यूरोप और भारतवर्ष में पेटेंट और कंप्यूटर प्रोग्राम

भाग-१: पेटेंट
पहली पोस्ट: भूमिका
दूसरी पोस्ट: ट्रिप्स (TRIPS)
तीसरी पोस्ट: इतिहास की दृष्टि में
चौथी पोस्ट: पेटेंट प्राप्त करने की प्रक्रिया का सरलीकरण
पांचवीं पोस्ट: आविष्कार
छटी पोस्ट: पेटेंटी के अधिकार एवं दायित्व

भाग-२: पेटेंट और कंप्यूटर प्रोग्राम
पहली पोस्ट: भूमिका
दूसरी पोस्ट: अमेरिका में - पेटेंट और कंप्यूटर प्रोग्राम
तीसरी पोस्ट: अमेरिका में पेटेंट और कंप्यूटर प्रोग्राम - औद्योगिक प्रक्रिया के साथ
चौथी पोस्ट: अमेरिका में पेटेंट और कंप्यूटर प्रोग्राम - व्यापार के तरीके के साथ
यह पोस्ट: यूरोप और भारतवर्ष में पेटेंट और कंप्यूटर प्रोग्राम का कानून
अगली पोस्ट: इस विषय पर कुछ अनिश्चित क्षेत्र

यूरोप में पेटेंट का कानून
यूरोपियन पेटें‍ट कनवेशंन १९७३ (ई.पी.सी.) का अनुच्छेद ५२(२) कहता है कि मानसिक कार्य करने की प्रक्रिया, खेल खेलने के तरीके, व्यापार तरीके, और कं‍प्यूटर प्रोग्राम आविष्कार नहीं माने जायेगें। यानी कि, कं‍प्यूटर प्रोग्राम और व्यापार तरीकों को पेटेंट नहीं किया जा सकता। यही ई.पी.सी. के सदस्य देशों का भी कानून है। किन्तु व्यवहार में, यह नियम बदल गया है। इस तरह के पेटेंटों के लिए यदि आवेदन पत्र - कंप्यूटर प्रोग्राम या व्यापार के तरीकों की जगह - तकनीकी में बढ़ोत्तरी की तरह प्रस्तुत किये जांय तो उन पर विचार किया जा रहा है।

यूरोप के भिन्न भिन्न देशों अलग अलग नियम है और यूरोपियन कमीशन उसमें समानता लाने का वह प्रयास कर रहा है। वह इसमें सफल होगा कि नहीं यह तो भविष्य ही बतायेगा।

भारतवर्ष में पेटेंट का कानून
भारतवर्ष में पेटें‍ट अधिनियम की धारा ३ को २००२ संशोधन के द्वारा संशोधित किया गया है। इसने पेटेंट अधिनियम में धारा ३ (K) को प्रतिस्थापित किया है। इसमें गणित, व्यापार के तरीकों, कं‍प्यूटर प्रोग्राम अकेले में (Computer Programme per se), अल्गोरिथम को अविष्कार नहीं माना गया है। यानि कि यह पेटेंट नहीं हो सकते हैं।

यहां ‘कं‍प्यूटर प्रोग्राम’ को per se के द्वारा प्रतिबन्धित किया गया है। Per se का अर्थ अकेले में या अपने आप में है। इसका अर्थ यह हुआ कि कंप्यूटर प्रोग्राम अपने आप में अविष्कार नहीं है पर इसका यह भी अर्थ हुआ कि यदि वह अकेले में न हो तो अविष्कार माने जा सकते हैं और उसका पेटेंट भी हो सकता है। आगे न्यायालय इसका क्या मतलब निकालेगें - क्या हम आमेरिका की राह जायेंगे या हम यूरोप की - यह तो केवल भविष्य ही बता सकता है।

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