइड्रोजन बौन्ड (bond) बनाने में भाग नहीं लेते हैं, उदाहरणार्थ ईथर, कीटोन्स, बेन्जीन। प्रॉटिक सालवेन्टस ( Protic Solvents) में हाइड्रोजन दूसरे परमाणु के ऋणात्मक परमाणु के साथ जुड़े होते हैं और हाईड्रोजन बौन्डिंग में भाग लेते है, उदाहरणार्थ, पानी और अल्कोहल।
पर्यावरण ग्रुप के एक संघ ने नीम की शेल्फ लाइफ बढ़ाने वाले पेटेंट को चुनौती दी। यूरोपियन पेटेंट आफिस ने इसी आधार पर 10-5-1999 को यह कहते हुये रदद कर दिया कि यह आविष्कार नवीन नहीं था और वह भारतवर्ष में सार्वजनिक रूप में प्रयोग किया जाता था।
निष्कर्ष
अभी तक कुछ ही पेटेंट रद्द किये गये हैं। इस तरह के अनेकों पेटेट हैं जो कि गलत रूप से दे दिये गये हैं, यह इन पेटेंटों में ईसपगोल, सौंफ, धनिया, जीरा, सूरजमुखी, मूंगफली, अरंडी, रेड़ी, करेला, जामुन, बैंगन पर के गुणों को प्रयोग कर प्राप्त किये गए हैं। यह सारे हमारे आयुर्वेद का हिस्सा रहे और पूर्व कला के रूप में जाने जाते थे। इन्हें भी रद्द करवाना चाहिए। पेटेंट रद्द करवा पाना बहुत महंगा तरीका है। हमें अपनी परम्परागत सूचना इंटरनेट पर डालनी चाहिये ताकि यह पूर्व कला के तौर पर जानी जाय और कोई अन्य इस पर पेटेंट न प्राप्त कर सके।
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