हरिवंश राय बच्चन - मांस, मदिरा से परहेज

पहली पोस्ट: हरिवंश राय बच्चन – विवाद
दूसरी पोस्ट: हरिवंश राय बच्चन - क्या भूलूं क्या याद करूं
तीसरी पोस्ट: हरिवंश राय बच्चन – तेजी जी से मिलन
चौथी पोस्ट: हरिवंश राय बच्चन - इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय के अध्यापक
पांचवीं पोस्ट: हरिवंश राय बच्चन - आइरिस, और अंग्रेजी
छटी पोस्ट: हरिवंश राय बच्चन - इन्दिरा जी से मित्रता,
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कायस्थ, मांस खाने और मदिरा पीने में कोई परहेज नहीं करते हैं। बच्चन जी भी इसका उपभोग करते थे पर उन्होंने इसको छोड़ दिया। इसके छोड़ने का कारण उनके पुत्रों की बीमारी थी।

जब अमिताभ बीमार पड़े तो उस समय वह महू में विश्वविद्यालय के एन.सी.सी. से सम्‍बन्धित 8 सप्ताह की ट्रेनिंग में थे। उन्होंने प्रतिज्ञा की कि
‘अगर अमित अच्‍छा हो जाएगा तो वे कभी शराब नहीं पियेंगे।'
नीड़ का निर्माण फिर में इसका वर्णन कुछ इस प्रकार करते हैं कि,
‘इस प्रण से ही मेरा मन कुछ शान्त हो गया।
तेजी का जो दूसरा पत्र आया, उसमें लिखा था कि अमित की दशा में सुधार हो चला है।
मैं अपनी प्रतिज्ञा पर अडिग रहा, भले ही कोई अफसर या अफसर का चचा बुरा माने।
तेजी के तीसरे पत्र से अमित के और अच्छे होने की खबर आई।
और एक समाचार आया कि अमित बिल्‍कुल अच्छा हो गया है।
पचीस वर्ष से ऊपर हो चुके हैं। तब से मैंने शराब छुई नहीं। अमित अब स्वस्थ, सुन्‍दर कद्दावर जवान है। मैं जानता हूँ कि अमित के स्वस्थ, सुन्दर, कद्दावर होने और मेरे शराब न छूने में कोई सम्बन्ध नहीं है, पर आप मुझसे अपनी प्रतिज्ञा तोड़ने को मत कहें।'


इसी तरह की कुछ बात तब हुई जब अजिताभ बीमार पड़े वह २-३ महीने का था तो उसे दाने निकल आये और लोगों ने समझा कि उसे चेचक हो गयी है। बच्चन जी ‘नीड़ का निर्माण फिर' में कहते हैं।
'मैंने किसी तरह की प्रार्थना-विनती न की। एक पिछली बात याद आई। अमित के लिए मैंने सदा के लिए मदिरा छोड़ दी थी। मैंने अपने मन से कहा, यदि अजित बच जाएगा तो मैं कभी मांस नहीं खाऊंगा। रात का पिछला पहर था या सुबह का मुँह अँधेरा तेजी ने मुझे जोर से आवाज दी! मैंने समझा, कुछ अनिष्ट हो गया। पर वह तो तेजी के हर्ष-आश्चर्य का स्वर था। अजित के बदन से सारे दाने गायब हो गए थे! उसका बुखार उतर गया था और वह मुस्करा रहा था! चमत्कार हो गया था, चमत्कार ! मैंने किसी अज्ञात को धन्यवाद दिया। अजित अब तेईस वर्ष के हैं- स्वस‍थ-सुन्दर। अपनी निरामिषता और उनकी तन्दुरूस्ती में किसी प्रकार का सम्बन्ध न देखते हुए भी मैं अपने से ही अपनी प्रतिज्ञा निभाए जा रहा हूँ।'

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