ओपेन सोर्स सौफ्टवेयर की चर्चा पहली कड़ी ओपेन सोर्स सौफ्टवेर से शुरू होकर पंद्रवीं कड़ी लिनूस टोरवाल्डस एवं बिल गेट्स के विचार पर समाप्त हो गयी। इस चर्चा के दौरान जिक्र हुआ था कि लिनेक्स तथा उसके बारे मे चल रहे मुकदमे की भी चर्चा करना ठीक रहेगा। चलिये यह चर्चा शुरू की जाय।
लिनेक्स१, ओपेन सोर्स सौफ्टवेयर का सबसे कामयाब तथा सबसे लोकप्रिय सौफ्टवेयर है। यह जीपीएल्ड है और यूनिक्स से बनाया गया है। यूनिक्स का विकास, 1960 के दशक में ऐ.टी.&टी. की बेल प्रयोगशाला के द्वारा किया गया। उस समय ऐ.टी.&टी. कम्पनी एक नियंत्रित इजारेदारी (Regulated monopoly) थी इसलिये वह कमप्यूटर का सौफ्टवेयर नही बेंच सकती थी। उसने इसे, सोर्स कोड के साथ, बिना शर्त, सरकार तथा विश्वविद्यालयों को दे दिया: वे चाहे तो उसमें फेरबदल कर सकते हैं। 1980 के दशक के आते आते यूनिक्स सबसे लोकप्रिय, शक्ति शाली, एवं स्थिर औपरेटिंग सिस्टम बन गया हालांकि उस समय तक उसके कई रूपान्तर आ चुके थे।
यूनिक्स में एक कमी थी इसको समझना तथा चलाना मुश्किल है। एन्डी टेनेबौम, ऐमस्टरडैम में कमप्यूटर विज्ञान के प्रोफेसर हैं। उन्होंने इसकी सहायता के लिये मिनिक्स नाम का प्रोग्राम लिखा। इसमें भी कुछ कमियां थीं। लिनूस टोरवाल्ड फिनलैण्ड के हेलसिन्की विश्वविद्यालय में कमप्यूटर विज्ञान के छात्र थे। उन्होंने मिनिक्स की कमी को दूर करने के लिये एक प्रोग्राम लिखा जो कि बाद 'लिनूस का यूनिक्स' या छोटे में लिनेक्स कहलाया । इसका सबसे पहला कोर या करनल (Kernel) उन्होने 1991 में इन्टरनेट में पोस्ट किया। तब तक, रिचर्ड स्टालमेन का घन्यू ( GNU) प्रोजेक्ट शुरू हो चुका था। लिनूस टोरवाल्ड ने इससे बहुत सारे प्रोग्राम अपने लिनेक्स में लिये। इसलिये रिचार्ड स्टालमेन का कहना है कि इसे घन्यू-लिनेक्स कहना चाहिये। पर यह नाम, शायद लम्बा रहने के कारण चल नहीं पाया। पर इसका अर्थ यह नहीं हैं कि लिनेक्स की सफलता में घन्यू प्रोजेक्ट का हाथ नहीं है। घन्यू प्रोजेक्ट के बिना लिनेक्स सम्भव नहीं था।
1991 में शुरू हुआ यह औपरेटिंग सिस्टम आज विन्डोस के बराबर तो लोकप्रिय नहीं है पर बहुत तेजी से उंचाईयों को छू रहा है और पांच दस साल बाद बात उल्ट भी हो सकती है। अगली बार इसके करनल, डेस्कटौप, डिस्ट्रीब्यूशन, के बारे मे बात करेंगे।
१- लिन्कस के बारे में मजाक यहां देखें।|
लिनेक्स१, ओपेन सोर्स सौफ्टवेयर का सबसे कामयाब तथा सबसे लोकप्रिय सौफ्टवेयर है। यह जीपीएल्ड है और यूनिक्स से बनाया गया है। यूनिक्स का विकास, 1960 के दशक में ऐ.टी.&टी. की बेल प्रयोगशाला के द्वारा किया गया। उस समय ऐ.टी.&टी. कम्पनी एक नियंत्रित इजारेदारी (Regulated monopoly) थी इसलिये वह कमप्यूटर का सौफ्टवेयर नही बेंच सकती थी। उसने इसे, सोर्स कोड के साथ, बिना शर्त, सरकार तथा विश्वविद्यालयों को दे दिया: वे चाहे तो उसमें फेरबदल कर सकते हैं। 1980 के दशक के आते आते यूनिक्स सबसे लोकप्रिय, शक्ति शाली, एवं स्थिर औपरेटिंग सिस्टम बन गया हालांकि उस समय तक उसके कई रूपान्तर आ चुके थे।
यूनिक्स में एक कमी थी इसको समझना तथा चलाना मुश्किल है। एन्डी टेनेबौम, ऐमस्टरडैम में कमप्यूटर विज्ञान के प्रोफेसर हैं। उन्होंने इसकी सहायता के लिये मिनिक्स नाम का प्रोग्राम लिखा। इसमें भी कुछ कमियां थीं। लिनूस टोरवाल्ड फिनलैण्ड के हेलसिन्की विश्वविद्यालय में कमप्यूटर विज्ञान के छात्र थे। उन्होंने मिनिक्स की कमी को दूर करने के लिये एक प्रोग्राम लिखा जो कि बाद 'लिनूस का यूनिक्स' या छोटे में लिनेक्स कहलाया । इसका सबसे पहला कोर या करनल (Kernel) उन्होने 1991 में इन्टरनेट में पोस्ट किया। तब तक, रिचर्ड स्टालमेन का घन्यू ( GNU) प्रोजेक्ट शुरू हो चुका था। लिनूस टोरवाल्ड ने इससे बहुत सारे प्रोग्राम अपने लिनेक्स में लिये। इसलिये रिचार्ड स्टालमेन का कहना है कि इसे घन्यू-लिनेक्स कहना चाहिये। पर यह नाम, शायद लम्बा रहने के कारण चल नहीं पाया। पर इसका अर्थ यह नहीं हैं कि लिनेक्स की सफलता में घन्यू प्रोजेक्ट का हाथ नहीं है। घन्यू प्रोजेक्ट के बिना लिनेक्स सम्भव नहीं था।
1991 में शुरू हुआ यह औपरेटिंग सिस्टम आज विन्डोस के बराबर तो लोकप्रिय नहीं है पर बहुत तेजी से उंचाईयों को छू रहा है और पांच दस साल बाद बात उल्ट भी हो सकती है। अगली बार इसके करनल, डेस्कटौप, डिस्ट्रीब्यूशन, के बारे मे बात करेंगे।
१- लिन्कस के बारे में मजाक यहां देखें।|
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