१: यह स्पष्ट नहीं है कि नौवल ने एस.सी.ओ. को क्या बेचा क्योंकि नौवल के अनुसार उसने एस.सी.ओ. को यूनिक्स के बौद्धिक सम्पदा अधिकार नहीं बेचे हैं। उसने एस.सी.ओ. को केवल यूनिक्स का विकास करने तथा दूसरे को लाइसेंस देने का अधिकार दिया था। इस पर एस. सी. ओ. ने एक मुकदमा नौवल पर चलाया है कि,
- नौवल गलत कह रहा है कि एस.सी.ओ. यूनिक्स के बौद्धिक सम्पदा अधिकार का मालिक नहीं है;
- नौवल का यह कहना कि नौवल यूनिक्स के बौद्धिक सम्पदा अधिकारों का मालिक है एस.सी.ओ. के व्यापार में रूकावट डाल रहा है उसे रोका जाय;
- इस बात कि घोषणा की जाय कि एस.सी.ओ. यूनिक्स के बौद्धिक सम्पपदा अधिकार का मालिक है न कि नौवल;
- उसे नौवल से हर्जाना दिलवाया जाय|
२-३: एस.सी.ओ. ने १५०० कम्पनियों को नोटिस भेजा है कि,
- वे लिनेक्स प्रयोग करने से पहले उससे लाइसेंस ले लें; और
- वह देखें कि यूनिक्स का कोड ओपेन सोर्स सौफटवेर से न मिल जाय।
डैमलर काईसलर के खिलाफ मुकदमा अंशत: ९-८-२००४ को खारिज हो गया| फिर मुकदमा २१-१२-२००४ को यह कहते हुये खारिज हो गया कि वह पुन: दूसरा मुकदमा तब तक नहीं ला सकते हैं जब तक डैमलर क्राईसलर के पहले मुकदमे का सारा खर्चा न अदा कर दें | एस.सी.ओ. ने इसके खिलाफ अपील प्रस्तुत कर रखी है ।
४: रेड हैट लिनेक्स डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनी है। इसने एक मुकदमा इसलिये दायर किया है कि घोषणा की जाय कि उसने लिनेक्स को वितरण करने में एस.सी.ओ. के किसी भी अधिकार का अतिक्रमण नहीं किया है|
यह कहना मुश्किल है कि इन मुकदमों में क्या होगा। यह इन पर आयी गवाही पर निर्भर करेगा| सारे मुकदमे एस.सी.ओ . बनाम आई.बी.एम. के मुकदमे के निर्णय पर निर्भर करेंगे।
बहुत सी प्रमुख कम्पनियां लिनेक्स को अपना रही हैं। इनमें आई.बी.एम., रेड हैट, तथा एच.पी. मुख्य हैं इन्होने इन मुकदमो को मद्दे नज़र रखते हुये, अपने खरीदारों को कहा है कि यदि यह पाया जाता है कि उनका कोई भी सौफ्टवेर किसी के बौद्धिक सम्पदा अधिकारों का अतिक्रमण कर रहे हैं तो वे न ही उसके पूरे हर्जाने की क्षतिपूर्ति करेंगे पर उन्हें नया सौफ्टवेर बना कर देगें| देखिये अगर दो सालो में क्या होता है ।
इसी कड़ी के साथ लिनेक्स पर यह लेख समाप्त कर रहा हूं हांलाकि लिनेक्स के उपर चल रहे मुकदमो कि चर्चा समय समय पर करते रहेंगे
अन्त करते समय मै आपका ध्यान लिनूस टोरवाल की आत्म कहानी Just for fun: The story of an Accidental Revolutionary की तरफ ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा। यह बहुत अच्छी तथा प्रेरणादायक पुस्तक है। इसमें कुछ चैप्टर बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के बारे में हैं। यह कुछ हमारे पुरातन विचारो से मेल खाते हैं और पश्चिम के समाज पर जिस तरह से इन अधिकारों की परिभाषा तथा व्याख्या की जाती है उस पर नयी तरह से प्रकाश डालती है - पढ़ कर देंखें। यह किताब भी वैसे ही खरीदी जा सकती हैं जैसे कि मैने मार्टिन गार्डनर की पुस्तकें की पोस्ट पर बताया है|
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