'मुन्ने कि मां. देखो ने फिर से टिप्पणी आ गयी है और नाम भी है। अब तो मान गयीं, कि किसी ने मुझे अप्रैल फूल नहीं बनाया।'
'देखूं' वह किचेन से निकल रही थी और हाथ साड़ी में पोंछती हुई बोली। देखने के बाद कहा,
'मुझे जरा पुरानी टिप्पणी तो दिखाओ।'देखने के बाद, वह कुछ शर्लौक होम्लस के अन्दाज मे बोली,
'अच्छा तो यह माज़रा है'।'क्या माज़रा है', मैने घबराते हुए सवाल पूछा। उसने मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे कह रही हो elementary my dear Watson फिर बोली
'देखो दोनो टिप्पणी एक ही है न'।मैने कहा
'हां, तो क्या टिप्पणी तो आयी है।'
उसने मेरी बात की अनसुनी कर दी। वह कई बार मुझसे कह चुकी है कि यदि चौका चूल्हा मैं सम्भाल लू और वह काम करे तो हम लोगों की ज्यादा तथा जल्दी तरक्की हो। उसने मुझे दिखाते हुये सम्झाया कि दोनो टिप्पणी एक ही हैं और कोई अन्तर नही है। उसकी यह बात सच है उसने इसके तीन कारण बताये:
- तुम्हारे कमप्यूटर में कोई वायरस आ गया। यदि यह है तो बहुत अच्छा है क्योंकि कुछ दिन तक इस मुये कमप्यूटर से तो छुट्टी मिली; मुन्ने और मुझे तो समय मिलेगा।
- यह टिप्पणी कोई व्यक्ति न करके कोई मशीन कर रही हो।
- यदी पहली दोनो बात सच नहीं हैं तो तुम अवश्य लोगों को बोर कर रहे हो।
'यदी तीसरी बात सच है तो तुम कैसे कह सकती हो कि मैं लोगों को बोर कर रहा हूं'।
उसने ठन्डे स्वर में कहा,
'टिप्पणी की आखरी पंक्ति पढ़ो। तुमने हिन्दी में लिखा और वह चायनीज़ भाषा के बारे में कह रहा है। बोर कर रहे होगे, इसी लिये वह ऐसा कह रहा है।'
मुन्ने का टिफिन लगाना है कह कर चल दीं। मैने जाते जाते, उसे बुदबुदाते सुना,
'यदी मैं तुम्हे इन २५ सालों में समझ पायी हूं तो तीसरी ही बात सच होगी|'मैं अक्सर सोचता हूं यदी उसने मुन्नी और मुन्ने का इतना अच्छा ख्याल न रखा होता या खाना इतना लाचीज़ न बनाती तो बस मैं ....श श श कहीं उसने पढ़ लिया तो।
मैने भी तीनो संभावनावों पर बारी बारी विचार करना शुरू किया,
- मेरा कमप्यूटर लिन्कस पर है। लिनेक्स पर वायरस नहीं आते हैं पर आ तो सकते हैं। यदि आये तो इस सोते हुये कस्बे में कोई ठीक नही कर सकता है बाहर ही ले जाना पड़ेगा। चेतावनी: नारद जी यदि १५ दिन तक मेरा कोई चिठ्ठा पोस्ट न हो तो समझ जाईयेगा। कहीं से वायरस आ रहा है। संजय जी तरकश से कोई न कोई अच्छा तीर निकाल कर चलाइयेगा, ताकि और किसी को न तंग कर पाये। मैने तो अपना सारा डाटा का बैक अप ले लिया है।
- मैने ब्लौगरस डौट कौम से पूछा है कि शब्द सत्यापित करके टिप्पणी देने वाले प्रोग्राम की क्या किसी ने काट निकाल ली है। उन्होने कहा है कि वे टेस्ट करके बतायेंगे। जैसे ही मुझे कुछ पता चलता है मैं आप तक पहुंचाता हूं
- ह म् म् म् म् म् म् ..... यह तो बिलकुल बेकार की बात है। हर जना मुझसे कहता है कि मैं लोगों को बोर कर रहा हूं। इसका मतलब यह थोड़ी है कि यह बात सही है। मैं तो यह एक कान से सुनता हूं और दूसरे से निकाल देता हूं। पिछले इतवार को उमंग ही मुझसे यही कह रहा था। उसने तो इस बोरियत से बचने के लिये कुछ करना शुरू कर दिया है।
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