ज्योतिष, अंक विद्या, हस्तरेखा विद्या, और टोने-टुटके
पहली पोस्ट: भूमिकादूसरी पोस्ट: तारे और ग्रह
तीसरी पोस्ट: प्राचीन भारत में खगोल शास्त्र
चौथी पोस्ट: यूरोप में खगोल शास्त्र
पांचवीं पोस्ट: Hair Musical हेर संगीत नाटक
छटी पोस्ट: पृथ्वी की गतियां
सातवीं पोस्ट: राशियां Signs of Zodiac
आठवीं पोस्ट: विषुव अयन (precession of equinoxes): हेयर संगीत नाटक के शीर्ष गीत का अर्थ
यह पोस्ट: ज्योतिष या अन्धविश्वास
अगली पोस्ट: अंक विद्या - डेमियन
सूरज और चन्द्रमा हमारे लिये में महत्वपूर्ण हैं। यदि सूरज नहीं होता तो हमारा जीवन ही नहीं शुरू होता। सूरज दिन में, और चन्द्रमा रात में रोशनी दिखाता है। सूरज और चन्द्रमा, समुद्र को भी प्रभावित करते हैं। ज्वार और भाटा इसी कारण होता है। समुद्री ज्वार-भाटा के साथ यह हवा को भी उसी तरह से प्रभावित कर, उसमें भी ज्वार भाटा उत्पन करते हैं। ज्वार-भाटा में किसी और ग्रह का भी असर होता होगा, पर वह नगण्य के बराबर है। इसके अलावा यह बात अप्रसांगिक है कि हमारा जन्म जिस समय हुआ था, उस समय
- सूरज किस राशि में था, या
- चन्द्रमा किस राशि पर था, या
- कोई अन्य ग्रह किस राशि पर था।
हमारे पूर्वजों ने इन राशियों को याद करने के लिये स्वरूप दिया। पुराने समय के ज्योतिषाचार्य बहुत अच्छे खगोलशास्त्री थे। पर समय के बदलते उन्होंने यह कहना शुरू कर दिया कि किसी व्यक्ति के पैदा होने के समय सूरज जिस राशि पर होगा, उस आकृति के गुण उस व्यक्ति के होंगे। इसी हिसाब से उन्होंने राशि फल निकालना शुरू कर दिया। हालांकि इसका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं है। यदि आप ज्योतिष को उसी के तर्क पर परखें, तो भी ज्योतिष गलत बैठती है।
मैंने इस विषय की आठवीं पोस्ट (विषुव अयन: हेयर संगीत नाटक के शीर्ष गीत का अर्थ) पर बताया था कि पृथ्वी की धुरी घूम रही है और २५,७०० साल में एक बार चक्कर लगाती है। इसलिये विषुव (equinox) का समय बदल रहा है, जिसे विषुव अयन (precession of equinoxes) कहते हैं। ज्योतिष/ खगोलशास्त्र के शुरु होने के समय, विषुव अप्रैल के माह में आता था, इसीलिये राशि चक्र मेष से शुरु होता है। अब यह मार्च के महीने में आ गया है यानी कि मीन राशि में आ गया है। यदि ज्योतिष का ही तर्क लगायें तो जो गुण ज्योतिषों ने मेष राशि में पैदा होने वाले लोगों को दिये थे वह अब मीन राशि में पैदा होने वाले व्यक्ति को दिये जाने चाहिये। यानी कि, हम सबका राशि फल एक राशि पहले का हो जाना चाहिये पर ज्योतिषाचार्य तो अभी भी वही गुण उसी राशि वालों को दे रहे हैं।
सच में हम बहुत सी बातो को उसे तर्क या विज्ञान से न समझकर उस पर अंध विश्वास करने लगते हैं, जिसमें ज्योतिष भी एक है। ज्योतिष या टोने टोटके में कोई अन्तर नहीं। यह एक ही बात के, अलग अलग रूप हैं। यही बात अंक विद्या और हस्तरेखा विद्या के लिये लागू होती है। यह दोनो, टोने टोटके के ही दूसरे रूप हैं। इनके बारे में अगली पोस्टों पर।
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