'hello my friend!
i'm portuguese and your blog is amazing!
stay like this!
bye-bye!
a little thing: I don't know read chinese!
7:09 PM' प्रसन्नता और आश्चर्य दोनो एक साथ: पुर्तगाली लोग भी हिन्दी में लिखे चिठ्ठे पढ़ते हैं; नारद मुनि ने कहां तक आपनी पैंठ बना ली। फिर आखरी लाईन पढ़ी, तो सोचा कि यदि इस पोस्ट को चाईनीस़ समझ कर अनुवाद किया जाय तो इसका जरूर कोई आश्चर्यजनक मतलब निकलेगा। फिर लगा कि सच है भी कि नहीं। अरे मित्र, इस तरह की पोस्ट अज्ञात नही की जाती है। इंडीब्लागीस प्रतियोगिता-नामांकन शुरू हो गया है, नारद मुनि तो यही कहेंगे कि उनमुक्त जी ने तो अभी से अपनी ही ढपली बजानी शुरू कर दी है। कम से कम नाम तो लिखा करो; कुछ तो विश्वसनीय लगे।
टिप्पणी में कुछ अच्छी बात भी लिखी थी; पत्नी को दिखायी, तो बोली,
'अरे अकलमन्द यदी हिन्दुस्तान में २ अप्रैल है तो पश्चिम में १ अप्रैल होगी। आखरी लाईन से तो लगता है कि तुम्हारे किसी मित्र या फिर किसी पाठक ने तुम्हे अप्रैल फूल बनाया है'बात समझ में आयी। पत्नियों की बातें तो कभी गलत होती नहीं; कम से कम उनके पतियों के लिये।
खैर बहुत साल पहिले एक पिक्चर देखी थी, भूल गया कि कितने साल पहिले की बात है। उसमे एक गाना सदा बहार देव आनंद ने हेमा मालिनी की शोख अदायों पर गाया था। मै पूरा गाना भूल गया हूं, उसकी लय और कुछ पंक्तियां याद हैं। इस टिप्पणी पर याद आयीं,
पल भर के कोई हमें प्यार कर ले
झूठाऽऽ ही सही
ल ल ल ला ल ला ला
झूठाऽऽ ही सही।
झूठाऽऽ ही सही
ल ल ल ला ल ला ला
झूठाऽऽ ही सही।
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