९. ओपेन सोर्स सौफ्टवेर - फ्री सौफ़टवेर: इतिहास

इस विषय में पिछली पोस्ट - कौपीलेफ्ट पर

कौपीलेफ्ट शब्द का प्रयोग होने के पहले और अब भी ऐसे सौफटवेयर के लिये फ्री शब्द प्रयोग किया जाता है|

फ्री शब्द का प्रयोग करना रिचर्ड स्टालमेन ने शुरू किया और यह आन्दोलन भी उनका ही शुरू किया गया है| वे 1980 के दशक में मैसाचुसेट इस्टिंट्यूट आफ टेक्नौलोजी में पढ़ाते थे । उनके मुताबिक पहले कम‍प्यूटर प्रोग्रामर सौफटवेयर में कापीराइट क्लेम नहीं करते थे और बहुत आसानी से एक दूसरे को अपना प्रोग्राम दे देते थे लेकिन बाद में कमप्यूटर प्रोग्रामरों ने अपना प्रोग्राम एक दूसरे को देना बन्द कर दिया और किसी और को उनके प्रोग्राम में संशोधन करने का अधिकार भी समाप्त कर दिया । स्टालमेन को लगा कि इस तरह से कम‍प्यूटर सौफटवेयर कुछ खास लोगों के पास रह जायेगा और उसका सर्वांगीण विकास नहीं हो पायेगा । इसलिये उन्‍होंने अपना इन्‍स्‍टीटयूट को छोड कर घन्यू प्रोजेक्‍ट (GNU project), फ्री सौर्स फाउण्डेशन (Free Source Foundation) के अंतर्गत शुरू किया| इसमें उस तरह के सौफटवेयर लिखने शुरु किये जो कि कौपीलेफ्टेड हों|

उन्होंने इस तरह के साफटवेयर को फ्री-सौफटवेयर का नाम दिया| यह इसलिये, क्यों कि उनके मुताबिक इसमें लोगों को कम‍प्यूटर प्रोग्राम या सौफटवेयर को संशोधन करने की स्वतंत्रता है उनका कहना है कि फ्री को ऐसे मत सोचो जैसा फ्री बीयर में है पर ऐसे देखो जैसा कि फ्रीडम आफ स्पीच में है| फ्री सौर्स फाउण्डेशन की वेबसाईट के मुताबिक, उन्ही के शब्दों में
'Free software' is a matter of liberty, not price. To understand the concept, you should think of 'free' as in 'free speech', not as in 'free beer'.


फ्री सौफ़टवेर की क्या शर्तें है तथा इसे क्यों गीपीएल्ड (GPLed) सौफ्टवेर भी कहा जाता है इसके बारे में चर्चा - अगली बार

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